tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post79863139115337650..comments2023-10-24T17:01:13.971+05:30Comments on निरामिष: अहिंसा का शुभारंभ आहार से, अहिंसक आहार शाकाहार सेAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-80339536049632479382012-03-02T09:33:04.563+05:302012-03-02T09:33:04.563+05:30ऐसे लेख तथ्यपरक नहीं हैं। निरामिष पर यह बात आंकड़ो...ऐसे लेख तथ्यपरक नहीं हैं। निरामिष पर यह बात आंकड़ों व प्रमाणिक अध्ययनों के आधार पर बार-बार स्पष्ट की गयी है कि मांस-उद्योग वन, पर्यावरण-दूषण के साथ-साथ जल व अन्न इन तीनों संसाधनों की भयंकर कमी का कारण है। एक इकाई मांस के उत्पादन में बीसियों इकाई अन्न-जल लगता है। यदि सम्पूर्ण विश्व शाकाहारी हो जाये तो न केवल सभी भूखों को अन्न काफ़ी होगा बल्कि धरा आसानी से वनाच्छादित हो सकती है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-24451309197071229302011-05-06T15:55:26.257+05:302011-05-06T15:55:26.257+05:30फिर से एक शानदार और अर्थपूर्ण लेख बेहद पसंद आया.फिर से एक शानदार और अर्थपूर्ण लेख बेहद पसंद आया.वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05613141957184614737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-40313139833901966992011-05-06T09:33:18.155+05:302011-05-06T09:33:18.155+05:30अपनी रसना को न जाने क्यों काबू मे नही कर पाते ये भ...अपनी रसना को न जाने क्यों काबू मे नही कर पाते ये भी भूल जाते हैं कि उनकी जीभ पर कोई आत्मा तडप रही होगी। जानवर से भी बदतर हो गया है इन्सान। आज कर पंडित वत्स जी नज़र नही आते। सुग्य जी वो भी इस कालम मे लिखते थे क्या आप बता सकते हैं कि आजकल वो कहाँ हैं? शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-34779406702828700422011-05-04T20:37:13.961+05:302011-05-04T20:37:13.961+05:30@--भोजन तो हम शाकाहार से भी प्राप्त कर लेंगे, पर म...@--भोजन तो हम शाकाहार से भी प्राप्त कर लेंगे, पर मात्र स्वाद-लोलूपता के लिये, निर्दोष प्राणियों को क्यों दंड दिया जाय।....<br /><br />काश इसी बात पर लोग एक बार विचार कर लेते , तो निर्दोष प्राणियों की यूँ हत्या न होती ।<br /><br />इस बेहद जरूरी आलेख के लिए साधुवाद। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-37812578402518728682011-05-04T19:05:28.898+05:302011-05-04T19:05:28.898+05:30मैं मांसाहर के कतई समर्थन में न था न कभी हो सकता ह...मैं मांसाहर के कतई समर्थन में न था न कभी हो सकता हूँ । अंडे बेचने वाली होटलों पर चाय पी पाना मेरे लिये भी सम्भव नहीं । मेरी प्रतिक्रिया कुछ समय पूर्व इस विषय पर पढे गये तथ्यपरक लेख से सम्बन्धित ही रही है ।Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-32571969364540456942011-05-04T18:38:16.701+05:302011-05-04T18:38:16.701+05:30हम तो अण्डों वाली दुकान पर चाय भी नहीं पीते हैं!हम तो अण्डों वाली दुकान पर चाय भी नहीं पीते हैं!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-27674191889182821312011-05-04T03:57:35.130+05:302011-05-04T03:57:35.130+05:30@सुशील बाकलीवाल ने कहा…
यदि पृथ्वी पर पूर्ण शाकाहा...<b>@सुशील बाकलीवाल ने कहा…<br />यदि पृथ्वी पर पूर्ण शाकाहार की स्थापना हो जावे तो क्या शाकाहारियों की आहारपूर्ति हो पावेगी</b><br />तब ही हो पायेगी, शाकाहार के प्रचार के बिना भुखमरी दूर कर पाना बहुत कठिन है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-63702798988535746952011-05-02T09:42:52.550+05:302011-05-02T09:42:52.550+05:30समाज ज्यों-ज्यों सभ्यता की ओर अग्रसर होता है सद्गु...समाज ज्यों-ज्यों सभ्यता की ओर अग्रसर होता है सद्गुणों की वृद्धि होती है। आश्चर्य नहीं कि संसार भर में मांसाहार और हिंसा के प्रति वितृष्णा बढती जा रही है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-23995253153324244792011-05-01T22:46:04.799+05:302011-05-01T22:46:04.799+05:30आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत...आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.<br /> मेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें<br />दिनेश पारीक <br />http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/<br />http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.htmlDinesh pareekhttps://www.blogger.com/profile/00921803810659123076noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-66434327984963755092011-04-29T16:08:11.543+05:302011-04-29T16:08:11.543+05:30शाकाहार को समर्थन देने के लिये शुक्रिया!
