tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post1270208706103623584..comments2023-10-24T17:01:13.971+05:30Comments on निरामिष: गौहिंसा का विरोध आन्दोलनAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comBlogger70125tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-48334186224614171882012-07-04T23:33:33.440+05:302012-07-04T23:33:33.440+05:30कृपया अपने धरातल, संगत को बदलने की कोशिश करें. हो ...कृपया अपने धरातल, संगत को बदलने की कोशिश करें. हो सकता आप आपके सम्पर्क में ऐसे ही व्यक्ति आये हो. लेकिन हमारे सम्पर्क में तो नहीं गाय के अलावा भी अन्य सभी प्रकार के जीवों की हिंसा नहीं होनी चाहिये. लेकिन गाय तो इनमें सर्वप्रथम है इसलिये विरोध करना लाजमी है जैसे कोई अपने माता-पिता को मारने वाले का भी विरोध नहीं कर सकता है तो वह अन्य गलत बातों का क्या विरोध करेगा. मांसाहार आपको अच्छा लगने से ही गुणकारी नहीं हो जाता है ? पहले इसके बारे में सभी तथ्य इकठ्रठे कर लेवें. लोगों को तो न जाने क्या-क्या अच्छा लगता है ? जिसे में बता नहीं सकता, क्या वह सभी अच्छा है ? दूध तो लगभग सभी बच्चे देने वाले प्राणी देते है? आप किन किन का दूध उत्तम मानेगें? जाकिर भाई ये वर्षो की शोध का नतीजा है मात्र कुछ वर्षो की वैज्ञानिक बातों का नतीजा नहीं है. लेकिन बात वही है कि आप मानना चाहे तब है ना ?चाष्टाhttps://www.blogger.com/profile/06917921652600490736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-80504464964551522982012-04-15T21:05:04.453+05:302012-04-15T21:05:04.453+05:30aap gaumans ke sambandh me phailaye ja rahe kuchh ...aap gaumans ke sambandh me phailaye ja rahe kuchh bhramo ke nivaran ke liye is lekh ko padhen <br /><a href="http://nationalizm.blogspot.in/2012/04/blog-post.html" rel="nofollow">महाभारत ,गाय और राजा रन्तिदेव :एक और इस्लामिक कम्युनिस्ट कुटिलता </a><br />http://nationalizm.blogspot.in/2012/04/blog-post.htmlअंकित कुमार पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/02401207097587117827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-76164851179249205932012-01-28T11:23:17.371+05:302012-01-28T11:23:17.371+05:30आप का दिल से शुक्रिया जो आप ने ब्लॉग पर आकर अपने ...आप का दिल से शुक्रिया जो आप ने ब्लॉग पर आकर अपने अमूल्य विचार रखे आगे भी आप के सहयोग की उम्मीद रहेगी . इस विषय से कोई भी जानकारी या सुझाव आप 'गौ वंश रक्षा मंच 'http://gauvanshrakshamanch.blogspot.com/ पर भी रखेगे ऐसी आशा है .गाय हम सब की माँ है इसे बचाने के प्रयास में हम सब को एक जुट होना पड़ेगाavanti singhhttps://www.blogger.com/profile/05644003040733538498noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-41340851127996755952011-12-15T23:12:49.522+05:302011-12-15T23:12:49.522+05:30प्रदेश के आठों प्रकार के कसाईयों का जमकर विरोध होन...प्रदेश के आठों प्रकार के कसाईयों का जमकर विरोध होना चाहिए।<br />अनुमन्ता, विशसिता निहन्ता क्रयविक्रयी ।<br />संस्कर्ता चोपहर्ता च खादकश्चेति घातकाः ॥५१॥ मनुस्मृति<br /><br />सम्मति देने वाला, अंग काटने वाला, मारने वाला, खरीदने वाला, बेचने वाला, पकाने वाला, परोसने वाला, खाने वाले - ये सब घातक हैं । अर्थात् मारने वाले आठ कसाई होते हैं । ऐसे हिंसक कसाई अधर्मियों के लोक परलोक दोनों बिगड़ जाते हैं ।<br /><br />यह कत्लखाने, कसाईघर, सेल्टरहाउस, बुचड़खाने स्थापित नहीं होने चाहिए, यह पशुधन के लिए सक्षात नरक समान है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-35861102358751286642011-09-11T09:45:28.050+05:302011-09-11T09:45:28.050+05:30अनुराग जी,
