tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post4106960999779084073..comments2023-10-24T17:01:13.971+05:30Comments on निरामिष: पादप एवं जंतु -1: शारीरिक संरचना में अन्तरAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-57189944437996121842017-08-29T11:45:49.026+05:302017-08-29T11:45:49.026+05:30Lisosom kya plant cell m v hota h? Lisosom kya plant cell m v hota h? Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11609358216864870394noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-47177379159747583842016-12-16T19:43:57.159+05:302016-12-16T19:43:57.159+05:30@निरामिष जी
@अनुराग शर्मा जी
@ सुज्ञ जी
इस श्रंखल...@निरामिष जी<br />@अनुराग शर्मा जी<br />@ सुज्ञ जी<br /><br />इस श्रंखला को कहीं और एक ग्रुप ब्लॉग पर पोस्ट करना चाहूंगी।।अनुमति दीजियेगा?shilpamehtahttps://www.blogger.com/profile/15688059224814430879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-63133256469893074032016-06-27T12:11:16.475+05:302016-06-27T12:11:16.475+05:30google thank yougoogle thank youAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/10897047434840700831noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-76819966674549922412012-05-21T15:46:34.866+05:302012-05-21T15:46:34.866+05:30इस महत्वपूर्ण जानकारी के प्रकाशन के लिए शिल्पाजी क...इस महत्वपूर्ण जानकारी के प्रकाशन के लिए शिल्पाजी का आभार !Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-69490614852694484192012-05-21T15:00:05.661+05:302012-05-21T15:00:05.661+05:30अच्छा विश्लेषण है। वैज्ञानिक और बोधगम्य।अच्छा विश्लेषण है। वैज्ञानिक और बोधगम्य।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-18844921425273920962012-05-19T23:01:32.484+05:302012-05-19T23:01:32.484+05:30अच्छी प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...अच्छी प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-51223108249114856202012-05-19T19:57:53.048+05:302012-05-19T19:57:53.048+05:30इस जानकारी के लिये शिल्पा जी का आभार! जीवन की श्रे...इस जानकारी के लिये शिल्पा जी का आभार! जीवन की श्रेणियों का अंतर शायद वे भी जानते हैं जो मांसाहार के पक्ष में तर्क करते रहते हैं। ऐसे एक मशहूर हक़ीम तो स्वास्थ्य कारणों से खुद शाकाहारी हैं फिर भी ....। इस हैंडी जानकारी के लिये साधुवाद! शुभकामनायें!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-79283394221857183612012-05-19T19:50:33.567+05:302012-05-19T19:50:33.567+05:30रही बात बात जीवन की तो जो जड़ में है वही चेतन में ...रही बात बात जीवन की तो जो जड़ में है वही चेतन में है पार्माणुविक स्तर पर भी यह बात खरी है .पौधों में संवेदना है उनके दिल की धड़कन को Crescograph से बांचा जा सकता है .जगदीश चंद बासु ने यही यंत्र रोयल सोशायटी के सामने प्रस्तुत किया था .सितार की लय पर थिरकतें हैं पौधे .प्रकृति के संगीत से भी उनका नजदीकी रिश्ता जो है .वह गाते हैं गुनगुनाते हैं हवाओं के संग .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-53783715571182442192012-05-19T19:49:31.933+05:302012-05-19T19:49:31.933+05:30यशवन्त जी आपका बहुत बहुत आभार!!यशवन्त जी आपका बहुत बहुत आभार!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-42365094409316749792012-05-19T19:48:35.452+05:302012-05-19T19:48:35.452+05:30गम्भीर और प्रमाणिक जानकारी!! शिल्पा जी आभार
सुज्ञ...गम्भीर और प्रमाणिक जानकारी!! शिल्पा जी आभार<br /><br /><a href="http://shrut-sugya.blogspot.in/2012/05/ego-of-knowledge.html#comment-form" rel="nofollow">सुज्ञ: लेखकीय स्वाभिमान के निहितार्थ</a>सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-35573229512120992242012-05-19T19:43:05.930+05:302012-05-19T19:43:05.930+05:30बहुत बढ़िया किया है आपने विषय का प्रतिपादन .जीव हि...बहुत बढ़िया किया है आपने विषय का प्रतिपादन .जीव हिंसा के बाद मांस भक्षण करना और फिर उसे न्यायिक ठहराना शाका हार से तुलना करके एक बचकाना बात है .पेड़ तो देते ही देतें हैं साल दर साल और अंत में खुद अपनी ही खाद बन जातें हैं .कार्बन चक्र को चलाये रहतें हैं .वायुमंडल को प्राणित करते रहतें हैं .<br /><br />पशु इन पर आश्रित हैं .आश्रित जीवों की हिंसा को कैसे भी युक्ति युक्त नहीं ठहराया जा सकता .<br /><br />पादप जीवन के रक्षक हैं .वर्षा के संरक्षक ,भू -जल को बनाए रहतें हैं पेड़ न हों तो एक्विफायार्स तमाम रीत जाएँ .मिटटी की गुणवत्ता को बनाए रहतें हैं .पशु इन्हें अपने मल मूत्र से खाद मुहैया करवातें हैं .दोनों परस्पर सम्बद्ध हैं .यहाँ खून खराबा नहीं हैं .परस्पर सहजीवन संवर्धन है .बढ़िया पोस्ट .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-86709431909905592922012-05-19T09:32:50.967+05:302012-05-19T09:32:50.967+05:30रोचक जानकारी है। जितना भी कोई समझा ले मगर जिसने मा...रोचक जानकारी है। जितना भी कोई समझा ले मगर जिसने मास खाना है वो कोई न कोई तर्क तो निकाल ही लेगा।स्वार्थ के लिये दया भावना करुणा सब भूल जाता है।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-8107439401304177622012-05-18T20:47:43.074+05:302012-05-18T20:47:43.074+05:30पत्तियों की तरह हम अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते इ...पत्तियों की तरह हम अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते इसलिये जीने के लिये कुछ तो आहार लेना ही पड़ेगा। जंतु और वनस्पति दोनो में ही प्राण के लक्षण हैं..वनस्पतियों में तंत्रिका तंत्र उतना विकसित तो नहीं होता तथापि विवेक और प्रतिक्रिया क्षमता के मामले में प्राणी उनसे विशिष्ट हैं। अतः हिंसा-अहिंसा में भी भेद का यही आधार है। और ठेठ बोली में कहें तो कटु वचन भी हिंसा है और गोली मार देना भी ..तो क्या सबको गोली मार दी जाय? और भी ठेठ कहें तो इलेक्शन में खड़े सभी दुष्टों में से किसी कम दुष्ट को वोट देना ही अधिक उचित है। इसलिये मुर्गी- बकरा खाने की अपेक्षा रोटी-सब्ज़ी खाना कहीं अधिक उचित है।बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-83836364731378236122012-05-18T13:01:41.585+05:302012-05-18T13:01:41.585+05:30बहुत नई जानकारियां मिलीं.आभार.बहुत नई जानकारियां मिलीं.आभार.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-77414796270888607092012-05-18T12:45:02.095+05:302012-05-18T12:45:02.095+05:30बहुत सही लिखा आपने
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http://cbmghafil.bl...बहुत सही लिखा आपने<br />इसे भी पढ़ें<br />http://cbmghafil.blogspot.com/2012/05/blog-post_17.htmlचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.com