tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post2501322354986832500..comments2023-10-24T17:01:13.971+05:30Comments on निरामिष: शाकाहार में भी हिंसा? एक बड़ा सवाल!! (उतरार्ध)Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comBlogger47125tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-20512486842020260112012-10-20T17:37:31.972+05:302012-10-20T17:37:31.972+05:30Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-11623296876544425842012-02-15T18:27:44.582+05:302012-02-15T18:27:44.582+05:30बहुत बहुत आभार अल्का जी,
सर्वत जमाल जी को अच्छे से...बहुत बहुत आभार अल्का जी,<br />सर्वत जमाल जी को अच्छे से जानता हूँ, बहुत ही कोमल हृदय इन्सान है। और आप तो ज़डी-बुटी व आयुर्वेद विशेषज्ञ है। बेहतर जानती है शाकाहारी भोजन निरामय-निरोगी है। बहुत बहुत शुक्रिया!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-61614590510958060112012-02-15T17:46:56.121+05:302012-02-15T17:46:56.121+05:30अच्छी बहस छिडी है भाई,लेख में भी ,कमेन्ट में भी.
...अच्छी बहस छिडी है भाई,लेख में भी ,कमेन्ट में भी.<br /><br />यह बहस तो मेरे घर में रोज होती है ,मेरे साहब मांसाहारी रहे हैं ,मैं लहसुन प्याज से भी परहेज रखती हूँ ,अब बहस तो होगी ही पर खाते वही हैं जो मेरी रसोई में पकता है. सिर्फ शाकाहारी भोजन ने उन्हें कई रोगों से मुक्त कर दिया है. शाकाहार उत्तम तो है ही.<br /><br />मेरा ख़याल है कि जान बचाने के लिए अगर कुछ भी उपलब्ध नहीं है तो आप आदमी के मुर्दे का भी मांस खाएं तो दोष नहीं होगा लेकिन जब खाने की और चीजे मौजूद हो तो मांस से दूर ही रहना चाहिए.alka mishrahttps://www.blogger.com/profile/01380768461514952856noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-15291985842650699952012-01-06T21:11:51.861+05:302012-01-06T21:11:51.861+05:30@सुज्ञ जी और @Smart Indian - स्मार्ट इंडियन जी,
आ...@सुज्ञ जी और @Smart Indian - स्मार्ट इंडियन जी,<br /><br />आप दोनों से क्षमा चाहूँगा की आपकी मूल पोस्ट्स के विषय में टिप्पणी करने की जगह ऐसी टिप्पणियाँ करनी पड़ रहीं हैं लेकिन क्या करें -<br /><br /><b>" जमाल जी हैं की मानते नहीं "</b>आखिर कौन है ये नरेंद्र मोदी https://www.blogger.com/profile/00599233479119409630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-50433685769157030532012-01-06T21:11:09.634+05:302012-01-06T21:11:09.634+05:30अलग अलग शाकाहारियों का मेन्यू अलग अलग होता है। इसम...<i>अलग अलग शाकाहारियों का मेन्यू अलग अलग होता है। इसमें कौन सी बात मूर्खतापूर्ण है भाई साहब ?<br />कोई दूध को शाकाहार में गिनता है और कोई मांसाहार में। यही बात मछली के बारे में भी है।</i><br /><br />@DR. ANWER JAMAL जी ,<br /><br />आप किसी ओर की नहीं अपनी बात करें की आप दूध ओर मछली को मांसाहार में गिनते हैं या शाकाहार में ,अगर किसी ओर की ही बात करनी है तो आपके इस कुतर्क पर तो पलटकर ये कुतर्क भी दिया जा सकता है की आज बहुत से लोग इस्लाम को आतंकवाद का जनक मानते हैं <br />तो इसे आप समझदारी कहेंगे या मूर्खता ?? क्या आप इसे अज्ञानता एवं मूर्खता नहीं कहेंगे या फिर यहाँ भी आप diplomatic होकर कहेंगे की ये उनका अपना मेन्यू ( or dictionery ) है और आपको उनकी इस राय पर कोई आपत्ति नहीं है <br /><br />मुझे तो आपके दूध को मांसाहार और मछली को शाकाहार में गिनने में घोर आपत्ति है और वही मैं आपके समक्ष दर्ज करवा रहा हूँ <br /><br />आपके जैसा ही कुतर्क बेनजीर भुट्टो ने भी कश्मीर के आंतकवादियों की हिंसक गतिविधियों का समर्थन करते हुए दिया था की भारतीयों के लिए भले ही ये आंतकवाद हो लेकिन हमारे मुताबिक़ तो ये आजादी की लड़ाई है <br /><br />यहाँ भी उनका मेन्यू अलग था और भारत का अलग लेकिन जब वैसी ही हिंसक गतिविधियां उनके अपने घर पाकिस्तान में होनी शुरू हुई तब उन्हें आंतकवाद और आजादी की लड़ाई के बीच में फर्क महसूस हुआ <br /><br />इसलिए कृपया अर्थ का अनर्थ करने से बचें और चीज़ों को उनकी मूल प्रकर्ति के अनुरूप ही प्रयुक्त करें <br /><br />बाकी detail में तो भाई @अमित शर्मा ने आपको समझा ही दिया है और संक्षिप्त में उन्ही की टिप्पणी की एक पंक्ति जो की मुझे आपके लिए उपयुक्त प्रतीत हुई वो यहाँ दे रहा हूँ <br /><br /><b>" थोथा ज्ञानाभिमानी वास्तव में निरक्षरभट्टाचार्य से भी गया बीता होता है "</b>आखिर कौन है ये नरेंद्र मोदी https://www.blogger.com/profile/00599233479119409630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-34138782151628193412012-01-05T19:37:57.804+05:302012-01-05T19:37:57.804+05:30@ इसमें कौन सी बात मूर्खतापूर्ण है भाई साहब ?
अनव...@ इसमें कौन सी बात मूर्खतापूर्ण है भाई साहब ?<br /><br />अनवर जमाल साहब, इसमें मूर्खतापूर्ण यह है कि आपने कहा था भारत की तरह, और महाशय भारत में शाकाहार मांसाहार का स्पष्ठ वर्गीकरण है और शाकाहारियों का एक ही मेन्यू है। यहाँ दूध अंडे या मछली को कोई शाकाहार नहीं कहता। और विदेशों में तो वर्गीकरण और भी सुक्ष्म हो चला है, वहां वेगन, लेक्टो-शाकाहारी, और शाकाहारी सब कुछ स्पष्ठ है। किसी नादान (मूर्ख) नें कुछ का कुछ सुनकर, कुछ लाकर धर दिया तो यह उसकी व्यक्तिगत गलती है। शाकाहार अपने आप में क्लियर मैटर है।<br /><br />टिप्पणी तो पहले आपकी प्रकाशित हुई थी, उस पर ही तो प्रश्नवादी जी नें आपसे प्रतिप्रश्न किया है। व्यक्तिगत कहने की आपको बड़ी सश्कायत है? सम्माननीय ब्लॉगर रचना जी का उल्लेख व्यक्तिगत नाम से क्यों?<br /><br />उसी तर्ज़ में ? आप तो उसी तर्ज़ पर आने ही है, इसमें नया क्या है।<br /><br />मोडरेशन नई पोस्ट जो एक पहेली है उसके लिए लगाया गया है, मात्र आपके लिए नहीं, आप करते रहिए टिप्पणी, समय मिलते ही प्रकाशित की जाएगी। कृपया लिंक न डालें।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-20518522822878626372012-01-05T19:15:28.771+05:302012-01-05T19:15:28.771+05:30@ प्रश्नवादी ! जब सभ्यता और समझ आ जाएगी तब आप व्यक...@ प्रश्नवादी ! जब सभ्यता और समझ आ जाएगी तब आप व्यक्तिगत आक्षेप न करके दिए गए तथ्यों पर बात करेंगे।<br />अलग अलग शाकाहारियों का मेन्यू अलग अलग होता है। इसमें कौन सी बात मूर्खतापूर्ण है भाई साहब ?<br />कोई दूध को शाकाहार में गिनता है और कोई मांसाहार में। यही बात मछली के बारे में भी है।<br />व्यक्तिगत आक्षेपयुक्त टिप्पणियां आपने कीं तो सुज्ञ जी ने प्रकाशित कर दीं। कोई प्रतिपक्ष समर्थक आकर इस तरह की टिप्पणी कर देता तो वह यहां से हटा दी जाती। <br />यह तरीक़ा ठीक नहीं है।<br />आपके कमेंट के फ़ौरन बाद मॉडरेशन लगा भी दिया है। रूप बदलकर ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए और न ही प्रकाशित करनी चाहिएं जिनका जवाब उसी तर्ज़ में झेलने से डर लगता हो।<br />http://vedquran.blogspot.com/2012/01/sufi-silsila-e-naqshbandiya.htmlDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-32204951509892626292012-01-05T18:30:13.421+05:302012-01-05T18:30:13.421+05:30@DR. ANWER JAMAL जी ,
