tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post3415482826231104015..comments2023-10-24T17:01:13.971+05:30Comments on निरामिष: भारतीय संस्कृति में मांस भक्षण?Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-46544234453558712222013-05-31T13:18:04.909+05:302013-05-31T13:18:04.909+05:30जो शाकाहार रहेगा ऊन्हे भगवान सुख वोर समुध्दी देती ...जो शाकाहार रहेगा ऊन्हे भगवान सुख वोर समुध्दी देती है<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02090059237737460804noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-26110026536964516892012-12-26T06:43:44.646+05:302012-12-26T06:43:44.646+05:30:) जो शाकाहार अपनाएँगे उन्हें सद्बुद्धि भी जल्दी आ...:) जो शाकाहार अपनाएँगे उन्हें सद्बुद्धि भी जल्दी आएगी, आभार!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-32270791242473343382011-12-15T14:41:49.922+05:302011-12-15T14:41:49.922+05:30अहिंसा ही सभ्य सुसंस्कृति का मूल तत्व है, और शाकाह...अहिंसा ही सभ्य सुसंस्कृति का मूल तत्व है, और शाकाहार उसकी अभिव्यक्ति की जीवनशैली। धर्म का आधार ही अहिंसक जीवनमूल्यों का सन्देश होता है।<br /><br />पता नहीं माँसाहार में ऐसा क्या है कि लोग अपने मजहब और खुदा की अमृतमयी करूणा भरी वाणी को भी इस मांसलोलुपता के लिए दाँव पर लगा देते है। ईश्वर ऐसे लोगों को सदबुद्धि दे।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-30158644466305272202011-11-27T17:43:58.121+05:302011-11-27T17:43:58.121+05:30समय समय पर ऐसा एक लेख जरूरी हो जाता है
अनुराग जी ...समय समय पर ऐसा एक लेख जरूरी हो जाता है <br />अनुराग जी का बहुत बहुत आभार <br />-------------------------एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-68160268074978132352011-11-23T21:55:02.521+05:302011-11-23T21:55:02.521+05:30अनुराग जी,
बड़ा अद्भुत चिंतन निसृत हुआ है। स्वर्णि...अनुराग जी,<br /><br />बड़ा अद्भुत चिंतन निसृत हुआ है। स्वर्णिम सूत्र है……<br /><br />1-जब दुनिया के कई हिस्से खून के बदल खून और आँख के बदले आंख की मांग कर रहे थे हम विश्वव्यापी हिंसा को पीछे छोड़कर "क्षमा वीरस्य भूषणम" की ओर बढ रहे थे।<br />2-अपने ज्ञान से विश्व को चमत्कृत करने वाली भारतीय सभ्यता "असतो मा सद्गमय" के साथ ही "मृत्योर्मामृतं गमय" की वाहक है। यह संस्कृति न कभी मृतजीवी थी और न ही कभी हो सकती है।<br />3-उन्हें मत मारो जो माता–पिता बनने की योग्यता रखते हैं|<br />4-पूर्ण अहिंसक राजाओं का चक्रवर्ती सम्राट बने रहना अहिंसा की इस जन्मभूमि में ही सम्भव है।<br />5-यदि भारतीय संस्कृति में से भूतदया की बात हटा दी जाये तो एक निर्वात सा बन जायेगा<br />6-परंतु भारत अकेला ऐसा राष्ट्र है जहाँ शाकाहार और अहिंसा हज़ारों साल से आम जीवन का हिस्सा बन सकी है।<br />7-सभी प्राणियों के प्रति दया प्रत्येक भारतीय नागरिक का संवैधानिक कर्तव्य है।(धारा 51 ए (जी) )<br /><br />सत्य की स्थापना भरा आलेख। सभ्यता और संस्कृति के विकासक्रम में शाकाहार के आधार का स्पष्ट आलेखन!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-42387258848206107122011-11-23T19:41:23.850+05:302011-11-23T19:41:23.850+05:30ऐसे आलेख पढ़कर गौरवान्वित होता हूँ मैं तो।ऐसे आलेख पढ़कर गौरवान्वित होता हूँ मैं तो।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-21692549719976511662011-11-23T15:34:24.119+05:302011-11-23T15:34:24.119+05:30बहुत ही सत्य व् सार्थक जानकरी लिखी है जानकारी लिख...बहुत ही सत्य व् सार्थक जानकरी लिखी है जानकारी लिखी है आपने ...धन्यवादतरुण भारतीयhttps://www.blogger.com/profile/06484935775975350578noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-47934790692319765322011-11-22T19:18:09.418+05:302011-11-22T19:18:09.418+05:30बेहद ही बढिया समझाते हुए लिखा है। हमेशा लगे रहो ऐस...बेहद ही बढिया समझाते हुए लिखा है। हमेशा लगे रहो ऐसे बेहतरीन जानकारी देने में।SANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-21041085133782568402011-11-22T17:32:15.579+05:302011-11-22T17:32:15.579+05:30बहुत ही गहरा विश्लेषण किया है आपने ...बहुत कुछ जान...बहुत ही गहरा विश्लेषण किया है आपने ...बहुत कुछ जानने को मिला ,आभार आपकारेखाhttps://www.blogger.com/profile/14478066438617658073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-34668387543071289732011-11-22T10:50:16.444+05:302011-11-22T10:50:16.444+05:30कमाल का उत्कृष्ट चिंतन है.
प्रस्तुति के लिए बहुत ब...कमाल का उत्कृष्ट चिंतन है.<br />प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार आपका.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-64212070309273820992011-11-22T05:12:59.090+05:302011-11-22T05:12:59.090+05:30आभार स्वीकारें..... गहरे शोध और श्रम से इतना सटीक ...आभार स्वीकारें..... गहरे शोध और श्रम से इतना सटीक और सार्थक चिंतन आपने प्रस्तुत किया है ... बहुत सुंदर और संग्रहणीय विवेचन डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.com