tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post293745862663560771..comments2023-10-24T17:01:13.971+05:30Comments on निरामिष: जैन मुनि श्री मैत्रीप्रभ सागर दिला रहे हैं निर्दोष पशुओं को जीने का अधिकारAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-35597752798375304202011-12-08T21:44:55.772+05:302011-12-08T21:44:55.772+05:30जो लोग यह तर्क देते हैं कि बूचड़खाने में बूढ़े पशुओं...जो लोग यह तर्क देते हैं कि बूचड़खाने में बूढ़े पशुओं को काटा जाता है, उन्हें यह सोचना चाहिए कि उनके माता-पिता भी तो अब बूढ़े हो चले हैं। क्या उन्हें भी..?<br />उम्दा लेख, मुनिजी को सादर प्रणाम।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-66113635512625352652011-05-16T16:12:54.800+05:302011-05-16T16:12:54.800+05:30अनुराग जी,
आपने सारगर्भित बात कह दी………
"परं...अनुराग जी,<br /><br />आपने सारगर्भित बात कह दी………<br /><br />"परंतु सच्चा परिवर्तन तो अहिंसक और भूतदयापूर्ण दृष्टि आने पर ही आ सकता है।"<br /><br />अहिंसक भाव से प्रेरित दया ही कारगर होगी।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-7377797671738454502011-05-15T22:01:30.664+05:302011-05-15T22:01:30.664+05:30यह आलेख आपके ब्लॉग पर पढ़ चुकी हूँ दिवस .... फिर पढ़...यह आलेख आपके ब्लॉग पर पढ़ चुकी हूँ दिवस .... फिर पढ़ा जितनी बार पढ़ा जाय कम है.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-57146418342786259422011-05-15T20:10:32.495+05:302011-05-15T20:10:32.495+05:30दिवस जी,
इस आलेख के लिये धन्यवाद और स्वागत है आप...दिवस जी, <br /><br />इस आलेख के लिये धन्यवाद और स्वागत है आपका इस परिवार मेंएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-67741121226643567592011-05-15T20:02:17.540+05:302011-05-15T20:02:17.540+05:30प्रतुल जी , सुज्ञ जी
मैंने दिवस जी की कुछ विचारोत...प्रतुल जी , सुज्ञ जी<br /><br />मैंने दिवस जी की कुछ विचारोत्तेजक टिप्पणियाँ किसी ब्लॉग पर देखी थी ,पढ़ का लगा हम अकेले नहीं हैं .... और आज दिनेश जी को 'निरामिष परिवार' में शामिल हुआ देख कर आनन्द आ गयाएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-53001437336614129172011-05-15T18:53:47.368+05:302011-05-15T18:53:47.368+05:30गोमुत्र और गोबर गैस के प्रयोग को प्रोत्साहन देकर ग...गोमुत्र और गोबर गैस के प्रयोग को प्रोत्साहन देकर गोवंश की उपयोगिता स्वार्थी मानव के ध्यान में लाई जा सकती है परंतु सच्चा परिवर्तन तो अहिंसक और भूतदयापूर्ण दृष्टि आने पर ही आ सकता है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-39480583018704724412011-05-15T16:05:16.733+05:302011-05-15T16:05:16.733+05:30मै भी एक बुचडखाना इन नेताओ के लिए खुलवा देता हू जो...मै भी एक बुचडखाना इन नेताओ के लिए खुलवा देता हू जो नेता सड़ जायेगा उसमे काट देगेAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-27559087106943150472011-05-15T15:09:04.395+05:302011-05-15T15:09:04.395+05:30जीवदया के उद्देश्य से, इन वधशालाओं का जबर्दस्त विर...जीवदया के उद्देश्य से, इन वधशालाओं का जबर्दस्त विरोध होना चाहिए।<br />सभी जीवदया प्रेमी इस आन्दोलन का पुरजोर समर्थन करे!!<br />दिवस दिनेश गौड का निरामिष परिवार में स्वागत है।<br />प्रतुल जी आपने दिवस जी का भावभीना स्वागत किया, आपका आभार!!<br />जीवों के प्रति दया करूणा हमारी निरामिष संस्कृति है। शाकाहार समर्थको का सम्मान हमारे संस्कार!!<br /><br />इस आलेख के लिये आभार दिवस जी!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-75402351081907147762011-05-15T15:03:01.977+05:302011-05-15T15:03:01.977+05:30दिवस जी,
बहुत समय पहले की बात है ... एक बार इसी त...दिवस जी, <br />बहुत समय पहले की बात है ... एक बार इसी तरह का आक्रोश अमित जी के ब्लॉग पर देखने को मिला था तब जो हाय-तौबा मची थी उससे कुतर्कियों की बखिया उखड़ गयी थी. वे यादें अभी भी मानस में अमिट हैं. फिर उसके बाद गौरव अग्रवाल जी ने, विरेन्द्र सिंह चौहान जी ने अपने-अपने ब्लॉग पर जो वैचारिक क्रान्ति खड़ी की थी एक बार आप अवश्य पीछे लौटकर देखिएगा. विरेन्द्र जी और गौरव जी तर्कों का आप भी लौहा मानेंगे.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-3976832582656854042011-05-15T14:57:07.966+05:302011-05-15T14:57:07.966+05:30हे सद्भावों के दिवस कर्ता दिनेश जी,
आपने एक बार फि...हे सद्भावों के दिवस कर्ता दिनेश जी,<br />आपने एक बार फिर हमारी संवेदनाओं को झकझोर दिया. <br />आपकी लेखनी में इतना ओज है कि वह नवोदित आमिषों को सात्विक भावों की सरिता में बहा ले जाये और उनका हृदय परिवर्तन कर दे.<br />वीडिओ पूरा देख पाना मेरे लिये संभव नहीं... मैं इस तरह के क्लिप्स देख-देखकर कहीं इस क्रूरता को बर्दाश्त करने का अभ्यस्त न हो जाऊँ. <br />सुज्ञ जी ने इंजीनिअर दिवस दिनेश गौर को निरामिष परिवार से जोड़कर हमारा सम्मान बढाया है. उनका आभार.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.com