आपकी इन मूर्खतापूर्ण बातों...@DR. ANWER JAMAL जी ,<br /><br />आपकी इन मूर्खतापूर्ण बातों से आप कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह के भाई प्रतीत होते हैं <br />जिस प्रकार से वो अन्ना को बदनाम और अपने भ्रष्ट साथियों का बचाव करते हैं उसी प्रकार से आप शाकाहार को बदनाम और मांसाहार का बचाव करते हैं <br /><br />यहाँ पर निरामिष एवं शाकाहार को मिल रहे भरपूर समर्थन से बौखलाकर आप जो अजीब सी टिप्पणियाँ कर रहे हैं उसे आधार बनाकर अगर आपके बारे में निम्नलिखित पंक्ति कही जाए तो निश्चित ही अतिशयोक्ति नहीं होगी -<br /><br />" खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे "<br /><br />[ वैसे इस पंक्ति में बिल्ली की जगह पर आप अपने आपको बिल्ला संबोधित कर सकते हैं :) :) ]आखिर कौन है ये नरेंद्र मोदी https://www.blogger.com/profile/00599233479119409630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-9190603982719455572012-01-05T18:04:09.710+05:302012-01-05T18:04:09.710+05:30ब्लॉगर रचना बैंकॉक गईं तो उन्होंने खाने के लिए वेज...ब्लॉगर रचना बैंकॉक गईं तो उन्होंने खाने के लिए वेज बर्गर मंगाया। मैक्डोनल्ड ने उन्हें बीफ़ बर्गर दिया। वहां गाय का मांस शाकाहार ही माना जाता है।<br />भारतीय संस्कृति की तरह ही विश्व संस्कृति भी बड़ी अद्भुत है।<br />यह जानना सचमुच एक अजीब बात है कि मांस उन लोगों के भोजन का भी हिस्सा है जो कि शाकाहारी हैं और शाकाहार की प्रेरणा देते हैं।<br />शाकाहार क्या है ?<br />लोग इस पर भी एकमत नहीं हैं।<br /><b>उड़ीसा हो या जापान, मछली को शाकाहार में ही गिना जाता है Vegetarianism </b><br />http://aryabhojan.blogspot.com/2012/01/vegetarianism.htmlDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-48231459897125234442012-01-05T17:23:14.583+05:302012-01-05T17:23:14.583+05:30सूक्ष्म हिंसा अपरिहार्य हो, फिर भी द्वेष व क्रूर भ...सूक्ष्म हिंसा अपरिहार्य हो, फिर भी द्वेष व क्रूर भावों से बचे रहना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए । यही अहिंसक मनोवृति है। न्यून से न्यूनतम हिंसा का विवेक रखना ही तो हमारे मानवीय जीवन मूल्य है। हिंसकभाव से भी विरत रहना अहिंसा पालन है। बुद्धि, विवेक और सजगता से अपनी आवश्यकताओं को संयत व सीमित रखना, अहिंसक वृति की साधना है<br />...ekdam sachi kaha aapne..<br />..bahut badiya jaankari...<br />Navvarsh kee aapko spariwar haardik shubhkamnayen!कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-77432992795683167032012-01-05T12:20:19.761+05:302012-01-05T12:20:19.761+05:30@प्रश्नवादी जी,