आपनें तो पूरक में मुस्लिम समुदाय द्वार...अनुराग जी,<br /><br />आपनें तो पूरक में मुस्लिम समुदाय द्वारा संकल्प इंडिया के तत्वाधान में हो रहे इस महान करूणा यज्ञ की जानकारी देकर, सदाचारों के क्रियान्वन पर आस्था व आशा दृढ कर दी है। लोग आज भी विवेक से सच्चे उपदेश ग्रहण कर सदाचार में सक्रीय है। सलाम करता हूं इन मुस्लिम बंधुओं को। <br /><br />गौरव जी, अनुराग जी,<br /><br />इतना अभिभूत हूँ कि उनके सम्मान में उत्तम वाक्य रचना भी सामर्थ्य के बाहर है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-77523390104690270872011-09-11T09:33:30.904+05:302011-09-11T09:33:30.904+05:30गौरव जी,
आपने बहुत ही विशिष्ठ जानकारी शेयर की। गर...गौरव जी,<br /><br />आपने बहुत ही विशिष्ठ जानकारी शेयर की। गर्व होता है श्रीमान अब्दुल वहीद ज़ी समान बंधु विवेकयुक्त सद्भाभावनाएं और सम्वेदनाएं न केवल धारण करते है बल्कि औरों में भी जाग्रति प्रेरित करने का भागीरथ कार्य करते है।<br /><br />आपकी प्रदत्त अन्य जानकारियां भी उत्तम पठन योग्य है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-66398582851014818842011-09-11T09:17:33.941+05:302011-09-11T09:17:33.941+05:30दास्तान-ए-अवध की जानकारी के लिये आभार, गौरव! हरयाण...दास्तान-ए-अवध की जानकारी के लिये आभार, गौरव! हरयाणा के मेवात में गौ हत्या को रोकने के अभियान के अंतर्गत मुस्लिम समुदाय द्वारा संकल्प इंडिया के सहयोग से 150,000 गायें पाली जा रही हैं। <br /><a href="http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/4456704.cms" rel="nofollow">http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/4456704.cms</a><br /><br />विषय का दूसरा पहलू यह भी है कि शहरों में दर-दर की ठोकरें खाने वाली बहुत सी गायें मुसलमानों की हैं जो कि गोग्रास खिलाने वालों के बल पर पलने के लिये छोड दी जाती हैं। यहाँ देखिये फ़ज़िल्का की एक खबर: <a href="http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_6693617.html" rel="nofollow">http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_6693617.html</a><br /><br />सुज्ञ जी, इस समस्या पर भी एक पोस्ट सलाह, सम्भावना और सुझाव के साथ आनी चाहिये।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-81873174601776466222011-09-11T09:00:14.021+05:302011-09-11T09:00:14.021+05:30लखनऊ से प्रकाशित होने वाला साप्ताहिक हिंदी समाचार ...लखनऊ से प्रकाशित होने वाला साप्ताहिक हिंदी समाचार पत्र 'दास्तान-ए-अवध' गोहत्या के खिलाफ लेख प्रकाशित कर मुस्लिम समुदाय के लोगों से गोकशी के खिलाफ एकजुट होकर विरोध करने का आह्वान कर रहा है.<br /><br />समाचार पत्र के सम्पादक अब्दुल वहीद (49) ने बताया, "समाचार पत्र में हम राजनीति, खेल, व्यापार व अन्य मुद्दों पर खबरें देने के अलावा यह सुनिश्चित करते हैं कि गाय के महत्व पर कम से कम एक लेख प्रकाशित करें."<br /><br />http://www.samaylive.com/regional-news-in-hindi/uttar-pradesh-news-in-hindi/128381/weekly-newspaper-run-by-muslims-cow-flesh-cow-flesh-ban-mr-vahid.html<br /><br />गाय जैसा था प्राचीन मानव का रिश्तेदार <br /><br />http://www.khaskhabar.com/early-age-mans-relative-look-like-cow-052011042164946067.html#<br /><br /><br />गो विज्ञान से परिचित होंगे बच्चे...... बदलते जमाने में देश की गाय के आर्थिक व वैज्ञानिक पक्ष की जानकारी बहुत कम लोगों को है<br /><br />http://in.jagran.yahoo.com/news/local/jharkhand/4_8_8182299.htmlएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-56353108719379592052011-09-10T23:15:45.551+05:302011-09-10T23:15:45.551+05:30आदरणीय भाई सुज्ञ जी, सबसे पहले डेरी के लिए क्षमा च...