tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post984999417208133510..comments2023-10-24T17:01:13.971+05:30Comments on निरामिष: शाकाहार, श्रेष्ठता शुद्धता और पवित्रता का दंभ नहीं, हिंसात्याग के संघर्षशील पुरूषार्थ का आत्मगौरव है।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-53358810537590035072011-05-15T18:53:25.299+05:302011-05-15T18:53:25.299+05:30मांसाहार के मूल में हिंसा है। अपने स्वाद या स्वास्...मांसाहार के मूल में हिंसा है। अपने स्वाद या स्वास्थ्य के उद्देश्य से नित नये प्राणी की निर्दयी हत्या का विचार ही दुखद हैSmart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-48970517640198550912011-05-15T12:52:19.122+05:302011-05-15T12:52:19.122+05:30दिवस जी,
कृपया अपना ई-मेल इनबॉक्स देंखे, और वहां ...दिवस जी,<br /><br />कृपया अपना ई-मेल इनबॉक्स देंखे, और वहां आमंत्रण मेल में एक लिंक जो स्वीकृति के लिये है, क्लिक कर दें। आप जुड जाएँगे॥<br /><br />आभार!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-7141756408330468472011-05-15T11:14:00.116+05:302011-05-15T11:14:00.116+05:30'यहाँ उँच नीच का प्रश्न ही नहीं है।दोनो आहारों...'यहाँ उँच नीच का प्रश्न ही नहीं है।दोनो आहारों की मात्र आहार परक समानता न्यायसंगत नहीं है, मांसाहार, मासांहारियों के लिये मात्र आहार हो सकता है, मगर एक शाकाहारी की दृष्टि में यह निष्प्रयोजन हिंसा से प्राप्त अनावश्यक आहार है, जो शाकाहार के सहज उपलब्ध होते किया जाने वाला दुष्कृत्य है।' <br /><br />बहुत ही सुन्दर विवेचना की है सुज्ञ जी आपने.<br />सुन्दर लेखन के लिए आभार.<br />काजल जी ,हमारे लिए तो सुज्ञ जी की वाणी 'देव वाणी' है.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-61686050790182108302011-05-15T10:08:07.128+05:302011-05-15T10:08:07.128+05:30शाकाहार, शुद्धता और पवित्रता का दंभ नहीं, हिंसात्य...शाकाहार, शुद्धता और पवित्रता का दंभ नहीं, हिंसात्याग का सात्विक आत्मगौरव है। <br /><br />यह पंक्ति सब कुछ कहती है...... सुंदर सार्थक लेख आभार.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-36591625318175862362011-05-15T08:50:32.552+05:302011-05-15T08:50:32.552+05:30बंधुवर आपका ह्रदय से धन्यवाद जो आपने मुझे अपने इस ...बंधुवर आपका ह्रदय से धन्यवाद जो आपने मुझे अपने इस सुन्दर ब्लॉग "निरामिष" पर आमंत्रित किया| मुझे निरामिष से जुड़ने में बेहद ख़ुशी होगी| कृपया मार्गदर्शन करें कि किस प्रकार मैं ऐसा कर सकता हूँ?दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-13728464201148302972011-05-15T08:29:17.973+05:302011-05-15T08:29:17.973+05:30काजल जी,
करूणा जगाने के छोटे छोटे भाव प्रयास, महत...काजल जी,<br /><br />करूणा जगाने के छोटे छोटे भाव प्रयास, महत्वपूर्ण हृदय परिवर्तन करने में समर्थ होते है। यह नन्ही निरिह जिन्दगियाँ बचाने के शुभ-भाव है। कहीं कभी एक भी जान बचती है तो यह सारे शब्द कुरबान है उस जीवन के लिए।<br /><br />हमें तो धैर्य से शुभ-कर्म रत रहना चाहिए। आमूल-चूल परिवर्तन की अपेक्षा रखे बिना। तब कोई भी योगदान निर्थक नहीं जाता।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-60928956115009498842011-05-15T07:50:22.626+05:302011-05-15T07:50:22.626+05:30शाकाहार, शुद्धता और पवित्रता का दंभ नहीं, हिंसात्य...<b>शाकाहार, शुद्धता और पवित्रता का दंभ नहीं, हिंसात्याग का सात्विक आत्मगौरव है। </b><br /><br />सही .....बिलकुल सही ...बेहतरीन लेख :)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-88356769018561601682011-05-15T07:11:47.281+05:302011-05-15T07:11:47.281+05:30काजल कुमार जी जिस दिन श्रीराम सेतु में गिलहरी के प...काजल कुमार जी जिस दिन श्रीराम सेतु में गिलहरी के प्रयास की कथा को पढ़ जायेंगे तो उस दिन से उन्हें कोई भी लघु प्रयास महत्वहीन नहीं प्रतीत होगा. <br />जिसकी जितनी सामर्थ्य .......... वह अपनी शक्ति अनुसार जितना भी करे तो जागरुक ही कहलायेगा. <br /><br />हम यदि एक व्यंग्य कार्टून को केवल दो-चार लोगों की मनोरंजन सामग्री कहें तो यह भी सरासर अन्याय होगा.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-40517433932942059412011-05-15T06:46:26.239+05:302011-05-15T06:46:26.239+05:30नक़्कारखाने की तूती है यह लेखनक़्कारखाने की तूती है यह लेखKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-32494755997796272052011-05-15T06:25:36.060+05:302011-05-15T06:25:36.060+05:30बिलकुल मै पूरी तरह सहमत हूँ कि शाकाहार विकृति से स...बिलकुल मै पूरी तरह सहमत हूँ कि शाकाहार विकृति से संस्कृति कि और ले जाता है ............आप यूँ ही भारतीय संकृति को आगे बढ़ाते रहे है |तरुण भारतीयhttps://www.blogger.com/profile/06484935775975350578noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-19145378968902621982011-05-15T01:50:20.016+05:302011-05-15T01:50:20.016+05:30भाई सुज्ञ जी...आपके इस आलेख की जिंतनी भी प्रशंसा क...भाई सुज्ञ जी...आपके इस आलेख की जिंतनी भी प्रशंसा की जाए कम होगी...<br />सच ही कहा है आपने कि मांसाहार एक आहार ना होकर एक प्रकार की हिंसा ही है जिसमे केवल जीभ के स्वाद के लिए एक जीव की हत्या कर दी जाती है|<br />मैं भी मांसाहार के बिलकुल विरुद्ध हूँ|<br />FOOD IS FOR LIVING, NOT FOR ENJOYMENT...दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.com