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गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

चैम्पियन शतायु धावक का भोजन - शाकाहार

कुछ भी असम्भव नहीं है - फौजा सिंह
[चेतावनी: पूरी तरह स्वस्थ हुए बिना मैराथन दौड़ना, किसी भी आयु में, किसी भी भोजनशैली के साथ खतरनाक सिद्ध हो सकता है। पहले स्वस्थ हों, शरीर को तैयार करें, सम्भव हो तो चिकित्सक, स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लें, फिर लम्बी दौड़ आरम्भ करें।]

खेल सामग्री निर्माता ऐडीडाज़ ने फ़ुटबाल खिलाड़ी डेविड बैकहम को अपने विज्ञापनों से हटाकर नये पोस्टर बॉय फ़ौजा सिंह को ले लिया है। उनकी जीवनी का शीर्षक "द टर्बन्ड टॉर्नेडो" अर्थात "पगड़ी वाला चक्रवात" है। 173 सेंटीमीटर (5 फ़ुट 11 इंच) और 52 किलो भार वाले मैराथन धावक फ़ौजा सिंह जलन्धर में अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद सन् 1992 में अपने पुत्र के पास रहने लंडन आ गये। 20 वर्ष पहले उनका कृषिकर्म तो बन्द हो गया पर उसके बदले उन्होंने दौड़ना आरम्भ किया। वे ब्रिटेन, अमेरिका व कैनैडा में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आकर्षण बने हैं।

सन 2000 में 89 वर्ष की आयु में उन्होंने लंडन में अपने जीवन की पहली मैराथन में भाग लेकर पाँचवाँ स्थान प्राप्त किया और उसके बाद टोरंटो व न्यूयॉर्क की प्रतियोगिताओं में प्रथम रहे। 90+ के आयुवर्ग मैराथन में वे विश्व रिकॉर्ड धारक हैं। वे अब तक आठ मैराथन दौड़ों के अतिरिक्त 500 से अधिक प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं। उनके प्रशिक्षक हरमिन्दर सिंह के अनुसार अभी उनमें कुछेक और वर्ष तक प्रतियोगिताओं में भाग लेने की क्षमता है।
फ़ौजा की दृढता हमारे शरीर व मन पर शाकाहार के प्रभाव का उत्कृष्ट उदाहरण है। निरामिष आहार करने से अनेक जानलेवा बीमारियों का खतरा तो कम होता ही है, फ़ौजा सिंह के उदाहरण से यह स्पष्ट है कि शाकाहार हमें दीर्घायु भी बनाता है ~ मीमी बेखेची (पेटा प्रवक्ता)

मैं शाकाहारी हूँ (Courtesy: PETA)
1 अप्रैल 1911 को भारत में जन्मे फौजा सिंह, मैराथन जैसी लम्बी दौड़ के लिये आवश्यक जीवट, अपने स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिये अपने शाकाहारी भोजन को ज़िम्मेदार मानते हैं। अधिकांश सिखों की तरह जन्म से शाकाहारी फौजा सिंह का कहना है कि हमें हल्के, संतुलित व संपूर्ण आहार की आवश्यकता है जोकि निरामिष भोजन से प्राप्त होता है। अपने नियमित दाल, सब्ज़ी, फुल्के के भोजन के अतिरिक्त वे दूध, दही और सोंठ भी पसन्द करते हैं। वे पानी पीना पसन्द करते हैं पर चावल के शौकीन नहीं हैं और तली हुई चीज़ें, पराँठे, पकौड़े आदि बिल्कुल नहीं खाते हैं।

हृदयरोग, मोटापा व कैंसर आदि रोगों से मांसाहार का निश्चित सम्बन्ध पाया गया है। औसत मांसाहारी व्यक्ति के मुकाबले शाकाहारी बांके और चुस्त होते हैं। इसके अतिरिक्त मांसाहार के व्यवसाय के कारण पशु-पक्षियों पर अकल्पनीय अत्याचार तो होते ही हैं, इससे ग्लोबल वार्मिंग जैसे दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं।

