अपने विचारों पर ध्यान दो, वे शब्द बन जाते हैं। अपने शब्दों पर ध्यान दो, वे क्रिया बन जाते हैं। अपनी क्रियाओं पर ध्यान दो, वे आदत बन जाती हैं। अपनी आदतों पर ध्यान दो, वे तुम्हारा चरित्र बनाती हैं। अपने चरित्र पर ध्यान दो, वह तुम्हारी नियति का निर्माण करता है।
--लाओ-त्जु
विचार से कर्म की उत्पत्ति होती है, कर्म से आदत की उत्पत्ति होती है, आदत से चरित्र की उत्पत्ति होती है और चरित्र से आपके प्रारब्ध की उत्पत्ति होती है।
-- बौद्ध कहावत
कर्म को बोओ और आदत की फसल काटो। आदत को बोओ और चरित्र की फसल काटो। चरित्र को बोकर भाग्य की फसल काटो।
-- बोर्डमैन
इतनी सुन्दर सूक्तिओं के लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआभार, 'भारतीय नागरिक' जी
हटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआभार
आभार आपका सीमा जी
हटाएंबहुत समय बाद अपने निरामिष ब्लॉग पर आया। सुन्दर सूक्तियों से मन प्रफुल्लित हुआ।
जवाब देंहटाएंप्रतुल जी, आपका बहुत बहुत आभार!!
हटाएंबहुत सुंदर सूक्तियों का संकलन , लाजवाब
जवाब देंहटाएंआपका आभार!!
हटाएंgood lines for life
जवाब देंहटाएंSimple and interesting
जवाब देंहटाएंअच्छी बातें हैं। पूर्ण सहमति। अमल योग्य।
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