इसलिये नहीँ कि हिन्दू
मुस्लिम ।।।
इसलिये कि रूबी और
रेहाना की माँ को जब
दूध
नहीँ उतरा तो हमारी गौरी
ने भर भर माता का दूध दिया
पल गयीं।
मुफ्त में गाँव
की धेवती मानकर।
तो
धाय माँ दूध
माँ की हत्या ग़ुनाह है।
जब माँ नहीँ तो दुधारू
गाय भैंस
बकरी ही माँ होती है ।
एक बेटे का फर्ज है
जिसका दूध
पिया उसकी जान
बचाये ।
जबकि पश्चिमी यूपी।
सहित तमाम भारतीय ग्रामीणों का ।
खेती के बाद दूसरा रोजगार दूध घी दही है
तब गौ भैंस बकरी पालन को बढ़ावा देना चाहिये
और दुधारू पशु वध बंद होने चाहिये
ये
न मजहब है न जाति न
राजनीति
दुधारू गाय भैंस
बकरी ऊँटनी भेङ ।
बचे
तो
कुपोषण भारत छोङेगा
विज्ञापनों में
आमिर के चीखने से कुपोषण नहीं हटेगा ।
एक गाय भैंस
बीस साल तक परिवार को आधा आहार और पूरा रोजगार देती है ।
जबकि मार कर खाने पर केवल पाँच लोगो का एक दिन का चटोरापन
तो
बीस साल तक परिवार पालना ज्यादा जरूरी है
दुधारू पशु वध बंद कीजिये
मुस्लिम ।।।
इसलिये कि रूबी और
रेहाना की माँ को जब
दूध
नहीँ उतरा तो हमारी गौरी
ने भर भर माता का दूध दिया
पल गयीं।
मुफ्त में गाँव
की धेवती मानकर।
तो
धाय माँ दूध
माँ की हत्या ग़ुनाह है।
जब माँ नहीँ तो दुधारू
गाय भैंस
बकरी ही माँ होती है ।
एक बेटे का फर्ज है
जिसका दूध
पिया उसकी जान
बचाये ।
जबकि पश्चिमी यूपी।
सहित तमाम भारतीय ग्रामीणों का ।
खेती के बाद दूसरा रोजगार दूध घी दही है
तब गौ भैंस बकरी पालन को बढ़ावा देना चाहिये
और दुधारू पशु वध बंद होने चाहिये
ये
न मजहब है न जाति न
राजनीति
दुधारू गाय भैंस
बकरी ऊँटनी भेङ ।
बचे
तो
कुपोषण भारत छोङेगा
विज्ञापनों में
आमिर के चीखने से कुपोषण नहीं हटेगा ।
एक गाय भैंस
बीस साल तक परिवार को आधा आहार और पूरा रोजगार देती है ।
जबकि मार कर खाने पर केवल पाँच लोगो का एक दिन का चटोरापन
तो
बीस साल तक परिवार पालना ज्यादा जरूरी है
दुधारू पशु वध बंद कीजिये
--सुधा राजे
(सत्य घटना से प्रेरित, 'गौरी' सुधा राजे जी की गाय और रूबी रेहाना पङौस की बच्चियाँ है।)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (16-01-2014) को "फिसल गया वक्त" चर्चा - 1494 में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मानवीय पुकार, पुख्ता आधार। इस रचना के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंbahut satya vajah hai gaumaata kee raksha ho ...
जवाब देंहटाएंमार्मिक। सार्थक अपील !
जवाब देंहटाएंजननी और जन्मभूमि को तो सभी ने स्वर्ग से भी श्रेष्ठ बताया है.. लेकिन गऊ माता के विषय में कोई नहीं सोचता... बहुत ही सुन्दर दृष्टांत (सत्य घटना) द्वारा समझाया है सुधा जी ने!! हमारे गुजरात में तो गऊ माता सुरक्षित हैं और उन्हीं की बदौलत श्वेत क्रांति की भूमि है यह!!
जवाब देंहटाएंगाय की रक्षा हर स्तर पर हो।
जवाब देंहटाएंkripya ye link jarur padein spireli.blogspot.com
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