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रविवार, 16 सितंबर 2012

हिंसा माँगे दुष्कर्म अधिकार !!




प्रगति………

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/delhi/4_3_9671004.html

गोमांस पार्टी पर पुलिस व जेएनयू प्रशासन सख्त, नोटिस जारी

Sep 16, 10:25 pm


जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन ने संयुक्त रूप से रविवार को सभी छात्रावासों और सीनियर वार्डन को गोमांस पार्टी के आयोजन पर रोक लगाने संबंधी नोटिस जारी किया है। नोटिस में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि गोमांस पार्टी का आयोजन कानूनी तौर पर जुर्म है। अगर कोई छात्र ऐसा करता है तो उसके विरुद्ध 'दी दिल्ली एग्रीकल्चर कैटल प्रिजर्वेशन एक्ट-1994' की धारा 2'ए' के तहत कार्रवाई होगी, जिसमें किसी व्यक्ति द्वारा गाय का मांस रखना, खाना और उसका पाया जाना वर्जित है।
इस बारे में जेएनयू के कुलपति प्रो. एसके सोपोरी ने कहा है कि वे छात्रसंघ चुनाव शांति से संपन्न कराना चाहते थे। इसलिए अब पुलिस के साथ मिलकर रजिस्ट्रार की ओर से नोटिस जारी किया गया है। गोमांस पार्टी की चर्चा करने और आयोजन की तैयारी को लेकर जल्द ही सख्त कदम उठाए जाएंगे। वहीं वसंत कुंज क्षेत्र के सहायक पुलिस आयुक्त की ओर से नोटिस में बताया गया है कि गोमांस संबंधी अपराध पर पांच वर्ष की कैद और आर्थिक दंड का प्रावधान है। साथ ही गोमांस कानून उल्लंघन गैर जमानती अपराध है। बता दें कि जेएनयू में 'द न्यू मैटेरियलिस्ट संगठन' गुपचुप तरीके से गोमांस पार्टी के आयोजन की तैयारी में लगा है। कैंपस में चर्चा है कि संगठन की ओर से 28 सितंबर को पार्टी होगी।

गोमांस पार्टी की तैयारी पर छात्र निलंबित

Sep 19, 10:48 pm




जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में गोमांस पार्टी आयोजन की तैयारी में लगे 'द न्यू मैटेरियलिस्ट संगठन' और उसके सदस्यों में से एक को निलंबित और तीन को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। यह नोटिस जेएनयू के चीफ प्रॉक्टर एच.बी.बोहिद्दार की ओर से जारी किया गया।
नोटिस में अनुशासनात्मक कार्रवाई का हवाला देते हुए उल्लेख है कि गोमांस पार्टी आयोजन पर जेएनयू प्रशासन ने प्रोक्टोरियल जांच गठित करने के साथ ही सेंटर फॉर अफ्रिकन स्टडीज से पीएचडी के छात्र अनूप को 'द न्यू मैटेरियलिस्ट संगठन' के कार्यकर्ता के तौर पर जांच चलने तक निलंबित किया है। अनूप जेएनयू कैंपस में पार्टी का आयोजन करने जा रही कमेटी (फॉर्मेशन कमेटी फॉर बीफ एंड पॉर्क फेस्टिवल) का सक्रिय सदस्य भी है, जिसने 'द दिल्ली एग्रीकल्चर कैटल प्रिजर्वेशन एक्ट-1994' की जानकारी होने के बाद भी इस तरह के आयोजन की तैयारी में सक्रिय भागीदारी निभाई है।
इसके अलावा पार्टी आयोजन कमेटी से जुडे़ छात्र आनंधा कृष्णराज, अभय कुमार और छात्रा कुसुम लता को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्हें 24 सितंबर शाम पांच बजे तक नोटिस का जवाब दाखिल करने को कहा गया है। साथ ही पूछा गया है कि जब आप लोगों को यह पता है कि 'द दिल्ली एग्रीकल्चर कैटल प्रिजर्वेशन एक्ट-1994' की धारा 2 'ए' के तहत गोमांस पार्टी करना गैर कानूनी है और इसके आयोजन पर पांच साल की कैद व दस हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है तो, आपने ऐसा करने की चेष्टा क्यों की? क्यों न आपके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए?



यह हिंदू धर्म का अपमान है ……आज तक पर

अपने को बुद्धिजीवी बताने वाले कुछ लोगों ने बीफ और पोर्क फेस्टिवल के आयोजन के लिए एक समिति बनाई है. इस आयोजन समिति ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्रों और शिक्षकों को इस माह के अंत में जेएनयू परिसर में ही आयोजित होने वाले बीफ डिश समारोह में शामिल होने का खुला निमंत्रण दिया है.
आयोजकों ने इस समारोह में सूअर के मांस के डिश भी उपलब्ध कराने का वायदा किया है, शायद यह दिखाने के लिए कि वे हिंदू और मुसलमानों के प्रति धार्मिक रूप से तटस्थ हैं. मुसलमान सूअर के मांस से नफरत करते हैं क्योंकि उसे गंदा माना जाता है, इसलिए नहीं कि इस्लाम में सूअर को कोई पवित्र दर्जा प्राप्त है. लेकिन गोवध कर हासिल किया गया गाय का मांस तो हिंदू धर्म का घोर अपमान है क्योंकि हिंदू लोग गाय को पवित्र मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं.
गोमांस का पकवान तैयार करना भारतीय संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांतों, 1958 के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए कई निर्णयों के भी खिलाफ है. इन निर्णयों से गोहत्या को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है. जेएनयू की इस गतिविधि पर आइपीसी की धारा 295 और 295ए के तहत कार्रवाई की जा सकती है.
मैं नहीं समझ पा रहा कि छात्रों और शिक्षकों को बीफ और पोर्क के लिए आयोजन समिति गठित करने या कैंपस में इस तरह के गोश्त परोसने वाले समारोह आयोजित करने की क्या जरूरत थीक्या जेएनयू के छात्र यह सीख रहे हैं कि किस तरह से कुक बना जाए और ऐसे देशों के फाइव स्टार होटलों में जाकर काम किया जाए जहां गोमांस लोगों की खुराक में शामिल है?
मैंने इस मामले की जानकारी मंत्री कपिल सिब्बल तक पहुंचा दी है. यदि उदारवाद के नाम पर उकसाने की इस कार्रवाई से संवैधानिक रूप से सशक्त संस्थानों के माध्यम नहीं निबटा गया तो प्राकृतिक न्याय के तहत लोग सीधे कार्रवाई पर उतर सकते हैं.
डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी जनता पार्टी के अध्यक्ष हैं