लेज चिप्स में प्रयुक्त ई-631 साबूदाने से बना है |
इन्टरनेट के कॉपी-पेस्ट विशेषज्ञों ने विभिन्न शाकाहारी पदार्थों में पशु-वसा होने के बारे में एक बड़ा भ्रम फैला रखा है। एक दूसरे से कॉपी पेस्ट किए गए हजारों वेबपृष्ठों में ऐसा बताया जा रहा है कि किसी भी उत्पाद की सामग्री सूची में यदि अंग्रेज़ी के E अक्षर से आरंभ होने वाली कोई संख्या लिखी है तो इसका अर्थ यह हुआ कि उस पदार्थ में सुअर की चर्बी मिली है। ऐसा प्रचार विशेषकर अमेरिका और यूरोप आधारित बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादों के बारे में हो रहा है।
उदाहरण के लिए, ऐसी एक पोस्ट पर बताया गया है कि
जहां भी किसी पदार्थ पर लिखा दिखेमुख्य मुद्दे पर आने से पहले विषय से संबन्धित कुछ सामान्य जानकारी:
E100, E110, E120, E 140, E141, E153, E210, E213, E214, E216, E234, E252,E270, E280, E325, E326, E327, E334, E335, E336, E337, E422, E430, E431, E432, E433, E434, E435, E436, E440, E470, E471, E472, E473, E474, E475,E476, E477, E478, E481, E482, E483, E491, E492, E493, E494, E495, E542,E570, E572, E631, E635, E904 समझ लीजिए कि उसमे सूअर की चर्बी है।
उत्पादों पर छपे ई संख्या (E number) का उद्देश्य उपभोक्ता को उत्पाद में प्रयुक्त सामग्री की सूची प्रदान करना है। यदि उद्देश्य सामग्री की जानकारी छिपाने का होता तो ई संख्या या किसी भी कोड की ज़रूरत नहीं होती। ई संख्या की शुरुआत अमेरिका के भोजन व औषधि प्रशासन संस्थान अर्थात The U. S. Food and Drug Administration (संक्षेप में FDA या एफडीए) द्वारा हुई। एफडीए ने भोज्य पदार्थों में प्रयुक्त सामग्री की सूची तैयार करके जटिल रसायनों को कूटनाम (code names) दे दिये ताकि भोजन, पंसारी, चिकित्सा तथा औषधि व्यवसाय पर कानूनी नज़र रखी जा सके और सामान खरीदने वालों को इस बात की पूरी जानकारी रहे कि वे क्या खा-पी रहे हैं और साथ ही किसी खाद्य पदार्थ के किसी दुष्प्रभाव या एलर्जी आदि की कोई जानकारी प्रकाश में आती है तो उसे जनता तक बखूबी पहुँचाया जा सके और हानिकर पदार्थों को नियंत्रित किया जा सके। यह सारी प्रक्रिया दरअसल, विकसित देशों के उन क़ानूनों का हिस्सा हैं जिनके द्वारा जनता के स्वास्थ्य की देखरेख की जाती है।
ई संख्या द्वारा प्रदर्शित अधिकांश रसायन सामान्य जीवन में प्रयुक्त होने वाले नहीं हैं और उनके जटिल नाम जानना, लिखना, पढ़ना या समझना हम-आप जैसे सामान्यजन के लिए कठिन होता। ई संख्या द्वारा मानकीकरण का एक उद्देश्य इस जटिलता को दूर करना भी है।
बिना जाने हुए हर ई संख्या को सुअर की चर्बी समझने से पहले हमें यह तो सोचना चाहिये कि जिसे जानकारी छिपानी होती वह ईकोड लिखता ही नहीं। वैसे भी यदि सुअर की चर्बी को धोखे से आपके भोजन में डालना होता तो एक नाम ही काफी था इतनी सारी ई-संख्याओं की ज़रूरत नहीं थी। हाँ यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि इन रसायनों में से अनेक का स्रोत जैविक हो सकता है। उनसे अवश्य बचा जाय लेकिन आँख मूंदकर सबको सुअर की चर्बी कहना सही नहीं है। आइये देखें, उपरोक्त उदाहरण में दर्शाई गई कुछ ई संख्याओं की हक़ीक़त:
