'दया' पर महापुरूषों के विचार ......
(1) दयालु चेहरा सदैव सुंदर होता है। - बेली
(2) मुझे दया के लिए भेजा है, शाप देने के लिए नहीं। - हजरत मोहम्मद
(3) जो सचमुच दयालु है, वही सचमुच बुद्धिमान है, और जो दूसरों से प्रेम नहीं करता उस पर ईश्वर की कृपा नहीं होती। - होम
(4) दया के छोटे-छोटे से कार्य, प्रेम के जरा-जरा से शब्द हमारी पृथ्वी को स्वर्गोपम बना देते हैं। - जूलिया कार्नी
(5) न्याय करना ईश्वर का काम है, आदमी का काम तो दया करना है। - फ्रांसिस
(6) दयालुता हमें ईश्वर तुल्य बनती है। - क्लाडियन
(7) दया मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। - प्रेमचंद
(8) दया सबसे बड़ा धर्म है। - महाभारत
(9) दया दो तरफी कृपा है। इसकी कृपा दाता पर भी होती है और पात्र पर भी। - शेक्सपियर
(10) जो असहायों पर दया नहीं करता, उसे शक्तिशालियों के अत्याचार सहने पड़ते हैं। - शेख सादी
(11) दयालुता दयालुता को जन्म देती है। - सोफोक्लीज
(12) दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छोड़िये, जब लग घट में प्राण। - तुलसीदास
(13) जिसमे दया नहीं उसमे कोई सद्गुण नहीं। - हजरत मोहम्मद
(14) दया और सत्यता परस्पर मिलते हैं, धर्म और शांति एक दुसरे का साथ देतें हैं - बाइबिल
(15) हम सभी ईश्वर से दया कि प्रार्थना करते हैं और वही प्रार्थना हमे दूसरों पर दया करना सिखाती है। - शेक्सपियर
(16) दया चरित्र को सुन्दर बनती है। - जेम्स एलन
(17) आत्मा के आनंद रूपी सामंजस्य का बाहरी रूप दया है। - विलियम हैज़लित
(18) सबपर दया करनी चाहिए क्योंकि ऐसा कोई नहीं है जिसने कभी अपराध नहीं किया हो। - रामायण
(19) कितने देव, कितने धर्म, कितने पंथ चल पड़े पर इस शोकग्रस्त संसार को केवल दयावानों कि आवश्यकता है। - विलकास्य
(20) न्याय का मोती दया के ह्रदय में मिलता है। - जर्मन कहावत
(21) जो गरीबों पर दया करता है वह अपने कार्य से ईश्वर को ऋणी बनाता है। - बाइबिल
(22) समस्त हिंसा, द्वेष, बैर और विरोध की भीषण लपटें दया का संस्पर्श पाकर शान्त हो जाती हैं। - अज्ञात
(23) दया का दान लड़खड़ाते पैरों में नई शक्ति देना, निराश हृदय में जागृति की नई प्रेरणा फूँकना, गिरे हुए को उठने का सामर्थ्य प्रदान करना एवं अंधकार में भटके हुए को प्रकाश देना है। - अज्ञात
(24) वह सत्य नहीं जिसमें हिंसा भरी हो। यदि दया युक्त हो तो असत्य भी सत्य ही कहा जाता है। जिसमें मनुष्य का हित होता हो, वही सत्य है। - अज्ञात
(25) शांति से बढकर कोई तप नहीं, संतोष से बढकर कोई सुख नहीं, तृष्णा से बढकर कोई व्याधि नहीं और दया के सामान कोई धर्म नहीं। - चाणक्य
(26) दुनिया का अस्तित्व शस्त्रबल पर नहीं, सत्य, दया और आत्मबल पर है। - महात्मा गांधी
(27) आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, ममत्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता। - भगवान महावीर
(28) श्रेष्ठ वही है जिसके हृदय में दया व धर्म बसते हैं, जो अमृतवाणी बोलते हैं और जिनके नेत्र विनय से झुके होते हैं। - संत मलूकदास
(29) हममें दया, प्रेम, त्याग ये सब प्रवृत्तियां मौजूद हैं। इन प्रवृत्तियों को विकसित करके अपने सत्य को और मानवता के सत्य को एकरूप कर देना, यही अहिंसा है। - भगवतीचरण वर्मा
(30) जिसमें दया नहीं है, वह तो जीते जी ही मुर्दे के समान है। दूसरे का भला करने से ही अपना भला होता है। -अज्ञात
(31) दुनिया का अस्तित्व शस्त्रबल पर नहीं, बल्कि सत्य, दया और आत्मबल पर है। - महात्मा गांधी
(32) प्रेम से भरा हृदय अपने प्रेम पात्र की भूल पर दया करता है और खुद घायल हो जाने पर भी उससे प्यार करता है। - महात्मा गांधी
(34) सज्जनों का लक्षण यह है कि वे सदा दया करने वाले और करुणाशील होते हैं। - विनोबा भावे
(35) श्रद्धा सामर्थ्य के प्रति होती है और दया असामर्थ्य के प्रति। - रामचन्द्र शुक्ल
(36) जिनका मन कपटरहित है, वे ही प्राणिमात्र पर दया करते हैं। - क्षेमेंद्र
(37) क्रोध को क्षमा से, विरोध को अनुरोध से, घृणा को दया से, द्वेष को प्रेम से और हिंसा को अहिंसा की भावना से जीतो। - दयानंद सरस्वती
(38) शांति, क्षमा, दान और दया का आश्रय लेने वाले लोगों के लिए शील ही विशाल कुल है, ऐसा विद्वानों का मत है। - क्षेमेंद्र
