बुधवार, 7 मार्च 2012

शुभ होली - कुछ गणमान्य ब्लॉगर्स के उद्गार

होलिका दहन के पावन अवसर पर निरामिष की ओर से आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें। होली आसुरी संस्कारों और मनोविकारों को भस्म करने और हिंसा और क्रूरता के दम्भ के मान-मर्दन का पर्व है। आइये, इस शुभ अवसर पर शाकाहार विषय पर पर कुछ चिर-परिचित ब्लॉगर्स के चुने हुए उद्गार पढें।
(निरामिष डायरी के पन्नों से दो शब्द)

करुणा अपनाइये - ऋचा जोशी
एक बार मैं बकरा ईद पर अपने एक परिचित के घर बधाई देने गई। उस दिन मैने पहली बार मौत का खौफ उस बकरे की आंखों में देखा। शायद उसे अपनी मौत का अहसास हो चुका था। शायद उसने अपने कुछ भाईयों की कुर्बानी देखी हो। बकरे की आंख में अगर आप आंसू या मौत का भय देख पाते तो उस दिन से शाकाहारी हो जाते।
शाकाहार विवेक का मार्ग है - कविता वाचक्नवी

जो लोग वास्तव में आहार सम्बन्धी प्रश्नों व जिज्ञासा के समाधान चाह्ते हैं और सही व गलत में विवेक से सही को अपनाना चाहते हैं उन्हें एक विश्वविख्यात कम्बशन-वैज्ञानिक डॊ.हरिश्चन्द्र की अन्ग्रेज़ी में लिखित A Thought for Food और The Human Nature and Human Food नामक २ पुस्तकें अवश्य पढ़नी चाहिएँ। ये ऐसी अमर कृतियाँ हैं, जिनकी बिक्री हजारों में नहीं लाखों में हुई है और अनेक सन्स्थाएँ व व्यक्ति ऐसे हैं जो इन्हें अपने पैसे से १०,००० या उससे भी अधिक की संख्या में खरीद कर जनहित में बाँटते हैं। यहाँ तक कि योरोप,अमेरिका,अफ़्रीका आदि सहित २५ से अधिक देशों में लोग व अनेक सन्स्थाएँ विभिन्न माध्यमों से इन्हें खरीद-मँगा कर पढ़ते-बाँटते हैं। विशेष जानकारी के लिए http://www.centerforinnersciences.org/publications/पर भी देख सकते हैं।
मांसाहार पशुओं पर अत्याचार है - राज भाटिया

मैंने और मेरे बच्चों ने काफ़ी साल माँस खाया, एक दिन हम सब टीवी पर एक प्रोग्राम देख रहे थे कि जिन जानवरो का मांस हम खाते हैं, उन्हे कैसे रखा जाता है और कैसे इधर से उधर ले जाया जाता हैं। वह कार्यक्रम करीब एक घण्टा चला और उस दिन के बाद हम सब ने मांसाहार बन्द कर दिया। पहले जब मांस खाते थे ओर जब उसे छोड कर सब्जियां खानी शुरु कीं तो कई बातो में हमें अपने आप मे परिवर्तन लगा।
मनुष्‍य मूलत: शाकाहारी ही है - विष्णु बैरागी

यह कहना बिलकुल सही है कि मनुष्‍य ने देश, काल और परिस्थितियों के वशीभूत हो, मांसाहार अपनाया होगा। मनुष्‍य मूलत: शाकाहारी ही है। राजस्‍थान के एक लोक सन्‍त हुए हैं, 'पीपाजी महाराज।' वे कबीर की तरह ग्रहस्‍थ सन्‍त थे। उनके रचित भजन और दोहे प्रचुरता से उपलब्‍ध हैं। उनका एक दोहा मांसाहार का सशक्‍त प्रतिकार है -
जिव मारै, जीमण करे, खातां करे बखाण।
पीपा परतख देख ले, थाली मांहि मसाण।।
शाकाहार भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है - ताऊ रामपुरिया

देखा जाए तो शाकाहार भारतीय संस्कृति का अंग रहा है और अगर हम बहस में ही जायेंगे तो बहुत कुछ उटपटांग लिखा भी मिलता है! खैर ... आज हमें या कहें कि मानव जाति को शाकाहार की हर अर्थ में आवश्यकता है और आप इस तरह लोगो का ध्यान शाकाहार की तरफ़ आकर्षित करके मानवता के लिए भलाई का नेक काम ही कर रहे हैं! ईश्वर आपको इसमे सफलता दे, यही प्रार्थना है!
शाकाहार सर्वश्रेष्ठ है - शास्त्री जे सी फिलिप

इस में कोई दो राय नहीं हो सकती कि शाकाहार हर तरह से मांसाहार से श्रेष्ठ है। मांसाहार हर तरह से मानव शरीर को विकृत करता है।
मांसाहार अप्राकृतिक है - दिनेशराय द्विवेदी
शाकाहार के बिना मानव का बेहतर जीवन संभव नहीं था। भोजन की और से निश्चिंतता केवल शाकाहार ही प्रदान करता है। संकट के लिए गोदामों में मांस को संग्रह नहीं किया जा सकता और न ही मांस प्रदान करने वाले जानवरों को। जानवरों को कर भी लें तो उन्हें बचाए रखने को भी शाकाहार चाहिए।

