शाकाहार अपनाने के कारण........
अक्रूर मनोवृति (करूणा और अहिंसा के लिए)
संतुलित पोषण स्रोत (पोषणयुक्त शाकाहार)
आरोग्य वर्धक (स्वास्थ्यप्रद शाकाहार)
सभ्य-खाद्याचार (सुसंस्कृत सभ्य आहार)
पर्यावरण संरक्षण (प्राकृतिक संसाधनों का संयमित उपभोग)
तर्कसंगत-विकल्प (सर्वांग न्यायसंगत)
- प्रागैतिहासिक मानव, प्राकृतिक रूप से शाकाहारी ही था।
- मनुष्य की सहज वृति और उसकी कायिक प्रकृति दोनो ही शाकाहारी है।
- मानव शरीर संरचना शाकाहार के ही अनुकूल।
- शाक से अभावग्रस्त, दुर्गम क्षेत्रवासी मानवो का अनुकरण मूर्खता!!
- सभ्यता व विकास मार्ग का अनुगमन या भीड़ का अंधानुकरण?
- यदि अखिल विश्व भी शाकाहारी हो जाय, सुलभ होगा अनाज!!
- भुखमरी को बढाते ये माँसाहारी और माँस-उद्योग!!
- शाकाहार में भी हिंसा? एक बड़ा सवाल !!!
- प्राणी से पादप : हिंसा का अल्पीकरण करने का संघर्ष भी अपने आप में अहिंसा है।
- प्रोटीन प्रलोभन का भ्रमित दुष्प्रचार। प्रोटीन मात्रा, प्रोटीन यथार्थ
- विटामिन्स का दुष्प्रचार। विटामिन बी12, विटामिन डी, विटामिन 'सी'।
- उर्ज़ा व शक्ति का दुष्प्रचार।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (16-08-2014) को “आजादी की वर्षगाँठ” (चर्चा अंक-1707) पर भी होगी।
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हमारी स्वतन्त्रता और एकता अक्षुण्ण रहे।
स्वतन्त्रता दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'