आदरणीय भाई सुज्ञ जी, सबसे पहले डेरी के लिए क्षमा चाहता हूँ| पता नही यह लेख कैसे छूट गया?<br />बहरहाल मैंने मिस कॉल कर दिया है व अपने मित्रों को भी इसके लिए प्रेरित करूँगा|<br /><br />आपकी, डॉ. जाकिर अली, भाई गौरव जी व वीरेंद्र जी की चर्चा पढी|<br />बहुत कहा जा चूका है| मुझे तो यही लगता है की डॉ जाकिर अली की सभी टिप्पणियाँ निराधार हैं| अव्वल तो यह ब्लॉग सभी प्रकार की जीव हत्या के विरोध में काम कर रहा है| डॉ अली को ले दे कर गौ हत्या की बात को पीछे धकेलना है और इसके लिए जबरदस्ती के तर्क गड़े जा रहे हैं|<br />यदी गौ हत्या के विरोध में आवाज़ उठा दी तो इतनी हाय तौबा क्यों?<br />यहाँ हमेशा जीव दया की बात कही गयी है, और आज केवल गौ हत्या का विरोध किया तो उसके विरोध में ऊट-पतंग तर्क गढ़ना बिलकुल निराधार है|दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-76189092592346776362011-09-10T23:08:00.492+05:302011-09-10T23:08:00.492+05:30सुज्ञ जी
मेरी मेरी इस [डिलीट हुयी ] टिप्पणी
&quo...सुज्ञ जी<br />मेरी मेरी इस [डिलीट हुयी ] टिप्पणी<br />"इस चर्चा से एक नतीजा और निकला है की शाकाहार समर्थकों को दोगला , दिखावेबाज , झूठा भी समझा जाता है , चाहे वे पचासों प्रमाण दें"<br /><br />के प्रति उत्तर में आपकी बात पढ़ कर खुद को दिखावेबाज कहने का मन हो रहा है :) :)एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-1433615232783037252011-09-10T22:56:28.104+05:302011-09-10T22:56:28.104+05:30गौरव जी,
नतीजा नहीं,यह आज के युग का 'यथार्थ...गौरव जी,<br />नतीजा नहीं,यह आज के युग का 'यथार्थ' है।<br /><br />दोगला इसलिए कि शाकाहार समर्थक, एक तरफ तो शाकाहारियो का समर्थन करते है, और मांसाहारियों से घृणा भी नहीं कर रहे। है न दोगला व्यवहार?<br /><br />सच को आईना मात्र ही दिखाते है, है न दिखावेबाज़?<br /><br />किसी झूठ से पूछ कर देखों, वह पूछने वाले को ही झूठा करार देगा। इस दृष्टि से है न झूठा?सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-45837291470280667282011-09-10T22:50:50.563+05:302011-09-10T22:50:50.563+05:30मैं तो 'काले' को 'काला' ही कहूँगा ...<b> मैं तो 'काले' को 'काला' ही कहूँगा और 'सफेद' को 'सफेद' भी, आप की मर्जी आप मुझे जो कुछ भी कहो</b>एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-70971000602212603462011-09-10T22:42:46.620+05:302011-09-10T22:42:46.620+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-64111864654813993532011-09-10T22:33:26.460+05:302011-09-10T22:33:26.460+05:30डॉ0 ज़ाकिर अली साहब,
वाकई वाद-विवाद और तू तू-मैं म...डॉ0 ज़ाकिर अली साहब,<br /><br />वाकई वाद-विवाद और तू तू-मैं मैं का मामला है, सार्थक चर्चा करने की तो 'भावना' ही नहीं।<br /><br />शाकाहार समर्थन का दिखावा भी हो सकता है, वे तो यदि न भी निभाएं चलो किसी न किसी को प्रेरणा तो मिलेगी अच्छी'भावनाओं'से।<br /><br /><b>आपकी चिंता जायज है। कई शाकाहारी घरानों के लोग मांसाहार उडाते है। आज कथनी और करनी मैं भयंकर विरोधाभास है। सच में यह दुनिया ऐसी ही है। और आपने तो कहा ही था कि आप उस युग के है जिस युग में सन्ताने माता-पिता को घर से निकाल देती है। चारों और कुसंस्कृति का प्रभाव है। भयंकर विकृति फैली हुई है। और आप इसी यथार्थ के धरातल पर खड़े है। किन्तु मित्र! हम भावनाओं के उडनखटोले पर इसीलिए सवार है,कि हमें वह पतन मंजूर नहीं, हम उड़न गति से दशा और दिशा बदलना चाहते है। बुराई कितनी भी धरा 'तल' स्पर्शी हो गई हो, लोगों की भावनाएं अब बदलनी चाहिए। भावनाएं बदले तो भाव बदले, भाव बदले तो विचार बदलेंगे और अन्ततः कर्म भी बदलेंगे। भावना हमारी यही है कि अब यथास्थिति नहीं, अब तो दशा बदलनी चाहिए…………</b>सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-28492961961510298582011-09-10T22:18:16.212+05:302011-09-10T22:18:16.212+05:30दुनिया स्वर्ग बनेगी ..... जरूर बनेगी