(1) दयालु चेहरा सदैव सुंदर होता है। - बेली
(2) मुझे दया के लिए भेजा है, शाप देने के लिए नहीं। - हजरत मोहम्मद
(3) जो सचमुच दयालु है, वही सचमुच बुद्धिमान है, और जो दूसरों से प्रेम नहीं करता उस पर ईश्वर की कृपा नहीं होती। - होम
(4) दया के छोटे-छोटे से कार्य, प्रेम के जरा-जरा से शब्द हमारी पृथ्वी को स्वर्गोपम बना देते हैं। - जूलिया कार्नी
(5) न्याय करना ईश्वर का काम है, आदमी का काम तो दया करना है। - फ्रांसिस
(6) दयालुता हमें ईश्वर तुल्य बनती है। - क्लाडियन
(7) दया मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। - प्रेमचंद
(8) दया सबसे बड़ा धर्म है। - महाभारत
(9) दया दो तरफी कृपा है। इसकी कृपा दाता पर भी होती है और पात्र पर भी। - शेक्सपियर
(10) जो असहायों पर दया नहीं करता, उसे शक्तिशालियों के अत्याचार सहने पड़ते हैं। - शेख सादी
(11) दयालुता दयालुता को जन्म देती है। - सोफोक्लीज
(12) दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छोड़िये, जब लग घट में प्राण। - तुलसीदास
(13) जिसमे दया नहीं उसमे कोई सद्गुण नहीं। - हजरत मोहम्मद
(14) दया और सत्यता परस्पर मिलते हैं, धर्म और शांति एक दुसरे का साथ देतें हैं - बाइबिल
(15) हम सभी ईश्वर से दया कि प्रार्थना करते हैं और वही प्रार्थना हमे दूसरों पर दया करना सिखाती है। - शेक्सपियर
(16) दया चरित्र को सुन्दर बनती है। - जेम्स एलन
(17) आत्मा के आनंद रूपी सामंजस्य का बाहरी रूप दया है। - विलियम हैज़लित
(18) सबपर दया करनी चाहिए क्योंकि ऐसा कोई नहीं है जिसने कभी अपराध नहीं किया हो। - रामायण
(19) कितने देव, कितने धर्म, कितने पंथ चल पड़े पर इस शोकग्रस्त संसार को केवल दयावानों कि आवश्यकता है। - विलकास्य
(20) न्याय का मोती दया के ह्रदय में मिलता है। - जर्मन कहावत
(21) जो गरीबों पर दया करता है वह अपने कार्य से ईश्वर को ऋणी बनाता है। - बाइबिल
(22) समस्त हिंसा, द्वेष, बैर और विरोध की भीषण लपटें दया का संस्पर्श पाकर शान्त हो जाती हैं। - अज्ञात
(23) दया का दान लड़खड़ाते पैरों में नई शक्ति देना, निराश हृदय में जागृति की नई प्रेरणा फूँकना, गिरे हुए को उठने का सामर्थ्य प्रदान करना एवं अंधकार में भटके हुए को प्रकाश देना है। - अज्ञात
(24) वह सत्य नहीं जिसमें हिंसा भरी हो। यदि दया युक्त हो तो असत्य भी सत्य ही कहा जाता है। जिसमें मनुष्य का हित होता हो, वही सत्य है। - अज्ञात
(25) शांति से बढकर कोई तप नहीं, संतोष से बढकर कोई सुख नहीं, तृष्णा से बढकर कोई व्याधि नहीं और दया के सामान कोई धर्म नहीं। - चाणक्य
(26) दुनिया का अस्तित्व शस्त्रबल पर नहीं, सत्य, दया और आत्मबल पर है। - महात्मा गांधी
(27) आलसी सुखी नहीं हो सकता, निद्रालु ज्ञानी नहीं हो सकता, ममत्व रखनेवाला वैराग्यवान नहीं हो सकता और हिंसक दयालु नहीं हो सकता। - भगवान महावीर
(28) श्रेष्ठ वही है जिसके हृदय में दया व धर्म बसते हैं, जो अमृतवाणी बोलते हैं और जिनके नेत्र विनय से झुके होते हैं। - संत मलूकदास
(29) हममें दया, प्रेम, त्याग ये सब प्रवृत्तियां मौजूद हैं। इन प्रवृत्तियों को विकसित करके अपने सत्य को और मानवता के सत्य को एकरूप कर देना, यही अहिंसा है। - भगवतीचरण वर्मा
(30) जिसमें दया नहीं है, वह तो जीते जी ही मुर्दे के समान है। दूसरे का भला करने से ही अपना भला होता है। -अज्ञात
(31) दुनिया का अस्तित्व शस्त्रबल पर नहीं, बल्कि सत्य, दया और आत्मबल पर है। - महात्मा गांधी
(32) प्रेम से भरा हृदय अपने प्रेम पात्र की भूल पर दया करता है और खुद घायल हो जाने पर भी उससे प्यार करता है। - महात्मा गांधी
(34) सज्जनों का लक्षण यह है कि वे सदा दया करने वाले और करुणाशील होते हैं। - विनोबा भावे
(35) श्रद्धा सामर्थ्य के प्रति होती है और दया असामर्थ्य के प्रति। - रामचन्द्र शुक्ल
(36) जिनका मन कपटरहित है, वे ही प्राणिमात्र पर दया करते हैं। - क्षेमेंद्र
(37) क्रोध को क्षमा से, विरोध को अनुरोध से, घृणा को दया से, द्वेष को प्रेम से और हिंसा को अहिंसा की भावना से जीतो। - दयानंद सरस्वती
(38) शांति, क्षमा, दान और दया का आश्रय लेने वाले लोगों के लिए शील ही विशाल कुल है, ऐसा विद्वानों का मत है। - क्षेमेंद्र