कुल मिला कर शाकाहार मनुष्य जाति के लिए दीर्घकाल तक जीवित बने रहने की अनिवार्य शर्त है। यह भी कि आप मांसाहार के बिना रह सकते हैं शाकाहार के बिना नहीं। जरा मांसाहारियों से यह निवेदन कर देखिए की वे शाकाहार बिलकुल त्याग दें। यह संभव नहीं। जब कि मांसाहार त्याग कर मनुष्य जीवन को अनेक सदियों तक चलाया जा सकता है। शाकाहार के बिना शायद एक वर्ष भी नहीं। इस तरह अप्राकृतिक है तो मांसाहार, न कि शाकाहार।

27 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर संकलन,आपके लिये बधाई और होली की शुभकामनायें।

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  2. सभी को होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!

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  3. @"होली आसुरी संस्कारों और मनोविकारों को भस्म करने और हिंसा और क्रूरता के दम्भ के मान-मर्दन का पर्व है।"
    एक पंक्ति में सार्थक और यथार्थ विवेचन!!

    सम्माननीय ब्लॉगर्स के बडे धीर गम्भीर तार्किक उद्बोधन है। सभी का आभार!!
    इस प्रस्तुति के लिए आपको बधाई
    और सभी को होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!

    सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः।
    सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥

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  4. होली आसुरी संस्कारों और मनोविकारों को भस्म करने और हिंसा और क्रूरता के दम्भ के मान-मर्दन का पर्व है
    बकरी पांति खात है ,ताकी मोटी खाल ,

    जे नर बकरी खात हैं ,तिनका कौन हवाल .

    तुलसी हाय गरीब की कभी न खाली जाय ,

    बिना जीव के सांस के ,लौह भस्म हो जाय .

    कुम्हार की धौकनी खाल की बनी होती है इसी में फूंक मार कर वह दूसरी तरफ रखे लोहे को भी गला देती है .

    शाकाहार किफायती है .सीधा पोषण है .मांसाहार अनेक रोगों की खासकर जीवन शैली रोगों यथा कोलन कैंसर की नींव रखता है .रेड मीट खाने वाले ब्रितानी इसके सबसे ज्यादा शिकार हैं .

    होली मुबारक सभी ब्लोगर भाइयों और बांध्वियों को .

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  5. शाकाहार मानवीय गुणों के अनुरूप है

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  6. शाकाहार तो सर्वोत्तम है ही ..
    होली की हार्दिक शुभकामनाएँ .

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  7. शाकाहार सर्वोत्तम आहार है, मांसाहार क्रूरता लाता है। दिनेश जी से सहमत। आपको होली की शुभकामनाएं

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  8. मुझे यह सम्‍मान प्रदान करने क लिए अन्‍तरमन से आभार। ऋणी हूँ। आपका।

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  9. होली पर यह संकलन व प्रयास अच्छा लगा।

    मुझे यह मान देने के लिए आभारी हूँ।

    नवस्येष्टि पर्व व होली की मंगलकामनाएँ !

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  10. आप का यह प्रयास विशेष है।
    होली पर बहुत शुभकामनाएँ।।।

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  11. अच्छा प्रयास ....
    होली की शुभकामनायें

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  12. खाद्य-चक्र अन्तत्वोगत्वा वनस्पतियों पर ही जाकर खत्म होता है। जिन जानवरों से मांस प्राप्त होता है वे भी वनस्पतियों से ही निर्भर होते हैं!

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  13. होली एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं

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  14. बहुत ही तार्किक और रोचक विज्ञान सम्मत विश्लेषण प्रस्तुत किया है आपने शाकाहार के समर्थन में .

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  15. सभी हिंदी ब्लॉगर बंधुओं और हिंदी ब्लॉग जगत के सम्मानित पाठकवृंद का रंगो के उत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं

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  16. आप मांसाहार के बिना रह सकते हैं शाकाहार के बिना नहीं।
    इस तरह अप्राकृतिक है तो मांसाहार, न कि शाकाहार।

    दिनेशराय द्विवेदी जी के उपर्युक्त दो वाक्य बड़े तर्क संगत लगे. बहुत बढ़िया प्रयास चल रहा है निरामिष पर.

    होली की हार्दिक बधाई.

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  17. nesandeh 'niramish' parivar ka ye prayas bandniya hai.....shresth jan ke udgar......vichar hridyagamya hai.......

    pranam.

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  18. सभी को होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!
    बहुत बढ़िया पोस्ट, पढ़कर तबियत प्रसन्न हो गयी!

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  19. दिया गया लिंक

    http://www.centerforinnersciences.org/publications.html

    खुल नहीं रहा है

    [page not found error दे रहा है जबकि पेज मौजूद है ]

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  20. द्विवेदी जी के तर्क बहुत सटीक लगे।
    निरामिष परिवार को शुभकामनायें।

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  21. Pasa un grato domingo en compañía de los seres que quieres y te quieren, sazonado por el aroma de las risas y las sensaciones de todas esas pequeñas cosas que nos sorprenden e ilusionan en multitud ocasiones por no ser esperadas.

    Un abrazo silencioso
    y un beso aterciopelado
    de tu amiga...
    María del Carmen

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