16 अक्टूबर 2011 को फौजा सिंह को शतायु धावक के रूप में वर्ड मास्टर्स ऐथलीटिक्स में शामिल किया गया। सिख धर्म के नियमों को मानने वाले फौजा सिंह को जीवदया में पूर्ण श्रद्धा है। अपने विज्ञापनों से होने वाली आय वे परोपकार संस्थाओं को दान कर देते हैं।

पॉल मैककॉर्टनी, ब्रायन ऐडम्स और शाहिद कपूर जैसे शाकाहारियों को अपने विज्ञापनों में स्थान देने वाली और पशुओं के प्रति मानवता का व्यवहार करने का अनुरोध करने वाली संस्था पेटा (PETA) ने फ़ौजा सिंह को अपने विज्ञापन में प्रस्तुत किया है, जहाँ वे कहते हैं:
मैं फ़ौजा सिंह हूँ, और मैं शाकाहारी हूँ! शतायु मैराथन धावक व विश्व रिकॉर्डधारक!
कृपया शाकाहारी बनिये शतायु धावक फौजा सिंह की भांति अपने जीवन को सफल बनाइये!

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शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

इम्तियाज़ की 'युवा पहल' करूणा का 'आलोक' और जीवों की 'आशीष'

अभिनन्दन!!इम्तियाज़ भाई, 

इस रहमदिल संकल्प के लिए,

जीवों को अभयदान देने के लिए,

आपकी करूणा भरी सम्वेदनाओं के लिए।


सुनियोजित सुदृढ़ता के साथ माँसाहार त्याग के लिए॥


इम्तियाज़ की 'युवा पहल' करूणा का 'आलोक' और निरीह जीवों की 'आशीष'

मित्रों,

आलोक मोहनजी  निरामिष समर्थक है, उन्होनें पहले भी अपने मित्र आशीष जी को शाकाहार के प्रति जाग्रत किया था। और आशीष जी ने भी जीवदया के वशीभूत मांसाहार का सर्वदा त्याग कर निरीह प्राणियों को अभयदान दिया था। यह कहते हुए कि-""अपने स्वाद के लिए मासूम  जीवों  की हत्या गलत है, पाप है" 

पिछले दिनों ब्लॉग "युवा पहल" पर  उत्तरप्रदेश में स्थापित होने जा रहे स्वचलित कत्लखानों के विरोध में एक पोस्ट लगायी जिसमें जीवहिंसा के विरोध स्वरूप  05223095743 नम्बर पर मिसकॉल करने का अनुरोध था। इस आलेख पर हुई चर्चा के परिणामस्वरूप आदरणीय इम्तियाज़ भाई नें पहले स्वयं चिंतन किया, मात्र कथनी नहीं करके बतानें का संकल्प लिया। प्रथम स्वयं के मनोबल को मजबूत किया और माँसाहार त्याग का प्रण लिया।

आप देखिए वह चर्चा……

इम्तियाज़ भाई हम आपका सम्मान करते है, अल्लाह आपको इस संकल्प पर दृढ़ रहने की शक्ति प्रदान करे।
जो प्राणियों पर रहम करता है, अल्लाह अवश्य उस पर रहम करते है। आमीन!!

बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

शाकाहार रोके दिल का दौरा


Written by: अन्‍य
Content provided by: दैनिक जागरण


बुधवार, 5 अक्तूबर 2011

मिर्ची लगी तो मैं क्या करूँ?

[इस आलेख का उद्देश्य केवल जानकारी प्रदान करना है जो कि हमारे विश्वास में सही और सटीक है परंतु किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय सलाह का विकल्प नहीं है। विभिन्न भोज्य पदार्थ अशुद्धियों या अन्य आंतरिक या बाह्य कारणों से शरीर को हानि पहुँचा सकते हैं। कृपया अपने विवेक का प्रयोग अवश्य करें।]