कूट | नाम | उपयोग | स्रोत |
E100 | करक्यूमिन | पीला रंग | हल्दी |
E110 | सनसेट यलो (चेतावनी/प्रतिबंधित) | पीला रंग | पेट्रोलियम |
E120 | कारमिनिक एसिड | लाल रंग | कोचीनील नामक एक कीड़ा (शाकाहारी नहीं) |
E140 | क्लोरोफिल | हरा रंग | वनस्पति स्रोत |
E141 | क्लोरोफिल के ताम्र यौगिक | हरा रंग | वनस्पति स्रोत |
E153 | ब्रिलिएंट ब्लैक (सीमित/चेतावनी) | काला रंग | प्रयोगशाला |
E210 | बेंज़ोइक एसिड | संरक्षक(preservative) | वनस्पति गोंद |
E213 | केल्शियम बेंज़ोएट | संरक्षक(preservative) | वनस्पति गोंद |
E214 | इथाइल पैराबेन | संरक्षक(preservative) | 4-Hydroxybenzoic acid, वनस्पति गोंद व अल्कोहल |
E216 | प्रोपाइल पैराबेन | संरक्षक(preservative) | प्रयोगशाला; मुख्यतः वनस्पति गोंद; कुछ कीड़ों में भी पाया जाता है |
E234 | नाइसिन | संरक्षक(preservative) | प्रयोगशाला; दुग्ध; खमीरीकरण |
E252 | पोटेशियम नाइट्रेट | संरक्षक(preservative) | एक खनिज लवण |
E270 | लैक्टिक एसिड | संरक्षक(preservative) | प्रयोगशाला; दुग्ध,शर्करा |
खाद्य पदार्थों के ई संख्या आधारित अंधविरोध में सच कम झूठ अधिक है। इन सारे प्रचार कार्यक्रमों का आरंभ इस्लामी अतिवादियों द्वारा अमेरिकी कंपनियों के आर्थिक बहिष्कार के उद्देश्य से हुआ था। सबसे पहले कोका कोला के सीक्रेट फार्मूले मे सूअर की चर्बी का प्रचार किया गया। सऊदी अरब से लेकर पाकिस्तान तक फैले इस प्रचार में धीरे-धीरे समझ न आने वाला हर रसायन सूअर की चर्बी बताया जाने लगा। सुअर से मुसलमानों की धार्मिक अस्पृश्यता के मद्देनजर यह बात स्पष्ट है कि इस प्रचार में सुअर की चर्बी का उल्लेख प्रमुखता से हुआ। अतिवादी मुल्लों की देखादेखी न जाने कब हमारे जोशीले भारतीय भी आँख मूंदकर इस प्रचार में कूद गए। स्वतंत्र जोशीलों के साथ इस प्रचार में स्वदेशी आंदोलन जैसे कार्यकर्ताओं का भी प्रभाव रहा।
ई कोड का अर्थ पशु वसा नहीं होता है |
1) इसके मूल प्रचारकों की नीयत खराब है। उनका उद्देश्य अपने धार्मिक विरोध के लिए आपको गलत जानकारी देकर आपकी भावनाओं का शोषण करना मात्र है।
2) अंतर्राष्ट्रीय कार्पोरेशन के बनाए उत्पाद पाकिस्तान के किसी कोने में चिप्स बनानेवाले से कहीं अधिक विश्वसनीय हैं। सामग्री की सूची यदि आपके सामने है तो उसे ठीक से देखिये और उपयुक्त निर्णय लीजिये।
3) अधिकांश वसा आधारित, व लवण उत्पाद चाहे वनस्पति स्रोत से हो चाहे पशु-स्रोत से और चाहे खनिज स्रोत से हों, उनका अंतिम रूप बिलकुल एक सा होता है। उसे देख-जाँचकर उसका स्रोत तय नहीं किया जा सकता है। सामान्यतः कंपनियाँ सबसे सस्ते या स्थानीय स्रोत की ओर उद्यत होती हैं। इसलिए ऐसी स्थिति में सही स्रोत की जानकारी निर्माता से ही आ सकती है।
