tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post6557094339000383984..comments2023-10-24T17:01:13.971+05:30Comments on निरामिष: शाकाहार में भी हिंसा? एक बड़ा सवाल!! (पूर्वार्ध)Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/04417160102685951067noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-30034796438371778062012-01-03T16:58:33.466+05:302012-01-03T16:58:33.466+05:30कई नए तथ्यों से अवगत हुए ...
नव वर्ष की ढेरों शुभक...कई नए तथ्यों से अवगत हुए ...<br />नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-81874281456328068322012-01-02T16:06:14.002+05:302012-01-02T16:06:14.002+05:30पर्यावरण पारिश्थितिकी के भी अनुकूल है शाकाहार .नव...पर्यावरण पारिश्थितिकी के भी अनुकूल है शाकाहार .नव वर्ष मुबारक .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-70100477913594715542012-01-02T01:19:07.167+05:302012-01-02T01:19:07.167+05:30सार्थक एवं उच्च कोटि के इस आलेख के लिए आपका आभार! ...सार्थक एवं उच्च कोटि के इस आलेख के लिए आपका आभार! <br /><br />निरामिष की पूरी टीम और पाठकों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!<br /><br />मांसाहारियों से निवेदन है कि नववर्ष के अवसर पर वे जैसे अपने प्रिय और निकट संबधियों के लिए सलामती और उनके सफ़ल जीवन की कामना कर रहे हैं वैसे ही निर्दोष प्राणियों के लिए आप दुआ भले ही ना करें लेकिन उन पर दया भाव रखे! उनके जीवन के अधिकार की भी रक्षा करें. कोई सदा तो यहाँ रहना नहीं है तो फ़िर थोड़ी देर के स्वाद की खातिर उनकी निर्दोष प्राणियों की हत्या क्यों जाए! <br /><br />क्यों न नववर्ष के अवसर पर 'जिओ और जीने दो' के सिद्धांत का अनुसरण करें !वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05613141957184614737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-38241833511136148352012-01-01T23:26:43.816+05:302012-01-01T23:26:43.816+05:30सुज्ञ जी! बहुत ढूँढते हुए आपको यहाँ पाया है और यहा...सुज्ञ जी! बहुत ढूँढते हुए आपको यहाँ पाया है और यहाँ का होकर रह गया... एक मांसाहारी परिवार में जन्म लेने के बाद भी सारे मांसाहारियों के मध्य एकमात्र शाकाहारी होना बड़ा आश्चर्य है.. आपकी एक एक बात से सहमत.. दलीलें सिर्फ दलील देने के लिए दी जाएँ तो वह कुतर्क बन जाती हैं और ऐसी ही है दलील कि शाक का भोजन भी निरामिष नहीं है!!<br />आभार!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-16856167963676283302012-01-01T13:31:47.077+05:302012-01-01T13:31:47.077+05:30बहुत सटीक लिखा इस विषय पर .
नए साल की हार्दिक शुभक...बहुत सटीक लिखा इस विषय पर .<br />नए साल की हार्दिक शुभकामनायें.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-21690673741796277082012-01-01T13:12:09.864+05:302012-01-01T13:12:09.864+05:30इंसान पर निर्भर है किस खोज से क्या सीख लेता है
मु...इंसान पर निर्भर है किस खोज से क्या सीख लेता है<br /><br />मुझे बसु की खोजें पढने के बाद अपनी संस्कृति पर गर्व होता है<br /><br />इस लिंक पर जाएँ<br /><br />http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/705-2011-09-08-06-06-38एक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-78979863836440080822012-01-01T10:28:36.292+05:302012-01-01T10:28:36.292+05:30Nice post .
