मांसाहार और शाकाहार समान हैं ?
एक सुखद अनुभूति की
याद है मन में
अक्सर सुनती हूँ मैं
तर्क मांसाहार के सन्दर्भ में
कि
शाकाहार और मांसाहार समान हैं।
क्या सच ?
एक सुखद अनुभूति की
याद है मन में
कॉलेज की खिड़की पर बैठी मैं
खिड़की से भीतर आती
सौम्य जीवनदायी वायु।
गहरी साँसें लेती मैं
अमृत को भीतर प्रविष्ट होते
महसूस कर पाती हूँ।
पौधों की हंसती टहनियाँ
पेड़ों की झूमती डालियाँ
दूर तक दिखते ,
नारियल के गर्वित वृक्ष
जिनसे अनेकानेक बार
अगणित नारियल तोड़
नारियल पानी वाले
कितने प्यासे राहियों को
अमृतपान कराते हैं।
किन्तु वह वृक्ष
तनिक भी तो कुम्हलाते नहीं ?
उनकी ओर से हवा में
वही सुगंध
हर दिन क्यों बिखरती है ?
क्या वे दर्द में हैं ,
अपने फल देकर ?
लगते तो खुश हैं न ?
झूमते नाचते
रोज़ प्रसन्नता बिखेरते हैं न ?
और एक याद है मन में
गए थे हम
अपार्टमेंट्स में फ्लैट खरीदने
सस्ता था उस समय के अनुपात से
सस्ता था उस समय के अनुपात से
सोचा यह सस्ता है - घर ले लेते हैं।
गए वहाँ देखने
पीछे की खिड़की से
सुनाई दिया अजीब सा कोलाहल
उस तरफ जाने लगी तो
एजेंट ने रोका - अजी उधर तो
"वियु" नहीं है, ना "एलिवेशन" ही
फिर भी गयी
दरवाजा खोला तो
अजब सड़ांध आयी
और चीखती आवाज़ें
पूछ ताछ की
पता चला उधर कत्लखाना है
पास के बाज़ार में मांस
ऊंचे दामों बिकता है।
इसीलिए इस जगह पर
फ्लैट बिकते नहीं।
लोग आना नहीं चाहते,
ना ही किराया अच्छा मिलेगा
सोचने लगी मैं।
कहाँ वह नारियल के पेड़
और उनसे बरसती सुख शान्ति
मिलता पीने को अमृत
सांस लेने को अमृत
और यहाँ यह ……
क्या सचमुच एक से ही हैं
मांसाहार और शाकाहार ?