4) भांति-भांति के साधनों द्वारा हमारे आदर्शों को तोड़ने का एक लंबा कुचक्र चलाया जा रहा है जिसमें हमारे प्रयोग में आने वाली वस्तुओं के साथ-साथ हमारे नायकों, और परम्पराओं पर भी नियमित कुठाराघात हो रहे हैं। दुर्भाग्य से कई सदाशय लोग भी ऐसे कार्यों की असलियत जाने बिना इसे सहयोग करने लगते हैं जो सही नहीं है। कुप्रचारकों द्वारा नियमित रूप से भोले भाले लोगों की परम्पराओं को गलत ठहराकर उनमें हीन भावना भरने के हर प्रयास को ज्ञान और विवेक के प्रयोग से रोकिए। किसी भी समझदार व्यक्ति को शाकाहार को हतोत्साहित करने के षड्यंत्र का हिस्सा बनाने के बजाय उसके चक्र को तोड़ने की कोशिश करनी चाहिए।
* संबन्धित कड़ियाँ *
शाकाहारी उत्पाद - चिन्ह और प्रतीक
What are E numbers?
चिप्स में सूअर की चर्बी पर लेज़ का खंडन
Food-Info.net
बहुत ही सजग प्रयास!! आभार आपका!!
जवाब देंहटाएंप्रत्येक बार 'सूअर की चर्बी' कहे जाना ही संदेह जगाता था।
थैंक्स। यह डाटा मैंने भी खोजा था और ऐसी ही पोस्ट यहीं लिखने का प्लान था। स्क्रीन शॉट्स भी तैयार हैं। अच्छा हुआ आपने लिख दी।
जवाब देंहटाएंआप भी लिखिए। मुझे लगता है कि इस आलेख मे छूटी हुई जानकारी को भी वहाँ कवर किया जा सकता है।
हटाएं:)
हटाएंबहुत बढ़िया काम की जानकारी ...
जवाब देंहटाएंअलग-अलग जानकारी के वजह से लोग भ्रमित हो जाते हैं ..
Bahut acchhii jaankaaree dhanyvaad
जवाब देंहटाएंBahut acchhii jaankaaree dhanyvaad
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी.
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन लेख लिखा है आपने, जरुरी भी है इस सम्बंध में अनेक भ्रान्तियां फैली हुई हैं ऎसे में समझना मुश्किल है की क्या सही है और क्या गलत है, Emulsifier code से कोई पता नहीं चलता की इसके घटक का स्रोत वनस्पति है या जैविक, क्योकी काफी सारे Emulsifier के स्रोत वनस्पति और जैविक दोनो होते है, ये तो उत्पाद बनाने वाली कम्पनी पर निर्भर है के वो घटक किस स्रोत से से प्राप्त करती है, हां कुछ Emulsifier ऎसे भी होते हैं जिनका स्रोत वनस्पति हो ही नहीं सकता उनसे सावधान अवश्य रहना चाहिये, अगर मेरी जानकारी सही नहीं है तो इसमे सुधार अवश्य करें
जवाब देंहटाएंV V GOOD....THANKS .
जवाब देंहटाएंआप द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनी के समर्थन में इस प्रकार स्पष्टीकरण देना यह साबित करता है की आप उनके द्वारा पोषित है , वैसे भी ये कम्पनियाँ स्वास्थ्य के साथ साथ भारतीय अर्थ व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है . इन कंपनियों के द्वारा धड्ड्ले से बेचे जारहे इन जंक फ़ूड से नई पीढ़ी के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जारहा है , जिसका प्रचार प्रसार चन्द धन लिप्सा से ग्रसित बेशर्म खिलाडी और फ़िल्मी सितारे कर रहे है और देश की नौजवान पीढ़ी को मिटने पर तुले है .
