कॉलेस्टरॉल प्राणियों के शरीर में निर्मित होने वाला एक दानेदार रासायनिक पदार्थ (स्टैरॉल, ऐल्कोहल) है। कॉलेस्टरॉल के अणु प्राणियों के शरीर में कई प्रक्रियाओं के लिये अनिवार्य घटक हैं। इसके कुछ उपयोग निम्न हैं:
मानव शरीर में कॉलेस्टरॉल वसा में घुलनशील प्रोटीन (लिपोप्रोटीन) के रूप में हमारे रक्त में प्रवाहित होता है। घनत्व के अनुसार इसके सामान्यतः दो प्रकार होते हैं अल्प-सान्द्र (कम घनत्व = LDL=Low-density lipoprotein; बुरा) कॉलेस्टरॉल व अति-सान्द्र (अधिक घनत्व = HDL=high-density lipoprotein; अच्छा) कॉलेस्टरॉल। लहू में अल्प-सान्द्र कॉलेस्टरॉल का आधिक्य हृदयरोग का कारक बनता है जबकि अति-सान्द्र कॉलेस्टरॉल हृदय को स्वस्थ रखने में सहायता करता है।
अमेरिकी स्वास्थ्य प्रक्रिया में 20 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को पाँच वर्ष में कम से कम एक बार कॉलेस्टरॉल की जाँच कराने की सलाह दी जाती है। और कॉलेस्टरॉल के आधिक्य की स्थिति में इसकी मात्रा की और यकृत (जिगर/लिवर) की वार्षिक जाँच की सलाह है।
कॉलेस्टरॉल वनस्पति जगत में नहीं पाया जाता। हमारे शरीर में कॉलेस्टरॉल की उपस्थिति के दो कारण हो सकते हैं, एक सामिष भोजन और दूसरा आंतरिक निर्माण। मांसाहार से शरीर में आने वाला अधिकांश कॉलेस्टरॉल अल्प-घनत्व वाला, हानिप्रद होता है। शाकाहारी भोजन करने से हम इस प्रकार के हानिप्रद कॉलेस्टरॉल के आगमन से पूर्णतया बच सकते हैं। मांसाहार तो वैसे ही कॉलेस्ट्रॉल के लिये बुरा है पर उसमें भी जिगर आदि अंग तो विशेषरूप से कॉलेस्टरॉल से लदे होते हैं।
कॉलेस्टरॉल का दूसरा स्रोत हमारा शरीर है। फल, सब्ज़ी, संतुलित भोजन, व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों द्वारा हम शरीर में अच्छे कॉलेस्टरॉल के निर्माण की प्रक्रिया को बढा सकते हैं। इसके उलट मांसाहार, तला भोजन और आरामतलब जीवनशैली हमारे शरीर में भी बुरे कॉलेस्टरॉल की मात्रा बढाती है। कॉलेस्टरॉल के मामले में शाकाहारी भोजन एक दुधारी तलवार है। एक ओर तो यह स्वयं कॉलेस्टरॉल-मुक्त होता है। वहीं, दूसरी ओर इसमें उपस्थित रेशे (fibers) शरीर में बनने वाले कॉलेस्टरॉल को भी पाचन तंत्र द्वारा अवशोषित होने से रोकते हैं।
शरीर में अच्छे कॉलेस्टरॉल की मात्रा बढाने के लिये संतुलित शाकाहारी भोजन, मेवे, फल, फूल, शाक की अधिकता, गतिमान व्यायाम (सूर्य नमस्कार, साइकिल, जॉगिंग, नृत्य, ऐरोबिक्स आदि) लाभप्रद हैं। मांस, तले हुए पदार्थ, और धूम्रपान से बचाव बुरे कॉलेस्टरॉल की मात्रा कम करने में सहायक है। फल, सब्ज़ी, मोटा अनाज, ईसबगोल, अलसी, सूर्यमुखी आदि के बीज आदि से प्राप्त होने वाला रेशा (फ़ाइबर) शरीर में मौजूद कॉलेस्टरॉल को पाचन-तंत्र द्वारा अवशोषित हुए बिना बाहर निकालने में सहायक है।
रक्त की नियमित जाँच कराकर हम अपने कॉलेस्टरॉल की मात्रा जानकर सही उपाय करके ह्रदयघात, स्ट्रोक आदि से बच सकते हैं। यदि उपरोक्त उपाय काम न आयें, तो प्रमाणित और कारगर दवाओं का सहारा लिया जा सकता है। याद रहे संतुलित शाकाहारी भोजन हमें स्वस्थ और सम्पूर्ण आहार प्रदान करता है। उचित जीवन शैली अपनाकर हम न केवल निरोग रह सकते हैं बल्कि समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को भी बेहतर रूप से निभा सकते हैं।