विवेक जै...शाकाहार को समर्थन देने के लिये शुक्रिया!<br /><a href="http://vivj2000.blogspot.com/" rel="nofollow"><b> विवेक जैन </b><i>vivj2000.blogspot.com</i></a>Vivek Jainhttps://www.blogger.com/profile/06451362299284545765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-39489325556580560552011-04-29T12:23:49.670+05:302011-04-29T12:23:49.670+05:30आभार सुशील जी,
सुशील जी, शाकाहार समर्थन के लिये आ...आभार सुशील जी,<br /><br />सुशील जी, शाकाहार समर्थन के लिये आभार!!,<br /><br />आपने पुछा……<br />@"यदि पृथ्वी पर पूर्ण शाकाहार की स्थापना हो जावे तो क्या शाकाहारियों की आहारपूर्ति हो पावेगी ?"<br /><br />लेकिन जनाब यह धारणा ही पूरी तरह से भ्रमपूर्ण है, सच्चाई तो यह है कि……<br /> <br />एक किलो मांस पैदा करने में 7 किलो अनाज या सोयाबीन की जरूरत पड़ती है। अनाज के मांस में बदलने की प्रक्रिया में 90 प्रतिशत प्रोटीन, 99 प्रतिशत कार्बोहाईड्रेट और 100 प्रतिशत रेशा नष्ट हो जाता है। एक किलो आलू पैदा करने में जहां मात्र 500 लीटर पानी की खपत होती है, वहीं इतने ही मांस के लिए 10,000 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है।<br /><br />अब यदि मांसाहार बंद कर दिया जाय तो पृथ्वी पर अन्न और शाकाहार की अधिकता हो जाएगी।<br /><br />विस्तार से इसी ब्लॉग पर यह लेख पढें<br /><a href="http://niraamish.blogspot.com/2011/04/blog-post_07.html" rel="nofollow">निरामिष: भुखमरी को बढाते ये माँसाहारी और माँस उद्योग।</a>सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-60329184659741084502011-04-29T12:15:33.704+05:302011-04-29T12:15:33.704+05:30आभार सुशील जी,
यदि पृथ्वी पर पूर्ण शाकाहार की स्थ...आभार सुशील जी,<br /><br />यदि पृथ्वी पर पूर्ण शाकाहार की स्थापना हो जावे तो क्या शाकाहारियों की आहारपूर्ति हो पावेगी ?<br /><br />लेकिन यह धारणा ही भ्रमपूर्ण है। <br />एक किलो मांस पैदा करने में 7 किलो अनाज या सोयाबीन की जरूरत पड़ती है। अनाज के मांस में बदलने की प्रक्रिया में 90 प्रतिशत प्रोटीन, 99 प्रतिशत कार्बोहाईड्रेट और 100 प्रतिशत रेशा नष्ट हो जाता है। एक किलो आलू पैदा करने में जहां मात्र 500 लीटर पानी की खपत होती है, वहीं इतने ही मांस के लिए 10,000 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है।<br /><br />इसी ब्लॉग पर यह लेख पढें<br /><a href="http://niraamish.blogspot.com/2011/04/blog-post_07.html" rel="nofollow">निरामिष: भुखमरी को बढाते ये माँसाहारी और माँस उद्योग।</a>सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-35505407481605517032011-04-29T10:50:48.570+05:302011-04-29T10:50:48.570+05:30निर्विवाद रुप से शाकाहर ही उत्तम है.
