tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post5072350924055819778..comments2023-10-24T17:01:13.971+05:30Comments on निरामिष: हिंसा का अल्पीकरण करने का संघर्ष भी अपने आप में अहिंसा है।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-71535780967450021312019-12-15T20:44:15.245+05:302019-12-15T20:44:15.245+05:30नमस्ते जी
अपरिहार्य हिंसा का सही अर्थ आप बता सकती ...नमस्ते जी<br />अपरिहार्य हिंसा का सही अर्थ आप बता सकती हैं??Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10564666588597412146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-85586537809656274772011-12-15T19:46:30.941+05:302011-12-15T19:46:30.941+05:30जब सुक्ष्म हिंसा अपरिहार्य हो, द्वेष व क्रूर भावों...जब सुक्ष्म हिंसा अपरिहार्य हो, द्वेष व क्रूर भावों से बचते हुए, न्यूनता का विवेक रखना, अहिंसक मनोवृति है। हिंसकभाव से विरत रहना भी अहिंसा है। बुद्धि, विवेक और सजगता से अपनी आवश्यकताओं को संयत व सीमित रखना अहिंसक वृति की साधना है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-82975211113979769712011-11-14T12:14:46.280+05:302011-11-14T12:14:46.280+05:30bilkul sahmat |bilkul sahmat |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-44719928910386480902011-06-02T11:33:53.962+05:302011-06-02T11:33:53.962+05:30सुन्दर सन्देश और सार्थक बात कही है!सुन्दर सन्देश और सार्थक बात कही है!Sawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/14297388415522127345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-78167293325852818422011-06-01T19:04:36.011+05:302011-06-01T19:04:36.011+05:30बहुत ही अच्छा और सार्थक प्रयास| धन्यवाद|बहुत ही अच्छा और सार्थक प्रयास| धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-25368554973762593002011-06-01T14:09:57.133+05:302011-06-01T14:09:57.133+05:30Very well said !Very well said !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-14073345561155450632011-06-01T12:32:19.201+05:302011-06-01T12:32:19.201+05:30बहुत सही और सार्थक बात कही है आपने अपने जीवनोपयोगी...बहुत सही और सार्थक बात कही है आपने अपने जीवनोपयोगी लेख मे .....<br />जहाँ तक सम्भव हो हिंसा से दूर रहें ....यदि पूर्ण रुप से अहिंसक नही बन पाते तो हिंसा से दूर रहने का प्रयास तो कर ही सकते हैं |सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-74202454626642933032011-06-01T11:00:00.268+05:302011-06-01T11:00:00.268+05:30उदाहरणों ने विषय को व्यापक अर्थ दिया ...
सार्थक प्...उदाहरणों ने विषय को व्यापक अर्थ दिया ...<br />सार्थक प्रविष्टि ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-6786705931767435722011-06-01T09:37:04.450+05:302011-06-01T09:37:04.450+05:30सुन्दर और उपयोगी विचार। लेश्या की कथा भी पसन्द आयी...सुन्दर और उपयोगी विचार। लेश्या की कथा भी पसन्द आयी। कोई लाख प्रतिरोध करे, मानव असभ्यता से सभ्यता की ओर बढता रहेगा और सभ्यता के साथ-साथ अहिंसा, करुणा और प्रेम की समझ स्वाभाविक रूप से बढेगी ही। हम भारतीय तो अति-भाग्यशाली हैं कि हमारे पूर्वजों मे यह दैवी ज्ञान इतना पहले ही समझा और हमें दिया।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-89781031591164164822011-06-01T02:17:18.637+05:302011-06-01T02:17:18.637+05:30अति सुन्दर हंसराज भाई...सार्थक आलेख...आपसे पूर्णत:...अति सुन्दर हंसराज भाई...सार्थक आलेख...आपसे पूर्णत: सहमत...<br />जैन दर्शन का दृष्टांत बहुत अच्छा लगा...यह सच में एक श्रेष्ठ उदाहरण है...दिवसhttps://www.blogger.com/profile/07981168953019617780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-50165744735562228142011-05-31T20:55:20.125+05:302011-05-31T20:55:20.125+05:30बहुत सार्थक और संतुलित विवेचन ....... सुंदर उदहारण...बहुत सार्थक और संतुलित विवेचन ....... सुंदर उदहारण लिए... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-45072001492254567152011-05-31T16:10:23.617+05:302011-05-31T16:10:23.617+05:30प्रतुल जी,
