शाकाहार की प्राचीन गौरवमयी परंपरा के चलते, आज भी संसार भर में शाकाहारियों का प्रतिशत भारत में ही सर्वाधिक है। शाकाहार की सुदृढ़ और विस्तृत परंपरा के कारण अधिकांश भारत में सात्विक निरामिष भोजन सर्वसुलभ होना स्वाभाविक है। भोजन के प्रति संवेदनशीलता के चलते रसोई और भोजनालयों के भेद भी स्पष्ट हैं। फिर भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो अक्सर स्वार्थ के लिए, कभी अज्ञानवश और कई बार मज़े के लिए भी अपने सहजीवियों का "धर्म-भ्रष्ट" करने की जुगाड़ में लगे रहते हैं। अमेरिका में अपने को भारतीय कहने वाले कई भोजनालय नान-रोटी में अंडे का प्रयोग करने लगे हैं और इस बाबत कोई नोटिस भी नहीं लगाते हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया के हिन्द-चीनी देशों के सामान्य भोजन और चटनियों में जल-जीवों के अवशेष पाया जाना सामान्य सी बात है।
प्रचारित धारणाओं के विपरीत भोजन में छूआछूत शाकाहारियों की विशेषता नहीं है। भारत के अधिकांश मांसाहारी झटका, हलाल या कुत्ता जैसे नियमों के पाबंद हैं। कोई गोमांस से बचता है तो कोई सूअर के मांस से। पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों में चाव से खाया जाने वाला कुत्ते का मांस पश्चिम भारत के किसी भी मांसाहारी के मन में वितृष्णा उत्पन्न कर सकता है। भारत के बाहर भी संसार के लगभग सभी मांसाहारी समुदायों में कट्टर भोजन-भेद मौजूद रहा है। यहूदी संप्रदाय कोशर खाता है तो मुसलमान हलाल तक सीमित हैं। मध्य-पूर्व के दयालु समझे जाने वाले लोकनायक हातिमताई द्वारा भोजन के लिए अपना पालतू घोड़ा मारकर पका देने की कथा है जबकि अमेरिका में घोड़ा खाने वाले को अहसान-फरामोश, असभ्य और क्रूर माना जाएगा। निष्कर्ष यह कि संसार में अविचारी सर्वभक्षी लोगों की संख्या कम है। अधिकांश लोग कुछ भी खाने से पहले उसके बारे में आश्वस्ति चाहते हैं। एलर्जीग्रस्त कितनों के लिए यह स्वास्थ्यगत अनिवार्यता भी है।
प्राचीन भारतीय समाज में हर काम करने की पद्धति निर्धारित थी। संस्कृत भाषा, अंक पद्धति और लिपियों का विकास भी विदेशों से अलग नियमबद्ध रूप से ही हुआ है। आज भले ही हम संकल्प और पद्धति को पिछड़ापन बताकर "जुगाड़" और "चलता है" को सामान्य मानने लगे हों लेकिन विकसित देशों में सब काम नियम से किया जाता है। वहाँ भोज्य पदार्थों में उनके तत्व सूचीबद्ध करने की भी कानूनी बाध्यता लंबे समय से रही है। सामान्य प्रचलित तत्वों के अतिरिक्त अप्रचलित रसायनों के लंबे और जटिल वैज्ञानिक नाम के चलते उन्हें सूचीबद्ध करने के लिए ई संख्या कूट (E number code) का प्रयोग किया जाता है। इन कूट संख्याओं के बारे में इन्टरनेट पर काफी भ्रम फैले हुए हैं। किसी आगामी आलेख में उन पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
सन 2006 में स्थापित भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण स्वस्थ और विश्वसनीय भोजन चुनने की दिशा में अच्छी पहल है। भोजन के व्यावसायिक उत्पादन, भण्डारण, वितरण आदि के नियम बनाना और उनका अनुपालन कराना भी प्राधिकरण के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है। परंपरागत भारतीय शाकाहार (दुग्धाहार सम्मिलित) और मांसाहार की पेकेजिंग/थैली/पुलिंदे पर संस्थान द्वारा स्पष्ट हरे या लाल चिन्ह द्वारा पहचान आसान किए जाना एक सराहनीय कदम है।
डब्बाबंद/प्रीपैकेज्ड भोज्य पदार्थ खरीदते समय हरा शाकाहारी चिन्ह देखिये और सात्विक भोजन को बढ़ावा दीजिये। बल्कि मैं तो यही कहूँगा कि पर्यावरण संरक्षण में सहयोग देते हुए, थैली/डिब्बा के भोजन पर निर्भरता ही यथासंभव कम कीजिये। निरामिष परिवार की ओर से आपके सात्विक स्वस्थ जीवन की शुभकामनायें।
* संबन्धित कड़ियाँ *
ई कोड - क्या आपके शाकाहार में सुअर की चर्बी है?