मिर्च से हम सभी भली-भांति परिचित हैं। वह भारतीय भोजन का अभिन्न अंग है। मिर्च-करौन्दे की सब्ज़ी हो या भरवाँ पहाड़ी मिर्च, मिर्च का स्वाद मेरे मन से कभी उतरा ही नहीं। मिर्च के गुण उसके स्वाद तक सीमित नहीं हैं। पोषक तत्वों से भरपूर विभिन्न जातियों की मिर्चें हमें अनेक प्रकार से पोषण प्रदान करती हैं। हरी, पीली, बैंगनी, लाल रंगों से चमकती लुभावनी मिर्चों में पाये जाने वाले विभिन्न पादप-रसायन (phytonutrient) हमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं। कच्ची मिर्च अपने क्लोरोफ़िल के कारण हरे रंग की होती है और बाद में अपनी जाति के अनुसार लाल, पीली या अन्य रंग की हो जाती है क्योंकि इथाइलिन (ethylene) व औक्सिन (auxin) जैसे रसायनों की सहायता से क्लोरोफ़िल रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा विघटित होकर अन्य यौगिकों का निर्माण करता है। मिर्च का फल पकने के साथ-साथ उसके तीखेपन में कमी आती है क्योंकि उसमें पाये जाने वाले माड़ व जैविक अम्ल शर्करा में बदलते हैं।

मिर्च के प्राकृतिक रंगों में पाये जाने वाले कुछ पोषक तत्व:
मिर्च में विटामिन ए, सी और ई पाये जाते हैं जोकि शरीर की सामान्य प्रक्रिया में उत्पन्न होने वाले मुक्त-कणों (free radicals) से होने वाली हानि से बचाव करते हैं और हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढाते हैं। मुक्त-कणों से बचाने वाले तत्वों को ऐन्टि-ऑक्सिडेंट कहा जाता है। मान्यता है कि ऐंटि-ऑक्सिडेंट हमें कैंसर जैसी बीमारियों से भी बचाते हैं। मिर्च में विटामिन ए, सी व ई के अतिरिक्त बी समूह के कई विटामिन (B1, B2, B3, B5, B6 एवं B9) भी पाये जाते हैं। पचास ग्राम ताज़ी मिर्च में हमें अपनी दैनिक आवश्यकता भर का विटामिन सी मिल जाता है।

मिर्च की तीन सबसे तेज़ प्रजातियाँ
पौष्टिक तत्वों की बात आने पर प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट व वसा की बात तो होती ही है। उसके बाद अल्प मात्रा में आवश्यक यौगिकों में विटैमिन का ज़िक्र भी आता है। इसके साथ ही शरीर को अत्यल्प मात्रा में विभिन्न खनिजों और अमीनो-अम्लों की भी आवश्यकता भी पड़ती है। मिर्च के विभिन्न प्रकारों से हमें पोटेशियम (potassium), मैग्नीशियम (magnesium), मैंगनीज़ (manganese), मॉलिब्डेनम(molybdenum), ताम्र (copper), कैल्शियम (Calcium ), कोबॉल्ट (cobalt), लौह (iron) व जस्ता (zinc) प्राप्त होते हैं जो कि हमें स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

100 ग्राम मिर्च में पाये जाने वाले तत्व - एक वयस्क की दैनिक आवश्यकता के प्रतिशत के रूप में:
  • विटामिन सी (Ascorbic acid) - 240%
  • विटामिन B6 (Pyridoxine) - 39%
  • विटामिन ए - 32%
  • लौह - 13%
  • ताम्र - 14%
  • पोटेशियम - 7%
  • कैल्शियम - 1%
  • भोज्य रेशे - 3%
सबसे तेज़ मिर्च का अचार
मिर्च की चर्पराहट उसके खोल के भीतरी भाग में पाये जाने वाले तत्व कैस्पेइसिन (capsaicin) के कारण होता है जिसकी जलनकारी अनुभूति दुग्ध-प्रोटीन द्वारा कम की जा सकती है। मिर्च की तेज़ी को स्कॉविल इकाई में मापा जाता है। विश्व की सबसे तेज़ मिर्च पूर्वोत्तर भारत में पाई जाने वाली तेज़पुर मिर्च या भूत जोलोकिया है जिसका नामकरण मिर्च के एक संस्कृत नाम भोजोलक का अपभ्रंश समझा जाता है।

[सभी चित्र: अनुराग शर्मा द्वारा]