संपादकीय नोट: यह जानकारी किसी चिकित्सकीय सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी संशय, बीमारी, लक्षण की स्थिति में अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लीजिये।
दूध, दही, खमीर, अंकुरित दालें, शैवाल |
विटामिन बी के नाम से पुकारा जाने वाला समूह बहुत से विटामिनों का ऐसा समूह है जिसके अधिकांश घटक शाकाहारी भोजन में निसन्देह प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। केवल एक घटक "बी12" के बारे में कुछ समूह बार-बार यह बात कहते हैं कि यह वनस्पति जगत में नहीं होता। आइये सत्यान्वेषण पर आगे चलने से पहले इस तर्क को परख लिया जाये। यदि बी12 वनस्पति जगत में न बनकर केवल प्राणियों के शरीरों में उत्पन्न होता तब तो उसके लिये चिंता करने की कोई आवश्यकता ही नहीं होती, क्योंकि तब वह हमारे शरीर में भी आवश्यकतानुसार उत्पन्न होना ही चाहिये था। और तथ्य यह है कि ऐसा होता भी है। अंतर केवल इतना है कि वह मांस का उत्पाद न होकर सूक्ष्म जीवों(Streptomyces griseus, Propionibacterium shermanii, Pseudomonas denitrificans) द्वारा ही उत्पादित पोषक तत्व है। अधिकांश प्राणियों की तरह हमारे शरीर में भी पाचन-तंत्र के कुछ अवयवों में इन्हीं सूक्ष्म जीवों की सहायता से बी 12 की भारी मात्रा उत्पन्न होती है। पशुमांस में भी यह विटामिन जिन अंगों/अवयवों में अधिक मात्रा में पाया जाता है उन भागों को तो अधिकांश मांसाहारी अभक्ष्य ही मानते हैं।
विटामिन बी12 के लिये मांसाहार अनिवार्य नहीं है। शाकाहारी प्राणी अपने शरीर में विटामिन बी 12 की पर्याप्त मात्रा उत्पन्न करते हैं।यह सच है कि पौधे विटामिन बी12 के महत्वपूर्ण स्रोत हैं या नहीं, इस पर बहुत खोज हुई ही नहीं है। पोषण सम्बन्धी अधिकांश आधुनिक अध्ययन पश्चिमी देशों में हुए हैं जहाँ मांस और दुग्धाहार सामान्य है इसलिये किसी वैकल्पिक स्रोत की जाँच की आवश्यकता नहीं पड़ती। परंतु यह कहना बिल्कुल ग़लत है कि वनस्पति स्रोतों में बी12 का पूर्णाभाव है। हाल के वर्षों में पश्चिम में शाकाहार के बढते प्रचलन के कारण विटामिन बी12 के स्रोतों पर शोधों में भी वृद्धि हुई है। गोबर आदि जैविक खादों से पोषित भूमि में उगाई गयी फसलों में बी12 की जांच योग्य मात्रा पाये जाने के प्रमाण हैं। पशुओं के दूध और दुग्ध-उत्पादों यथा दही, पनीर, खोया, मट्ठा आदि से भी बी12 की पर्याप्त मात्रा प्राप्त होती है। अन्य प्राणियों की तरह ही मानव शरीर भी बी12 को लम्बे समय तक सुरक्षित रखता है और इसके सार को नष्ट किये बिना बारम्बार इसका उपयोग करता है। नई आपूर्ति के बिना भी हमारा शरीर विटामिन "बी12" को 30 वर्षों तक सुरक्षित रख सकता है, ऐसे चिकित्सकीय प्रमाण हैं। इसका कारण यह है कि अन्य विटामिनों के विपरीत, विटामिन बी12 अन्य प्राणियों की तरह हमारी मांसपेशियों और शरीर के अन्य अंगों विशेषकर यकृत में भंडारित रहता है। लेकिन यह वहाँ उत्पन्न नहीं होता है।
घास, चारा, पत्तियाँ और अनाज खाने वाले मवेशियों के मांस और दूध में पाया जाने वाला विटामिन बी12 उनके जठरांत्र संबंधी मार्ग में जहाँ-तहाँ रहते सूक्ष्मजीवों द्वारा संश्लेषित होता है। सच तो यह है कि शाकाहारी प्राणियों में विटामिन बी12 का संश्लेषण मांसाहारी पशुओं के मुकाबले इतना अधिक है कि उनके दूध और मांस ही अधिकांश मानवों के लिये बी12 का स्रोत हैं। वास्तव में यह सारा बी12 उन्हीं सूक्ष्म जीवों बैक्टीरिया द्वारा आया है जो हमारे पाचन-तंत्र में ही निवास करते हैं। संतुलित शाकाहारी भोजन से हम उन सूक्ष्म-जीवों की वृद्धि के लिये अनुकूल वातावरण उत्पन्न करते हैं और इस प्रकार बी12 पर बाह्य निर्भरता को कम कर सकते हैं। विटामिन बी12 के उत्पादक सूक्ष्म जीवों के लिये ऐसा अनुकूलन करने के लिये दूध, दही, पनीर, खमीर उचित आहार है। जानकारी के कुछ स्रोतों के अनुसार सोयाबीन, मूंगफली, दालें और अंकुरित बीज भी अच्छे हैं। समुद्री शैवाल स्पाइरुलिना भी अन्य विटामिनों के साथ बी12 का भी अच्छा स्रोत है। यीस्ट के एक विशिष्ट प्रकार टी 6635+ (Red Star T-6635+) में ऐक्टिव बी12 पाया गया है।