कुछ इस तरह
इ...दुनिया स्वर्ग बनेगी ..... जरूर बनेगी<br />कुछ इस तरह<br /><br />इस लिंक पर जाएँ<br /><br />http://niraamish.blogspot.com/2011/03/blog-post_15.htmlएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-48223875858878404802011-09-10T22:11:02.729+05:302011-09-10T22:11:02.729+05:30प्रिय मित्र,
आप जैसे विज्ञान से जुड़े युवा द्वारा ध...प्रिय मित्र,<br />आप जैसे विज्ञान से जुड़े युवा द्वारा धर्म को बीच में लाना सच में मुझे उलझन में डाल देता है <br />जो बात मानने योग्य थी यहाँ सब ने मानी है<br />~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~<br />Global Agrawal ने कहा…<br />आवारा घूमती गायों पर आपकी चिंता तो फिर भी थोड़ी समझ आ रही है<br /><br />Smart Indian - स्मार्ट इंडियन ने कहा…<br />........ दूसरी बात यह है कि अनाथ गायों की देखभाल भी अवश्य होनी चाहिये और इसके लिये देशभर में जुटकर काम करने की बडी आवश्यकता है।<br /><br />विरेन्द्र ने कहा…<br />जाकिर साब के अभी तक के अंतिम कमेन्ट में मेरे हिसाब से काफी दम हैं!<br />~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~<br />मित्र ,<br />मेरे ख़याल से अब आप भावुक हो रहे हैंएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-8422757979002306212011-09-10T21:50:27.172+05:302011-09-10T21:50:27.172+05:30सुज्ञ जी, सारी दिक्कत यह है कि मैं यथार्थ के धरात...सुज्ञ जी, सारी दिक्कत यह है कि मैं यथार्थ के धरातल पर खड़ा हूं और आप भावनाओं के उडनखटोले पर सवार... <br />पर दुनिया भावनाओं से नहीं चलती मित्र, इसलिए आपके जैसे अनेक सुभेच्छुओं के बावजूद दुनिया में मांसाहार बढ़ रहा है। बाकी वाद-विवाद, तू तू-मैं मैं तो चाहे जब तक चलाते रहें... <br />लोग यहां आएंगे, भावनावश या दिखावावश आपका समर्थन कर जाएंगे और मौका मिलते ही बिरयानी उड़ाएंगे। मैं व्यक्गितगत रूप से ऐसे बहुत से लोगों को जानता हूं। <br />यह दुनिया ऐसी ही है मित्र। बाहर से कुछ और, अंदर से कुछ और। वर्ना जितनी चिन्ताएं लोग ब्लॉग जगत पर जताते हैं, उनके आधे भी अगर वास्तव में अपनी कथनी के अनुरूप हो जाएं, तो यह धरती स्वर्ग बन जाए।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-69586815218310333202011-09-10T14:58:27.632+05:302011-09-10T14:58:27.632+05:30पोस्ट पर आपका स्वागत है
मित्रो...गौ माता की कर...पोस्ट पर आपका स्वागत है<br /><br /> <a href="http://sawaisinghrajprohit.blogspot.com/2011/02/20.html" rel="nofollow"> मित्रो...गौ माता की करूँ पुकार सुनिए और कम से कम 20 लोगो तक यह करूँ पुकार पहुँचाईए</a><br /><br /> <a href="http://sawaisinghrajprohit.blogspot.com/2011/03/blog-post.html" rel="nofollow"> गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिक</a><br /><br /><a href="http://sawaisinghrajprohit.blogspot.com/2011/08/blog-post.html" rel="nofollow"> तुम मुझे गाय दो, मैं तुम्हे भारत दूंगा</a>Sawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/12180922653822991202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-16474382037707718232011-09-10T14:52:02.090+05:302011-09-10T14:52:02.090+05:30आदरणीय सुज्ञ जी,
हमारे जीवन में गो माता का कितना ...आदरणीय सुज्ञ जी,<br /> हमारे जीवन में गो माता का कितना महत्व हैं, ये आज मानव को यह जान लेना बेहद जरुरी हो गया है और सार्थक पोस्टSawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/12180922653822991202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-44695210272775283522011-09-09T16:02:35.221+05:302011-09-09T16:02:35.221+05:30हा हा