प्रचारित धारणाओं के विपरीत भोजन में छूआछूत शाकाहारियों की विशेषता नहीं है। भारत के अधिकांश मांसाहारी झटका, हलाल या कुत्ता जैसे नियमों के पाबंद हैं। कोई गोमांस से बचता है तो कोई सूअर के मांस से। पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों में चाव से खाया जाने वाला कुत्ते का मांस पश्चिम भारत के किसी भी मांसाहारी के मन में वितृष्णा उत्पन्न कर सकता है। भारत के बाहर भी संसार के लगभग सभी मांसाहारी समुदायों में कट्टर भोजन-भेद मौजूद रहा है। यहूदी संप्रदाय कोशर खाता है तो मुसलमान हलाल तक सीमित हैं। मध्य-पूर्व के दयालु समझे जाने वाले लोकनायक हातिमताई द्वारा भोजन के लिए अपना पालतू घोड़ा मारकर पका देने की कथा है जबकि अमेरिका में घोड़ा खाने वाले को अहसान-फरामोश, असभ्य और क्रूर माना जाएगा। निष्कर्ष यह कि संसार में अविचारी सर्वभक्षी लोगों की संख्या कम है। अधिकांश लोग कुछ भी खाने से पहले उसके बारे में आश्वस्ति चाहते हैं। एलर्जीग्रस्त कितनों के लिए यह स्वास्थ्यगत अनिवार्यता भी है।
प्राचीन भारतीय समाज में हर काम करने की पद्धति निर्धारित थी। संस्कृत भाषा, अंक पद्धति और लिपियों का विकास भी विदेशों से अलग नियमबद्ध रूप से ही हुआ है। आज भले ही हम संकल्प और पद्धति को पिछड़ापन बताकर "जुगाड़" और "चलता है" को सामान्य मानने लगे हों लेकिन विकसित देशों में सब काम नियम से किया जाता है। वहाँ भोज्य पदार्थों में उनके तत्व सूचीबद्ध करने की भी कानूनी बाध्यता लंबे समय से रही है। सामान्य प्रचलित तत्वों के अतिरिक्त अप्रचलित रसायनों के लंबे और जटिल वैज्ञानिक नाम के चलते उन्हें सूचीबद्ध करने के लिए ई संख्या कूट (E number code) का प्रयोग किया जाता है। इन कूट संख्याओं के बारे में इन्टरनेट पर काफी भ्रम फैले हुए हैं। किसी आगामी आलेख में उन पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
सन 2006 में स्थापित भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण स्वस्थ और विश्वसनीय भोजन चुनने की दिशा में अच्छी पहल है। भोजन के व्यावसायिक उत्पादन, भण्डारण, वितरण आदि के नियम बनाना और उनका अनुपालन कराना भी प्राधिकरण के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है। परंपरागत भारतीय शाकाहार (दुग्धाहार सम्मिलित) और मांसाहार की पेकेजिंग/थैली/पुलिंदे पर संस्थान द्वारा स्पष्ट हरे या लाल चिन्ह द्वारा पहचान आसान किए जाना एक सराहनीय कदम है।
डब्बाबंद/प्रीपैकेज्ड भोज्य पदार्थ खरीदते समय हरा शाकाहारी चिन्ह देखिये और सात्विक भोजन को बढ़ावा दीजिये। बल्कि मैं तो यही कहूँगा कि पर्यावरण संरक्षण में सहयोग देते हुए, थैली/डिब्बा के भोजन पर निर्भरता ही यथासंभव कम कीजिये। निरामिष परिवार की ओर से आपके सात्विक स्वस्थ जीवन की शुभकामनायें।
* संबन्धित कड़ियाँ *
ई कोड - क्या आपके शाकाहार में सुअर की चर्बी है?
