शनिवार, 30 जुलाई 2011

विदेश में शाकाहार की प्रगति - झलकियाँ


न्यूयॉर्क में शाकाहारियों की पंक्ति
अमेरिका में रहने के कारण यहाँ के जन-जीवन को पहचानना और समझना मेरे लिये पहले से अधिक आसान हो गया है। अमेरिका आप्रवासियों का देश है। संसार भर की संस्कृति की झलक यहाँ आसानी से हो जाती है। विभिन्न भाषायें, वेश-भूषा और भोजन शैलियों से परिचय होता है। अंतर्राष्ट्रीय लोक-महोत्सव जैसे समारोहों में तो यह विविधता अनुभव होती ही रही है पर अब सामान्य जीवन में भी मुखर हो रही है। देख रहा हूँ कि पिछले दिनों में शाकाहारी भोजनालयों की संख्या भी बढी है और उनके ग्राहकों की संख्या भी। कुछ झलकियाँ

बोस्टन मेट्रो में वीगन पोस्टर
शाकाहारी पुस्तकें व टीवी कार्यक्रम आसानी से सर्व-सुलभ होते जा रहे हैं। अनेक संस्थायें भी मांस व्यवसाय द्वारा पशु-उत्पीडन के विरुद्ध सामने आये हैं।

भारत, थाइलैंड, मध्यपूर्व के शाकाहारी भोजन का चलन बढा है
ग्रामीण व उपनगरीय क्षेत्रों में कृषक तथा नगरों में कई फ़ार्मर्स मार्केट व फल विक्रेता बच्चों-बडों के लिये स्वयं फल चुने जैसे कार्यक्रम नियमित चलाते हैं, जिनमें लोग अपनी-अपनी टोकरी लेकर बाग़ में जाते हैं और अपनी पसन्द के फल चुनकर खुद ही तोडकर, तुलवाकर भुगतान करके घर ले आते हैं।
पिट्सबर्ग में एक ब्लू-बेरी पिकिंग फ़ार्म
जिस प्रकार हिन्दी के विस्तार के लिये हिन्दी दिवस से अधिक काम हिन्दी फ़िल्मों ने किया है उसी प्रकार से टॉप्सी टर्वी जैसे उलटे टांगने वाले पौधों के दर्शनीय प्रयोगों से लोग अपार्टमेंट के अन्दर भी विभिन्न फल-सब्ज़ियाँ जैसे स्ट्राबेरी, टमाटर आदि घरों में उगाकर स्वस्थ भोजन की ओर प्रवृत्त हो रहे हैं।
टॉप्सी टर्वी के टांगने योग्य उलटे टमाटर


यहाँ, करुणा और शाकाहार की भारत जैसी प्राचीन सुदृढ परम्परा भले ही न हो, जन-जागृति फिर भी हो रही है। कई नगरों में शाकाहारी समूह बने हैं जिनकी सदस्य संख्या लगातार बढती जा रही है।

शुद्ध शाकाहारी भोजनालय


11 टिप्‍पणियां:

  1. सच में यह हो रहा है..... कनाडा में मैं भी जिस शहर में हूँ वहां ऐसे शुद्ध शाकाहारी भोजन के लिए रेस्टोरेंट हैं और यकीन मानिये वहां भी हमेशा लाइन लगी रहती है लोगों की........ इनमें भारतीय और विदेशी दोनों ही शामिल हैं.....

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  2. चलो जी देर से ही सही, इन्हे बुद्धि तो आ रही है।

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  3. यह तो मानना ही पडेगा कि पश्चिमि लोग वास्त्विक जानकारी होने पर जाग्रत हो जाते है।

    वे सदा श्रेष्ठ ही अपनाते है, फिर चाहे सुविधाभोग हो या सभ्य जीवन शैली।

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  4. बहुत सही जानकारी दी है आपने|
    भाई सुज्ञ जी की टिपण्णी भी गौर करने लायक है|
    पश्चिमी देश धीरे धीरे वे सब अपना रहे हैं जो प्राचीन समय में हम भारतीय करते थे| किन्तु आज हम विदेशी बनने के प्रयास में लगे हैं और विदेशी खुद देसी बनने के मार्ग पर अग्रसर हैं|
    आपकी यह प्रस्तुति बेशक बहुत ही प्रशंसनीय है...साधुवाद...

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  5. बहुत ही उम्दा जानकारी दी आपने कि पश्चिमी देशों को भी आखिर एहसास होना शुरू हो गया है कि शाकाहार ही उत्तम जीवन का आधार है वैसे मेरे ख्याल से हर चेतन प्राणी ये मानता है कि जैसा हमारे ग्रंथों में जो कुछ दर्ज है वो हमारे ऋषिमुनियों की गहन शोध और तपस्या का परिणाम ही है जो कहा करते थे कि जैसा अन्न वैसा तन और मन अर्थात हमारा शरीर भी इनपुट और आउटपुट के सिद्धांत पर कार्य करता है जैसा अन्न खाओगे वैसे ही विचार उभर कर बाहर आयेंगे और जैसे विचार होंगे हमारे कर्म भी वैसे ही होंगे, और जैसे कर्म होंगे वैसे ही परिणाम होंगे अर्थात मरा हुआ खायेंगे तो विचार भी मरे हुए ही होंगे और परिणाम भी मरे हुए ही होंगे...
    पर एक बात जैसे दिवस जी ने कही है (वो गौर करने लायक है और उन लोगों को दिखाने लायक भी जो कहते हैं भारत में कोई बुद्धिमान नहीं है भारत पिछडा राष्ट्र है और अमेरिका, चीन वगेरह बहुत ही बिकसित देश) कि पश्चिमी देश धीरे धीरे वे सब अपना रहे हैं जो प्राचीन समय में हम भारतीय करते थे किन्तु आज हम विदेशी बनने के प्रयास में लगे हैं और विदेशी खुद देसी बनने के मार्ग पर अग्रसर हैं, तो मेरा ज्ञान या फिर मैं आज तक जो कुछ समझ पाया कि कोई भी देश तब तक उन्नति नही कर सकता या फिर संम्पन नहीं बन सकता जब तक वो अपनी सभ्यता , संस्कृति , और अपने राष्ट्र की उत्पन्न व प्राकृतिक भू संपदाओं का आदर सत्कार नहीं करता या फिर उनको अपनाता नहीं है !

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
    अच्छी जानकारी देने के लिए बहुत बहुत आभार.
    शाकाहार की तरफ दुनिया का झुकाव होना एक अच्छी
    सोच का ही परिणाम है.

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  7. मेरे अनुसार शाकाहार अपनाना जागृति का प्रतिक है . शाकाहार ही श्रेष्ठ है हम सब जानते है.

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  8. वाह!
    बहुत सुन्दर पोस्ट!
    --
    पूरे 36 घंटे बाद नेट पर आया हूँ!
    धीरे-धीरे सबके यहाँ पहुँचने की कोशिश कर रहा हूँ!

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  9. सुज्ञ जी ने सही कहा....

    ..... मानना ही पडेगा कि पश्चिमि लोग वास्त्विक जानकारी होने पर जाग्रत हो जाते है।

    वे सदा श्रेष्ठ ही अपनाते है, फिर चाहे सुविधाभोग हो या सभ्य जीवन शैली।

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  10. शाकाहार सर्वश्रेष्ठ पद्धति है।

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  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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