आभार शुभकामनाओं के लिए, आप भी समर...@प्रश्नवादी जी,<br /><br />आभार शुभकामनाओं के लिए, आप भी समर्थक है आपको भी बधाई!!<br /><br />@वाणी जी,<br /><br />इस प्रोत्साहन के लिए लाख लाख शुक्रिया!!<br /><br />@देवांशु निगम जी,<br /><br />इस प्रोत्साहन के लिए बंधु आभार!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-53288571587503842552012-01-05T11:58:50.203+05:302012-01-05T11:58:50.203+05:30बढ़िया जानकारी, शुक्रिया!!!!बढ़िया जानकारी, शुक्रिया!!!!देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-76275731668217236152012-01-05T08:39:59.568+05:302012-01-05T08:39:59.568+05:30शाकाहार और मांसाहार के विभेद को बहुत विस्तार से सम...शाकाहार और मांसाहार के विभेद को बहुत विस्तार से समझाया !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-9814711349664131782012-01-05T02:12:34.690+05:302012-01-05T02:12:34.690+05:30भोजन के लिए अनाज की प्रायः उपज ली जाती है , फसल का...<b>भोजन के लिए अनाज की प्रायः उपज ली जाती है , फसल काटकर अनाज तब प्राप्त किया जाता है, जब पौधा सूख जाता है। इस उपक्रम में वह अपना जीवन चक्र पूर्ण कर चुका होता है, और स्वयं निर्जीव हो जाता है। ऐसे में उसके साथ हिंसा या अत्याचार जैसे अन्याय का प्रश्न ही नहीं होता, इसलिए सूखे अनाज का आहार सर्वोत्कृष्ट आहार है।</b><br /><br /><br />@सुज्ञ जी ,<br /><br />आपकी इन पंक्तियों ने मेरे मन में भी व्याप्त एक उलझन का काफी हद निवारण किया ,इसके लिए आपका बहुत-२ धन्यवाद और साथ ही निरामिष मिशन के एक वर्ष पूरे होने पर बहुत-२ बधाईआखिर कौन है ये नरेंद्र मोदी https://www.blogger.com/profile/00599233479119409630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-79067544240636819402012-01-04T20:12:55.325+05:302012-01-04T20:12:55.325+05:30डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी,
बहुत बहुत आभार आप...डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी,<br /><br />बहुत बहुत आभार आपका, इसीतरह प्रोत्साहन बनाए रखें।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-55704858495677238292012-01-04T20:11:35.624+05:302012-01-04T20:11:35.624+05:30पदमसिहं जी,
आप पधारे बहुत ही आभार आपका, स्नेह बना...पदमसिहं जी,<br /><br />आप पधारे बहुत ही आभार आपका, स्नेह बनाए रखिएगा। शुभकामनाओं के लिए आभार मित्र!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-45808410489051422262012-01-04T20:08:21.099+05:302012-01-04T20:08:21.099+05:30अमित जी,
सारा श्रेय मुझ नन्ही जान पर डाल कर अपने ...अमित जी,<br /><br />सारा श्रेय मुझ नन्ही जान पर डाल कर अपने अवदानों को छिपा लेना चाहते है? आपके सहयोग और आश्रय के बिना निरामिष को यह विकास न मिलता।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-19680754787872932772012-01-04T20:00:46.422+05:302012-01-04T20:00:46.422+05:30@ "सूक्ष्म हिंसा अपरिहार्य हो, फिर भी द्वेष व...@ "सूक्ष्म हिंसा अपरिहार्य हो, फिर भी द्वेष व क्रूर भावों से बचे रहना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए । यही अहिंसक मनोवृति है।"<br /><br />शाकाहार संबंधी सभी निष्कर्षों का सार समाया हैं इन पंक्तियों में, उतरोत्तर अहिंसक होते जाना ही मुक्ति का मार्ग है।Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-34838945557375966142012-01-04T19:58:38.790+05:302012-01-04T19:58:38.790+05:30संगीता पुरी जी,