जवाब देंहटाएंधिक्कार
शाकाहार की पुनर्स्थापना के उद्देश्य से बने इस ब्लॉग का मूल सत्यनिष्ठा है। आप किस दिशा के प्रचारक हैं इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन हम पर आपका आरोप निराधार और बचकाना है। झूठ को मिर्चें लगाना हमारा मूल उद्देश्य नहीं है, वह तो सत्यनिष्ठा का सहउत्पाद मात्र है। इस आलेख का उद्देश्य उस झूठ का पर्दाफाश करना है जो मूलतः शाकाहारियों के आत्मविश्वास को तोड़ने के लिए विभिन्न रूपों में यत्र-तत्र फैलाया जाता रहा है।
हटाएं1. जाकी रही भावना जैसी
हटाएं2. आपको स्वदेशी का प्रचार करना है - शुभ है। अपना ब्लॉग लिखिए। यह ब्लॉग शाकाहार को समर्पित है स्वदेशी तक सीमित नहीं।
3. क्या आप जानते हैं कि भारतके मनीषियों की विश्व कुटुंब की विचारधारा थी??
4. स्वदेशी से प्रेम शुभ है विदेशी से नफरत शुभ नहीं। स्वदेशी का सत्य प्रचार करना शुभ है किन्तु झूठे आरोप गढ़ कर विदेशी का दुष्प्रचार करना चरित्र का पतन है।
5. जिन पर आप आरोप लगा रहे हैं उन जैसे सत्यनिष्ठ और शाकाहार का निस्वार्थ प्रचार करनेवाले बहुत कम लोग होंगे।
6. नकारत्मक टिप्पणी करने/ आरोप लगाने से बेहतर होता किसी ऐसे उद्देश्य के लिए निःस्वार्थ कर्म करते।
झूठी प्रस्थापना से सत्यान्वेषी का ही नुकसान होता हैं।
हटाएंयदि इस मंच से व्हाट्सऐप और फेसबुक की तरह "शेयर करो, शेयर करो" जैसी अन्धचाल अपनाई जाने लगी तो इस ब्लॉग का उद्देश्य ही समाप्त हो जायेगा। सत्यनिष्ठ-तथ्य उपलब्ध करवाकर हम व्यक्ति को स्व- विवेक से तुलनात्मक विश्लेषण का अवसर प्रदान करना चाहतें हैं , शाकाहार तथा मांसाहार में कौनसा आहार व्यक्ति/व्यक्तित्व/वृहद समाज तथा प्रकृति-पर्यावरण के हित में हैं, इसका निर्धारण व्यक्ति स्वयं करें, ऐसा उद्देश्य इस ब्लॉग का हैं।
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शायद ब्लॉग के अन्य लेख आपने पढ़े होते तो ब्लॉग का उद्देश्य और स्वरुप आपको समझ आ सकता था।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंE635 ke Bare me detail de
जवाब देंहटाएंE630 से लेकर E635 तक के रसायन "Inosinic acid तथा inosinates" हैं जो मुख्यतः मांस और मछली से बनते हैं, यद्यपि उन्हें बैक्टीरिया की प्रक्रिया द्वारा (दही या खमीर के समान) भी बनाया जा सकता है.
हटाएंBhut shukriya aap ka jo aapne itni sari jankari ikattha kar ke hame di
जवाब देंहटाएंThanks......
As one nah it acchi jankari do
जवाब देंहटाएंThank you sir
Good information
जवाब देंहटाएंThanks now ham bhi logo ko jagarook karege. Aashu
जवाब देंहटाएंThanks to right information
जवाब देंहटाएंE635 ka kul kar javab denge kya ye मांस
जवाब देंहटाएंE330 ka
जवाब देंहटाएंKiya matlab hai
apke davra di gyi jankaari bahut hi upyogi h.
जवाब देंहटाएंYou may like - How to Fix Rats! WebGL Hit A Snag Error (3 Methods)
Right Sir tx
जवाब देंहटाएंE471 ka kya matlab hai
जवाब देंहटाएंHa please iss baare mai kuch batai
हटाएंThanks to right information. If you want to know your angel number meaning, please visit our blog.
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