बढ़िया है ऐसी चर्चाएँ होती रहनी चाहिए वरना लो...हा हा<br />बढ़िया है ऐसी चर्चाएँ होती रहनी चाहिए वरना लोग साइडबार और पुराने विचारणीय लेख देखना ही बंद कर देंगे [इससे भी गैर-जरूरी विरोध पैदा होता है ]<br />वैसे भी निरामिष ऐसे ब्लोग्स में से है जिनका इंटरफेस मुझे सबसे बेहतर लगता है , इसमें हर लेख ढूँढने की सुविधा है<br />तभी तो मैं हर अच्छे ब्लोगर को ऐसा इंटरफेस अपनाने के सलाह देता रहा हूँएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-91489882414195093312011-09-09T14:36:17.452+05:302011-09-09T14:36:17.452+05:30डॉ0 ज़ाकिर अली साहब,
मांसाहार में कमी आने से इसी प...डॉ0 ज़ाकिर अली साहब,<br /><br />मांसाहार में कमी आने से इसी पृथ्वी पर अनाज की अधिकता हो जाएगी, इस तथ्य को हमनें साक्ष्यों और तुल्नात्मक आंकडो सहीत ब्लॉग़ पर रखा था। उस समय शायद आपने पूरा ध्यान नहीं दिया।<br /><br />आप फिर से उस वैज्ञानिक चिंतन का अध्ययन कर सकते है।<br /><br /><a href="http://niraamish.blogspot.com/2011/05/blog-post_27.html" rel="nofollow">यदि अखिल विश्व शाकाहारी हो जाय तो………???</a><br /><br />आप विभिन्न तर्कों के समाधान के लिये "तर्कसंगत" टैब में सूची दी गई है। सभी लेख देख सकते है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-38291914641142152002011-09-09T10:32:36.362+05:302011-09-09T10:32:36.362+05:30पर्यावरण संबंधी तर्कों के उत्तर यहाँ भी हैं
http:...पर्यावरण संबंधी तर्कों के उत्तर यहाँ भी हैं<br /><br />http://michaelbluejay.com/veg/environment.html<br /><br />मित्रों,<br />ये साईट निरामिष ब्लॉग की साइड बार में लगी हुई है, मेरा अनुरोध है इन साइड बार में लगी साइट्स को एक बार अवश्य देखेंएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-24520515038033985602011-09-09T10:28:25.916+05:302011-09-09T10:28:25.916+05:30@जाक़िर साहब के पास कोई और 'ठोस' तर्क होगा ...@जाक़िर साहब के पास कोई और 'ठोस' तर्क होगा इस अनावश्यक विरोध के पिछे<br /><br />सुज्ञ जी,<br />हाँ जरूर होगा... बस धर्म की जगह "विज्ञान" + "व्यवहारिक जीवन" के दायरे में हो तो चर्चा में मजा आएगा<br />फिलहाल इस चर्चा से ये धारणा सही सिद्ध होती नजर आ रही है की<br />"गाय मानव मात्र की माता है "<br />सुज्ञ जी को इस पोस्ट के लिए धन्यवादएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-29544724086730111312011-09-08T22:20:50.171+05:302011-09-08T22:20:50.171+05:30डॉ0 ज़ाकिर अली साहब, आप अपने बारे में उल्लेख करते ह...<b>डॉ0 ज़ाकिर अली साहब, आप अपने बारे में उल्लेख करते हुए कहते है,कि "आप उस समय के इंसान से मुखातिब हैं, जो अपने सगे मां बाप को मरने के लिए सडक पर छोड देता है, फिर गाय तो एक जानवर ही ठहरी।"</b><br /><br />लगता है आपनें यह नैतिक पतन स्वीकार कर लिया है। और समय के अनुसार यहां तक बढ चले है कि अब बस दोनो में हिंसा की प्रथा पडना ही बाकी है।<br /><br />लेकिन हम नैतिक जीवनमूल्यों की पुनर्स्थापना के लिए संघर्षरत है। बुराई को इतनी सहजता से स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है। हम इस सोच से घृणा करते है कि "बुराई इतनी बढ़ गई है तो थोडी और बढ़ाने में क्या बुरा है"सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-15544965060099185432011-09-08T21:52:50.097+05:302011-09-08T21:52:50.097+05:30नहीं नहीं गौरव जी, जाक़िर साहब के पास कोई और 'ठ...नहीं नहीं गौरव जी, जाक़िर साहब के पास कोई और 'ठोस' तर्क होगा इस अनावश्यक विरोध के पिछे।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.com