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* सम्बन्धित कड़ियाँ *
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* शाकाहार रोके दिल का दौरा
* पनीर से कम करें कॉलेस्टरॉल
* स्पाइरुलीना
* कोलेस्टेरॉल-विकीपीडिया
- विटामिन डी का निर्माण
- वसा-पाचन के अम्लों का निर्माण
- कोशिका-भित्ति के सामान्य कार्य-निष्पादन
- कई हार्मोनों का निर्माण
मानव शरीर में कॉलेस्टरॉल वसा में घुलनशील प्रोटीन (लिपोप्रोटीन) के रूप में हमारे रक्त में प्रवाहित होता है। घनत्व के अनुसार इसके सामान्यतः दो प्रकार होते हैं अल्प-सान्द्र (कम घनत्व = LDL=Low-density lipoprotein; बुरा) कॉलेस्टरॉल व अति-सान्द्र (अधिक घनत्व = HDL=high-density lipoprotein; अच्छा) कॉलेस्टरॉल। लहू में अल्प-सान्द्र कॉलेस्टरॉल का आधिक्य हृदयरोग का कारक बनता है जबकि अति-सान्द्र कॉलेस्टरॉल हृदय को स्वस्थ रखने में सहायता करता है।
अमेरिकी स्वास्थ्य प्रक्रिया में 20 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को पाँच वर्ष में कम से कम एक बार कॉलेस्टरॉल की जाँच कराने की सलाह दी जाती है। और कॉलेस्टरॉल के आधिक्य की स्थिति में इसकी मात्रा की और यकृत (जिगर/लिवर) की वार्षिक जाँच की सलाह है।
कॉलेस्टरॉल का दूसरा स्रोत हमारा शरीर है। फल, सब्ज़ी, संतुलित भोजन, व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों द्वारा हम शरीर में अच्छे कॉलेस्टरॉल के निर्माण की प्रक्रिया को बढा सकते हैं। इसके उलट मांसाहार, तला भोजन और आरामतलब जीवनशैली हमारे शरीर में भी बुरे कॉलेस्टरॉल की मात्रा बढाती है। कॉलेस्टरॉल के मामले में शाकाहारी भोजन एक दुधारी तलवार है। एक ओर तो यह स्वयं कॉलेस्टरॉल-मुक्त होता है। वहीं, दूसरी ओर इसमें उपस्थित रेशे (fibers) शरीर में बनने वाले कॉलेस्टरॉल को भी पाचन तंत्र द्वारा अवशोषित होने से रोकते हैं।
निरामिष, सात्विक, शाकाहार पूर्णतया कॉलेस्टरॉल-मुक्त होता है।कुल कॉलेस्टरॉल की स्वस्थ मात्रा 200 mg/dL (मिलिग्राम प्रति डेसिलीटर) के नीचे मानी जाती है। 240 mg/dL से अधिक कॉलेस्टरॉल खतरनाक है। एलडीएल (बुरा) की मात्रा 70 mg/dL से कम होनी चाहिये। एचडीएल (अच्छा) की मात्रा पुरुषों के लिये 40 mg/dL से ऊपर व महिलाओं के लिये 50 mg/dL से ऊपर अपेक्षित है। बुरे कॉलेस्टरॉल की अधिक मात्रा हमारी धमनियों की आंतरिक दीवारों पर पपड़ी के रूप में चिपकती रहती है और उन्हें संकरा और कड़ा बनाती जाती है। अच्छा कॉलेस्टरॉल, धमनियों की दीवारों पर जमने वाले बुरे कॉलेस्टरॉल के कणों को पकड़कर वापस यकृत में जमा कर देता है। कुछ चिकित्सकों की मान्यता है कि हम भारतीयों की धमनियाँ वैसे भी कुछ संकरी होती हैं और हमारी जीवन-शैली में श्रम का कम होता महत्व भी हमारा शत्रु बन रहा है। कारण जो भी हो पर यह सच है कि विदेश में रहने वाले भारतीय यहाँ के स्थानीय निवासियों के मुकाबले कॉलेस्टरॉल से अधिक पीड़ित हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अच्छा कॉलेस्ट्रोल अधिक पाया जाता है। इसी प्रकार धूम्रपान करने वालों में बुरे कॉलेस्टरॉल की अधिकता पायी गयी है।
