मंगलवार, 30 अगस्त 2011

मानव के भोजन का उद्देश्य




भोजन का उद्देश्य मात्र उदरपूर्ति या स्वादतृप्ति ही नहीं है। हम भोजन के लिए नहीं जीते, बल्कि जीवित रहने के लिए हमें भोजन करना पडता है। भोजन का उद्देश्य, शरीर सौष्ठव बनाना मात्र नहीं है। आहार से तो बस हमें जीवन उर्ज़ा मात्र चाहिए। आहार से उर्ज़ा प्राप्त कर, उस शक्ति को मानसिक और चारित्रिक विकास में लगाना हमारा ध्येय है। 

सुविधायुक्त जीना हमारा भ्रांत लक्ष्य है, सुखरूप जीना ही वास्तविक लक्ष्य है। दूसरों को सुखरूप जीने देना हमारे ही सुखों का अर्जन है। सुखरूप जीनें के लिए आचार-विचार उत्तम होने चाहिए। दया, करूणा और सम्वेदनाओं से हृदय भरा होना चाहिए । हमारी सम्वेदनाएं आहार से प्रभावित होती है। मन की सोच पर आहार का स्रोत हावी ही रहता है,यदि वह स्रोत क्रूरता प्रेरित है तो हमारी कोमल भावनाओं को निष्ठुर बना देता है। 

आहार का आचार विचार व व्यवहार से गहरा सम्बंध है। हमारा सम्वेदनशील मन किसी के प्रति, प्रिय अप्रिय भावनाएं पैदा करता है। जिस प्रकार बार बार क्रूर दृश्य देखने मात्र से हमारे करूण भावों में कमी आती है, ठीक उसी प्रकार आहार स्रोत के चिंतन का प्रभाव हमारी सम्वेदनाओं का क्षय कर देता है। अतः भोजन का उद्देश्य, भौतिक ही नहीं मानसिक विकास भी होता है।

9 टिप्‍पणियां:

  1. सुविधायुक्त जीना हमारा भ्रांत लक्ष्य है, सुखरूप जीना ही वास्तविक लक्ष्य है।

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  2. कहा भी गया है

    Khave Anna , Waisa Hove mana

    ~~~~~~अंग्रेजी में ~~~~~~

    ‘ As your diet , so your feelings . ’



    “ Tell me what you eat and I will tell you what you are ! ”

    Brillat – Savarin , the French Philosopher

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  3. यह बात वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित भी हो चुकी है

    @सुज्ञ जी
    इस विषय पर एक और अच्छे लेख के लिए धन्यवाद

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  4. यदि आपकी इस पोस्ट पर मैं 'विचारणीय' कहकर अपना विज्ञापन चस्पा कर जाऊं... तो हर बार की तरह मैं अपने को इस बार भी धोखे में ही रखूँगा.
    क्योंकि जब तक आपके विचारों में स्वानुभूत सत्य के दर्शन नहीं होंगे... तब तक कैसे अपनी संवेदना को समग्र निर्दोष जीवों से जोड़कर देख पाउँगा.
    ........... ईद-उल-फितर........... मुबारक
    भाइयो मिलकर मनाओ ईद .... दिल में न रह जाये कसक औ' फिकर..... गर गरीबी में दबा है कोई बन्दा... बाँट फितरा दिखा उसको भी जिगर.
    पर न ज़िंदा जनावर को मार.... मुर्दा खा न बन्दे, कर परिंदे बेफिकर ..... जर और जोरू है सलामत खुद की व औरों की.... रख पाक अपनी भी नज़र.
    दर और दरिया मान सबका .... मोहब्बत का, सब बराबर सब बराबर..... सरहद हिंद पर मरने का ज़ज्बा पाल... कर दे दुश्मनों को नेस्तानाबुद औ' सिफ़र.

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  5. भोजन का उद्देश्य, भौतिक ही नहीं मानसिक विकास भी होता है.

    भोजन के साथ यह भावना आवश्यक है .

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  6. बहुत सुन्दर।
    --
    भाईचारे के मुकद्दस त्यौहार पर सभी देशवासियों को ईद की दिली मुबारकवाद।
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    कल गणेशचतुर्थी होगी, इसलिए गणेशचतुर्थी की भी शुभकामनाएँ!

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