‘आप जिन लोगों से प्यार नहीं करते, उनक...Nice post .<br /><br />‘आप जिन लोगों से प्यार नहीं करते, उनके साथ हंसिए-बोलिए, प्यार पैदा हो जाएगा।‘<br />http://shekhchillykabaap.blogspot.com/शेखचिल्ली का बापhttps://www.blogger.com/profile/04849047189746971974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-44044067415795741242012-01-01T01:38:29.322+05:302012-01-01T01:38:29.322+05:30@सुमन जी,
निरामिष का प्रयास तर्क या टकराव का नहीं...@सुमन जी,<br /><br />निरामिष का प्रयास तर्क या टकराव का नहीं, बल्कि करुणामय जीवन, विवेक के प्रयोग और बहुजन सुखाय, बहुजन हिताय की दृष्टि के प्रसार का है।<br /><br />@सभी पाठकों और संरक्षकों को नववर्ष की मंगलकामनायें!<br /><br /><b>सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः| <br />सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्</b>Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-42651745158527911722011-12-31T20:15:03.661+05:302011-12-31T20:15:03.661+05:30अगर एक विद्वान् तर्क करेगा तो, दोनों पक्षों पर समा...अगर एक विद्वान् तर्क करेगा तो, दोनों पक्षों पर समान तर्क दिए जा सकते है !<br />पर यह तो समाधान नहीं है ! भोजन अपनी अपनी संवेदनशीलता पर निर्भर करता है !<br />ऐसा मेरा मानना है !<br />आभार ब्लॉग पर आने का !<br /> नववर्ष की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें !Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-74343059803992665262011-12-31T17:51:52.573+05:302011-12-31T17:51:52.573+05:30बेहतरीन तार्किक और विज्ञान सम्मत विश्लेषण .सामिष भ...बेहतरीन तार्किक और विज्ञान सम्मत विश्लेषण .सामिष भोजन के नतीजे कैंसर समूह ,ह्रदय रोग के जीवन शैली रोग बनने के रूप में आज दुनिया भर के सामने हैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-33641134758139989062011-12-31T16:18:08.423+05:302011-12-31T16:18:08.423+05:30क्रूर सच्चाई तो यह है कि माँसाहार समर्थकों का यह त...<b>क्रूर सच्चाई तो यह है कि माँसाहार समर्थकों का यह तर्क, सूक्ष्म और वनस्पति जीवन के प्रति करुणा से नहीं उपजा है। बल्कि यह क्रूरतम पशु हिंसा को सामान्य बताकर महिमामण्डित करने की दुर्भावना से उपजा है। </b><br /><br />सहमत ... बेहद महत्वपूर्ण .....विचारणीय लेखएक बेहद साधारण पाठकhttps://www.blogger.com/profile/14658675333407980521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-51797767043299509842011-12-31T11:03:31.803+05:302011-12-31T11:03:31.803+05:30पेड़ की शाखा काटने पर नई शाखा खुद-बी-खुद उग आती है ...पेड़ की शाखा काटने पर नई शाखा खुद-बी-खुद उग आती है लेकिन हाथ पैर कटने पर दोबारा नहीं निकलता.बरेली सेhttps://www.blogger.com/profile/10127507436735317915noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-4542789355395462942011-12-30T21:33:50.088+05:302011-12-30T21:33:50.088+05:30अगला लेख पढ्ने के प्रतीक्षा मै ।
नया हिंदी ब्लॉग ...अगला लेख पढ्ने के प्रतीक्षा मै ।<br /><br />नया हिंदी ब्लॉग <br /><a href="http://hindiduniyablog.blogspot.com/" rel="nofollow">हिन्दी दुनिया ब्लॉग</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-53984762164697033822011-12-30T20:27:14.502+05:302011-12-30T20:27:14.502+05:30bahut ही बढ़िया
क्या करे ये मंशा हरी कोई तर्क नही...bahut ही बढ़िया<br />क्या करे ये मंशा हरी कोई तर्क नही मिलता तो कुछ न कुछ तो लिखना ही है<br />सच्चाई यही है कि शाकाहार में प्रोयोग में लाने वाली सब्जिय या फल पहले ही सूख (मर ) चुके होते है<br />और फल पेड़ो के ताग्य्ने की चीज होती हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-86969582307749196822011-12-30T09:06:45.910+05:302011-12-30T09:06:45.910+05:30:):)Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-22020091569467628092011-12-30T09:04:13.676+05:302011-12-30T09:04:13.676+05:30आप कितना भी समझा लो ये मांसाहारी+अन्डाहारी प्राणी ...आप कितना भी समझा लो ये मांसाहारी+अन्डाहारी प्राणी नहीं समझने वाले है। देख लेना उनमें से दो-चार यहाँ आकर मांसभक्षण को उचित ठहराने के लिये अपने-अपने कुटिल तर्क देना शुरु कर ही देंगे।<br /> किसी को कोई नहीं बिगाडता है सबको मजा बिगाडता है।SANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5771967989998427826.post-2863016438135482392011-12-30T08:34:37.283+05:302011-12-30T08:34:37.283+05:30सुज्ञ जी,
शाकाहार में हिंसा का छिद्रांवेषण करने वा...सुज्ञ जी,<br /><a href="http://niraamish.blogspot.com/p/blog-page_01.html" rel="nofollow">शाकाहार</a> में हिंसा का छिद्रांवेषण करने वालों की नीयत के साथ-साथ <b>शाकाहार</b> और <b>मांसाहार</b> के विषय पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ अंतर स्पष्ट करने के लिये आपका हार्दिक आभार। सब जानते हैं कि पशु-पक्षी आघात और हत्या के समय मरणांतक पीड़ा महसुस करते है, और बेहद भयभीत होते है जबकि पेड़-पौधे ऐसी सम्वेदना से मुक्त हैं। पौधों को संस्कृत में शस्य इसी कारण कहा गया है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com