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (15-06-2014) को "बरस जाओ अब बादल राजा" (चर्चा मंच-1644) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
जी धन्यवाद
हटाएंजी । आगे जानकारी का इंतजार रहेगा ।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन विश्व रक्तदान दिवस - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी
हटाएंउपयोगी जानकारी...
जवाब देंहटाएंjaankari poorn post ..abhar ..
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी..... कई उत्पादों पर देखा है यह मार्क, सचेत रहना ज़रूरी है
जवाब देंहटाएंकामकी बात।
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी...
जवाब देंहटाएंमांसा्हार कई प्रकार के अपराधबोधों से दुविधाग्रस्त है। शाकाहार के लिए हरा निशान बहुत ही सहयोगी सिद्ध है। हरित चिह्न देखकर हरितावली को उन्नयन दीजिए। आपकी शाकाहार मांग ही शाकाहार का उत्पादन बढ़ाएगी। इसी उत्पादन के बहाने धरती सदैव हरी बनी रहेगी। इस नीले ग्रह को रक्तरंजित लाल चुनर नहीं, हरी-भरी हरित ओढनी चाहिए। इस उपयोगी लेख के लिए बहुत बहुत आभार, अनुराग जी!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही उपयोगी आलेख!!
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी। आपके सलाहनुसार मैं तो यता संभव घर का पका खाना ही खाती और खिलाती हूँ.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
HindiPanda
meri vinti h ki sabhi log jo shakahaari h kripaya ish logo ko dekh kr hi samaan kharidey dhanywaad.
जवाब देंहटाएंYou may like - What is Google AdSense and How to Make Money?
I enjoyed reading your blog its quite interesting! Seeking for dispensaries worry no more!
जवाब देंहटाएंWonderful Blog! satta king
Thank for sharing but may also work in your like commercially.
Ask your dealer for a aggressive offer for a provided service that includes web site style
sattaking
sattaking
best site for satta king result, leak number all game record charts. We provide 100% fix number direct from Satta king gali company which includes all famous games like Satta king Desawar, Gali Satta, Ghaziabad, Faridabad, Shri Ganesh Satta, Taj Satta King, charminar and other games of Satta Market Matka is also a simple game and essentially is a form of old lottery games. Ratan Khatri was the founder of this game in the 70 century and was become popular up until the 90 century. The game is not played that much anymore mostly in the regions of North India and Pakistan. Instead, many enjoy the lottery games Satta king result more so these days.
जवाब देंहटाएंHere is an example card. satta-king.online is the no1 satta king site where you can get the fastest Satta result, Satta king leak number (confirm jodi), Old Satta King ghaziabad, Daily leak Jodi, Desawar Jodi, Satta king faridabad, Satta record chart, Satta king taj, Gali Satta result, Ghaziabad Satta Result, Satta Bazar result and 100% passing fix Jodi today.
This Blog is quite helpful and informative. Thanks for sharing this Blog. Well Recommended for all.
जवाब देंहटाएंB2B Marketplace India
Health & Beauty Products Suppliers
Food Products &
Beverages Products Suppliers
Our Service Partners:-
Refrigerator
Repair Service
Digital Marketing Company In
Delhi
Nice Post, I like your Information and the great post.
जवाब देंहटाएंMeerut Latest News
Top 10 CBSE Schools in Meerut
Website Designer In Meerut
Satta Bazar
Delhi Bazar
Thanks for your marvelous posting! I really enjoyed reading it, you happen to be a great author. I will remember to bookmark your blog and may come back in the foreseeable future.
जवाब देंहटाएंRead More:-
Satta king
Do you want to play Satta King Lottery , found this term on internet or heard about this unique lottery from your friends .
जवाब देंहटाएंNice Post. You are Share great post and keep posting.
जवाब देंहटाएंWeight loss doctor in Meerut
Pediatric care in Meerut
Diabetes management in Meerut
If you are interested to earn money online then don't worry. Satta King is one of the most popular games which helps you to earn money online. Just visit our website and fill up some formalities and start your game to earn lots of money. Those who want to earn money through games and become rich can come to us as well play with us. To know more about the game can visit our website Online SattaKing.
जवाब देंहटाएंnice post click here LOTTERYSAMBADEAR
जवाब देंहटाएंYour site is very informative and it has helped me a lot And what promotes my business visit our site:-
जवाब देंहटाएंsatta king
satta king