tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post5469039395607144188..comments2023-10-24T17:01:13.971+05:30Comments on निरामिष: प्राकृतिक संसाधनो का संयत उपभोग मानव का कर्तव्यAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-16960257935555897202011-06-30T10:00:00.867+05:302011-06-30T10:00:00.867+05:30एकदम सही बात है। किफ़ायत भी ज़रूरी है और हिन्सा से...एकदम सही बात है। किफ़ायत भी ज़रूरी है और हिन्सा से बचाव भी।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-22305185140828969462011-06-29T23:56:47.985+05:302011-06-29T23:56:47.985+05:30सराहनीय पोस्ट......
"जहाँ पे है संयम, वहाँ है...सराहनीय पोस्ट......<br />"जहाँ पे है संयम, वहाँ हैं कलुष कम।<br />जहाँ घोर त्रिष्णा, वहीं दुख अधिकतम॥"डॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-24448459829236925692011-06-29T23:38:55.303+05:302011-06-29T23:38:55.303+05:30एक और बात सुज्ञ जी यह है कि जीवित पशु अधिक उपयो...एक और बात सुज्ञ जी यह है कि जीवित पशु अधिक उपयोगी भी हो सकता है,मृत की अपेक्षा.मनुष्य विज्ञान और प्रकृति दोनों का समन्वय करे तो खाने की खातिर जीव हिंसा से बचा जा सकता है.दया और अहिंसा' का भाव मानवीय संवेदना का उच्चतम भाव हैंRakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-39777130230171143102011-06-29T23:38:24.640+05:302011-06-29T23:38:24.640+05:30सही बात है, मैनेजमेंट तो आना ही चाहिए...
"विक...सही बात है, मैनेजमेंट तो आना ही चाहिए...<br />"विकास के दृष्टिकोण से पूर्ण विकसित ( पशु) की हिंसा, प्रकृति का जघन्य शोषण है।"<br />वाह क्या बात कही है आपने...दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-3492750949917532992011-06-29T22:00:53.144+05:302011-06-29T22:00:53.144+05:30यदि सभ्यता विकास और शान्त सुखप्रद जीवन ही मानव का ...यदि सभ्यता विकास और शान्त सुखप्रद जीवन ही मानव का लक्ष्य है तो उसे शाकाहार के स्वरूप में प्रकृति के संसाधनों का कुशल प्रबंध करना ही होगा।<br />--<br />शाकाहार ही मनुष्य का भोजन है!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-4972328903088394612011-06-29T21:25:37.783+05:302011-06-29T21:25:37.783+05:30अन्नं शरणं गच्छाsssssssssमि।
चन्नं शरणं गच्छाsssss...अन्नं शरणं गच्छाsssssssssमि।<br />चन्नं शरणं गच्छाsssssssssमि।<br />गन्नं शरणं गच्छाsssssssssमि।<br /><br />आमिष भाइयो, आइये हम सभी निरामिष मठ में आकर ये शपथ लें कि अब से केवल अन्न का ही आहार करेंगे.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-17183525547226651742011-06-29T20:43:11.856+05:302011-06-29T20:43:11.856+05:30निसंदेह यह हर प्राणी का कर्तव्य है..... सुंदर विचा...निसंदेह यह हर प्राणी का कर्तव्य है..... सुंदर विचार डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com