रक्त की नियमित जाँच कराकर हम अपने कॉलेस्टरॉल की मात्रा जानकर सही उपाय करके ह्रदयघात, स्ट्रोक आदि से बच सकते हैं। यदि उपरोक्त उपाय काम न आयें, तो प्रमाणित और कारगर दवाओं का सहारा लिया जा सकता है। याद रहे संतुलित शाकाहारी भोजन हमें स्वस्थ और सम्पूर्ण आहार प्रदान करता है। उचित जीवन शैली अपनाकर हम न केवल निरोग रह सकते हैं बल्कि समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को भी बेहतर रूप से निभा सकते हैं।
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* सम्बन्धित कड़ियाँ *
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* शाकाहार रोके दिल का दौरा
* पनीर से कम करें कॉलेस्टरॉल
* स्पाइरुलीना
* कोलेस्टेरॉल-विकीपीडिया
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने,आभार.
जवाब देंहटाएंआपने बहुत अच्छी जानकारी जुटायी है। मैं इससे व्यक्तिगत रूप से बहुत लाभान्वित हुआ। बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंAapne bahut achhi jaankari di...ye term jaane kitni baar suni thi par vastav main kya hai yah aaj pata chala...
जवाब देंहटाएंAapka aabhaar..
Saadar..
Deepak Shukla..
कॉलेस्टरॉल किस चिड़िया का नाम है?
जवाब देंहटाएं@ Sir, कोलेस्ट्रोल चिड़िया का नहीं कीड़े का नाम है... फोटू में तो कोलेस्ट्रोल के कीड़े नज़र आ रहे हैं... दो तरह के कीड़े .. एक अच्छा और एक बुरा. एक का नाम एल डी एल और दूसरे का नाम एच डी एल ... काफी अच्छे से समझाया है... इतना अच्छे से कि भोंदू को भी समझ आ जाये. :)
उत्तम सामग्री का संग्रह किया है साधुवाद
जवाब देंहटाएंअनुराग जी,
जवाब देंहटाएंआपने बहुत ही सरलता से कॉलेस्टरॉल के प्रकार, उसकी उपज और प्रभाव को सरलता से प्रकट कर दिया।
मानव स्वास्थ्य के लिए यह जानकारी बहुत ही लाभप्रद है जब आज के युग में मनुष्य के आहार में वसा बढ़ गई है और उसके अवशोषण में आवश्यक श्रम घट गया है।
स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों को अपने आहार से बुरे कॉलेस्टरॉल को हटा देना होगा या शारिरीक श्रम को बढ़ा देना होगा, साथ ही अच्छे कॉलेस्टरॉल के लिए शाकाहार को महत्व देना ही होगा।
आपने सही कहा………
"हमारे शरीर में कॉलेस्टरॉल की उपस्थिति के दो कारण हो सकते हैं, एक सामिष भोजन और दूसरा आंतरिक निर्माण। मांसाहार से शरीर में आने वाला अधिकांश कॉलेस्टरॉल अल्प-घनत्व वाला, हानिप्रद होता है। शाकाहारी भोजन करने से हम इस प्रकार के हानिप्रद कॉलेस्टरॉल के आगमन से पूर्णतया बच सकते हैं। मांसाहार तो वैसे ही कॉलेस्ट्रॉल के लिये बुरा है पर उसमें भी जिगर आदि अंग तो विशेषरूप से कॉलेस्टरॉल से लदे होते हैं।"
बहुत ही उपयोगी बातें लिखी है आपने ...
जवाब देंहटाएंek acchi jankari di aap ne
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अपडेट .नव वर्ष मुबारक .
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