पुष्प-चयन की आपकी बात से सहमत हूँ। जहा...प्रतुल जी,<br /><br />पुष्प-चयन की आपकी बात से सहमत हूँ। जहाँ तक सम्भव हो पूजा आदि में तोडे पुष्प की जगह स्वत: पौधे से अलग हुए पुष्पों का चयन करना चाहिए। जो कोई भी पौधे को बिलकुल हानि न पहुचाना चाहे, देव की पुष्प रहित पूजा करे। मैं समझता हूँ इस भाव से पूजा करने पर देव अधिक प्रसन्न ही होंगे। ईश्वर द्वारा सामग्री पूजा से अधिक भाव पूजा स्वीकार की जाती है।<br /><br />हमारी संस्कृति में तो "काटना" शब्द आज भी कई जगह प्रयुक्त नहीं होता। सब्जी के लिए भी 'सब्जी सुधारना' या 'सब्जी संवारना' शब्द द्वारा वाचिक हिंसा से बचा जाता है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-61607695021708711312011-05-31T15:59:39.936+05:302011-05-31T15:59:39.936+05:30प्रतुल जी,
यह विचार मात्र आपके अन्तर के ही नही, ब...प्रतुल जी,<br /><br />यह विचार मात्र आपके अन्तर के ही नही, बल्कि अधिकतर आपके प्रकट विचारों का उपयोग भी करता हूँ। प्रेरणा आप सभी के यत्र तत्र बिखरी टिप्पणियों से ही लेता ही हूँ। जैसे गत पोस्ट में आप अपने विचारों का प्रतिबिंब देख सकते है।<br />आपके विनम्र प्रोत्साहन का आभार मित्र!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-34126673930659008492011-05-31T15:43:26.096+05:302011-05-31T15:43:26.096+05:30अतः यह पूरी तरह सही है
"...मन की मनोवृतियों ...अतः यह पूरी तरह सही है <br />"...मन की मनोवृतियों का क्रूरत्तम से शुभ्रतम होते चलना निश्चित ही श्रेष्ठ भाव है।"प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-9901180649135697252011-05-31T15:40:47.024+05:302011-05-31T15:40:47.024+05:30पुष्प डाल पर लगे-लगे जितनी दुर्गन्ध सोखता है और सु...पुष्प डाल पर लगे-लगे जितनी दुर्गन्ध सोखता है और सुगंध फैलाता है उतनी टूट जाने पर नहीं ... उसका डाल पर लगे रहना परमात्मा की कृति प्रकृति की पूजा ही तो है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-29672262004467278472011-05-31T15:39:53.117+05:302011-05-31T15:39:53.117+05:30सुज्ञ जी,
...
आपकी कथा से प्रेरित हो भारतीय संस्कृ...सुज्ञ जी,<br />...<br />आपकी कथा से प्रेरित हो भारतीय संस्कृति का एक विचार फिर से रखना चाहूँगा.<br />हमारी सांस्कृतिक शब्दावली में पुष्प-चयन की बात आती है कहीं भी फूल को तोड़ने की बात नहीं दिखायी देती... फिर भी पूजा-कर्म में फूलों की भरमार कर देना एक दृष्टि से हमारी प्रकृति सम्यक क्रूरता ही है. हमें आज़ अपने सभी देव-अर्चना विधानों की पुनः समीक्षा करनी होगी. जहाँ तक संभव हो प्रकृति रक्षण करके भी हम अपनी अहिंसक प्रवृति में इजाफा कर सकते हैं. तुलसीदास जी ने गौरी-पूजन के समय सीता के पुष्प-चयन का उल्लेख किया है न कि तोड़ने का...प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-51429399301448197702011-05-31T15:25:10.367+05:302011-05-31T15:25:10.367+05:30सुज्ञ जी,
आपने अब तक शाकाहार और अहिंसा पर विविध तर...सुज्ञ जी,<br />आपने अब तक शाकाहार और अहिंसा पर विविध तरीकों से, तरह-तरह के दृष्टान्तों से और नवीनतम दृष्टिकोणों से विचार बाँटे हैं... सभी तर्क की कसौटी पर खरे उतरते हैं... नवीनता मुझे हमेशा अचंभित करती रही है.. और आज़ भी आपने मेरी वही स्थिति बना दी. आपके ब्लॉग पर आकर प्रायः अवाक हो जाता हूँ. कुछ ऐसे ही विचार हम सभी के अंतर में रहते तो हैं लेकिन आप बड़े सुन्दर ढंग से उन्हें प्रदर्शित कर देते हैं. हम तो मात्र इनमें अपनत्व का सुख पाकर 'वाह' ही कर पाते हैं.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-12066035233232279632011-05-31T13:09:39.671+05:302011-05-31T13:09:39.671+05:30वास्तव में आपने सही व् सटीक उदाहरण दियें ............वास्तव में आपने सही व् सटीक उदाहरण दियें .........बहुत ही अच्छा प्रयास ...तरुण भारतीयhttps://www.blogger.com/profile/06484935775975350578noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-12164084065735190762011-05-31T13:09:08.444+05:302011-05-31T13:09:08.444+05:30ज्ञानवर्धक और विचारणीय पोस्ट.ज्ञानवर्धक और विचारणीय पोस्ट.ज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-24441412118866327392011-05-31T12:14:47.470+05:302011-05-31T12:14:47.470+05:30true said
title in itself is the little summary o...true said <br />title in itself is the little summary of whole post !!!Jyoti Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01794675170127168298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-30833206123256461172011-05-31T10:53:47.499+05:302011-05-31T10:53:47.499+05:30अपरिहार्य हिंसा में भी विवेक रखना अहिंसक मनोवृति ह...अपरिहार्य हिंसा में भी विवेक रखना अहिंसक मनोवृति ही है ... sahi sarvekshanरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com