आलेख को पसंद करने व प्रोत्साहक सू...संगीता पुरी जी,<br /><br />आलेख को पसंद करने व प्रोत्साहक सूचन रखने के लिए आपका आभारसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-7964620459100512602012-01-04T19:57:14.260+05:302012-01-04T19:57:14.260+05:30राकेश जी,
गौरव जी,
अनुराग जी,
आलेख को पसंद करने ...राकेश जी, <br />गौरव जी,<br />अनुराग जी,<br /><br />आलेख को पसंद करने और शाकाहार को बढ़ावा देने के लिए आपका आभारसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-16161727276534848822012-01-04T19:55:19.414+05:302012-01-04T19:55:19.414+05:30बहुत बहुत बधाई सभी निरामिषगणों को, शाकाहार के प्रच...बहुत बहुत बधाई सभी निरामिषगणों को, शाकाहार के प्रचार मे इस ब्लॉग ने जो महत योगदान दिया है, वह वास्तव में आह्लादकारी है। <br /><br />और इस महान कार्य के लिए श्री हंसराज जी उपाख्य "सुग्य" जी का योगदान सर्वतोभावेन स्तुत्य और अनुगमनीय है। इस एक वर्ष की अल्प समयावधी में निरामिष ने जो उत्कर्ष प्राप्त किया है, वह सुगयजी के वर्णनातीत अथक परिश्रमसाध्य व विशदशोधपूर्ण लेखों से ही संभव हो पाया है।Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-15266669617404343082012-01-04T19:54:34.961+05:302012-01-04T19:54:34.961+05:30डॉ. जेन्नी शबनम जी,
शाकाहारी जीवन मूल्यों को प्रो...डॉ. जेन्नी शबनम जी,<br /><br />शाकाहारी जीवन मूल्यों को प्रोत्साहन देने के लिए आपका आभारसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-45771798487924539082012-01-04T18:01:05.795+05:302012-01-04T18:01:05.795+05:30samyyyr जी,
आपनें ब्लॉग पढ़ा ही नहीं तो अब आपको क्...samyyyr जी,<br /><br />आपनें ब्लॉग पढ़ा ही नहीं तो अब आपको क्या कहें, लाजिमि है आपका आश्चर्य करना। <br /><br />पर स्पष्ट कर दें कि मनुष्य सर्वाहारी नहीं है, वह पदार्थ चुन कर खाता है, माँसाहारी मगरमच्छ की तरह मांस पचाने के लिए सर्वाहार की तरह पत्थर मिट्टी तो नहीं खाता, न मात्र घास से पौष्टिकता पा सकता है।<br /><br />और फुड़ चैन को सुरक्षित रखने के लिए मानव स्वयं को मांसाहारी पशुओं के समक्ष परोस तो नहीं देता?<br /><br />निरामिष पर कईं आलेख है जो इन भ्रांतियों को भी उजागर करते है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-1676426615418526762012-01-04T17:59:37.657+05:302012-01-04T17:59:37.657+05:30सुज्ञ भैया - आप ऐसा न कहें | अभिनन्दन के पात्र तो ...सुज्ञ भैया - आप ऐसा न कहें | अभिनन्दन के पात्र तो आप और आपका यह निरामिष परिवार है जो मुझ जैसे जाने कितने लोगों को सात्विक, और उत्कृष्ट आहार की प्रेरणा दे रहे हैं | आप सभी को मेरा प्रणाम |Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-29328944035755214912012-01-04T17:51:57.538+05:302012-01-04T17:51:57.538+05:30नितिन जैन साहब,
हिंसा और अत्याचार छुपाने के लिए ल...नितिन जैन साहब,<br /><br />हिंसा और अत्याचार छुपाने के लिए लोग अक्सर यही आड़ लेते है, यह तो खान-पान है, हम स्वतंत्र है जो जी में आए खाएं, प्रकृति और पर्या्वरण गया भाड़ में, खान-पान की निन्दा न करो!! किसी भी कारणों सम्वेदनाओं से भी नहीं। बड़ी कुटिल स्थिति है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.com