लेकिन सोचिये...निर्विवाद रुप से शाकाहर ही उत्तम है.<br /><br />लेकिन सोचिये-<br />यदि पृथ्वी पर पूर्ण शाकाहार की स्थापना हो जावे तो क्या शाकाहारियों की आहारपूर्ति हो पावेगी ?<br /><br /><a href="http://najariya.blogspot.com/2011/04/blog-post_28.html" rel="nofollow">टोपी पहनाने की कला...</a><br /><br /><a href="http://jindagikerang.blogspot.com/2011/04/blog-post_27.html" rel="nofollow">गर भला किसी का कर ना सको तो...</a>Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-52371308621301022502011-04-28T18:45:45.567+05:302011-04-28T18:45:45.567+05:30बहुत सुन्दर .धन्यवाद और साधुवाद आपको इस लेख...बहुत सुन्दर .धन्यवाद और साधुवाद आपको इस लेख के लिए!Harshit Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/11327163367387634682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-31500736505126262692011-04-28T00:29:49.197+05:302011-04-28T00:29:49.197+05:30सार्थक लेखसार्थक लेखनीलांशhttps://www.blogger.com/profile/06348811803233978822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-4409734905800214862011-04-28T00:15:32.153+05:302011-04-28T00:15:32.153+05:30जैसा खान पेन वैसे विचार
बहुत ही बढ़ियाजैसा खान पेन वैसे विचार <br />बहुत ही बढ़ियाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-37018369761504414152011-04-27T23:29:07.519+05:302011-04-27T23:29:07.519+05:30बिलकुल सही|धन्यवाद|बिलकुल सही|धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-85903801228229107582011-04-27T19:39:01.128+05:302011-04-27T19:39:01.128+05:30रोचक जानकारी।
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देखिए ब्लॉग समीक्षा की ब...रोचक जानकारी।<br /><br />---------<br /><b><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">देखिए ब्लॉग समीक्षा की बारहवीं कड़ी।</a></b><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">अंधविश्वासी आज भी रत्नों की अंगूठी पहनते हैं।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-53691434235430261952011-04-27T18:55:27.030+05:302011-04-27T18:55:27.030+05:30आप मेरे ब्लॉग पे आये अच्छा लगा और आपके विचारो पड...आप मेरे ब्लॉग पे आये अच्छा लगा और आपके विचारो पड कर मन प्रसन हो गया बस आप से येही आशा है की आप एसे ही मेरा उत्साह बढ़ाते रहेंगे <br /><br />धन्यवाद्Dinesh pareekhttps://www.blogger.com/profile/00921803810659123076noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-52922070670164198222011-04-27T09:43:13.058+05:302011-04-27T09:43:13.058+05:30भोजन तो हम शाकाहार से भी प्राप्त कर लेते हैं लेकिन...भोजन तो हम शाकाहार से भी प्राप्त कर लेते हैं लेकिन मात्र स्वाद-लोलूपता के लिये निर्दोष प्राणियों को क्यों दंड दिया जाय?..<br /><br />....... यही सोच मेरी भी है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-60060486113207497102011-04-26T22:31:03.072+05:302011-04-26T22:31:03.072+05:30जब तक दुर्भावनाएँ दूर नहीं होती। उन्ही दुर्भावों क...जब तक दुर्भावनाएँ दूर नहीं होती। उन्ही दुर्भावों को पनपने से रोकने के लिये जीव-जानवर के प्रति अहिंसा भाव जगाना होगा, तभी हमारे हृदय में कोमल भाव जगह पाएंगे।<br />बिलकुल सही...... <br /><br />(और वैसे भी कुतर्कों का तो कोई अंत नहीं .....) डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-2279321020445374412011-04-26T22:20:51.840+05:302011-04-26T22:20:51.840+05:30जिनके हृदय में सहज प्रेम,दया और करुणा है वे कैसे म...जिनके हृदय में सहज प्रेम,दया और करुणा है वे कैसे माँसाहार का अनुमोदन कर सकतें हैं,यह मेरी समझ के बाहर है.प्रेम,दया और करुणा के भाव ही तो सभी जीव मात्र से सहानभूति की चेतना प्रदान करते हैं.यदि ये केवल मनुष्य मनुष्य के बीच ही हों और अन्य जीवों के प्रति न हों तो अपूर्ण और बनावटी ही हैं.इसी प्रकार यदि जानवरों के प्रति ही हों और मनुष्य मनुष्य के प्रति न हों तो भी अपूर्ण और बनावटी ही जान पड़ते हैं मुझे.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.com