कोबाल्ट का यौगिक विटामिन बी12 मांस या शाक से नहीं बल्कि सूक्ष्मजीव बैक्टीरिया से उत्पन्न होता है।वयस्कों के लिये बी12 की सुझाई हुई दैनिक मात्रा 2.4 माइक्रोग्राम है। विटामिन बी12 की कमी के बहुत से मामले दरअसल उसके अवशोषण की कमी के मामले होते हैं। चालीस से अधिक वय के लोगों की बी12 अवशोषण की क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है। बहुत सी दवाइयाँ भी लम्बे समय तक प्रयोग किये जाने पर बी12 के अवशोषण को अस्थाई रूप से या सदा के बाधित करती हैं। इसके अलावा भोजन में नियमित रूप से बी12 की अधिकता होने पर शरीर उसकी आरक्षित मात्रा में कमी कर देता है। आहार में लिये गये विटामिन बी12 का अवशोषण प्राणियों की छोटी आंत के अंत में आंतों की दीवार की कोशिकाओं द्वारा छोड़े गये एक जैव-रासायनिक अणु (intrinsic factor, a glycoprotein) की सहायता से सूक्ष्मजीवों द्वारा होता है। यदि आपके शरीर में इस जैव-रासायनिक अणु की कमी है तो हम भोजन में कितना भी बी12 लें, हमारा शरीर उसे ग्रहण करने में असमर्थ रहता है। इसी प्रकार , कोबाल्ट धातु/खनिज की आपूर्ति या विशिष्ट सूक्ष्मजीवों की अनुपस्थिति में प्राणियों के शरीर में इसका निर्माण संभव नहीं है। इसके अतिरिक्त भोजन में भले ही बी12 होने का दावा किया जाये, अधिक पकाये हुए भोजन में बी12 नष्ट हो जाता है। ऐसी स्थिति में लम्बे समय तक विटामिन बी12 की कमी रहने पर मस्तिष्क सम्बन्धी गतिविधियाँ और रक्त निर्माण जैसी प्रक्रियाओं पर असर पड़ता है और चिकित्सकों की सलाह से सुइयों या नासिका के द्वारा विटामिन बी की पूरक मात्रा शरीर में पहुँचाई जा सकती है।
भोजन के प्राकृतिक स्रोतों और शरीर के भीतर निर्मित होने वाले विटामिन बी12 के अतिरिक्त हम इसकी आपूर्ति पूरक स्रोतों, जैसे विटामिन की गोलियों द्वारा भी कर सकते हैं। पूरक स्रोतों में पाया जाने वाला विटामिन बी12 प्रयोगशाला में संश्लेषित होता है। इसमें किसी पशु-उत्पाद का प्रयोग नहीं होता है। पश्चिमी देशों में प्रचलित डब्बाबन्द शाकाहारी नाश्ता (फ़ोर्टिफ़ाइड सेरियल) और चिक्की/पट्टी (ग्रेनोला बार) बी12 सहित आवश्यक विटामिनों और खनिजों से भरपूर होता है।
तो देर मत कीजिये। अपने नाश्ते में दूध का गिलास और अंकुरित दालों को शामिल कीजिये, और भोजन में गाहे-बगाहे खमीरी रोटी और स्पाइरुलिना भी ले लिया कीजिये, विशेषकर यदि आप चालीस के निकट हैं या उससे आगे पहुँच चुके हैं। संतुलित भोजन कीजिये और शाकाहारी रहिये, यह आपके लिये तो अच्छा है ही, हमारे पर्यावरण के लिये भी उपयोगी है।
सार:
शरीर को रक्त-निर्माण जैसे कार्यों के लिये विटामिन बी12 (कोबालअमीन) की अत्यल्प मात्रा की आवश्यकता होती है। बी12 को बैक्टीरिया बनाते हैं जो हमारे पाचन-तंत्र के आंतरिक अंगों में रहते हैं। खमीर, अंकुरित दालों, शैवालों, दुग्ध-उत्पादों तथा विशिष्ट शाकाहारी भोजन और इन सूक्ष्म-जीवों की सहायता से बी12 की पर्याप्त मात्रा प्राप्त कर सकते हैं। हमारा शरीर बी12 को लम्बे समय तक आरक्षित रख सकता है। मांसाहार आदि करने वालों में होने वाली अधिक आमद में शरीर बी12 का संचित कोष रखना बन्द कर देता है; अतः, मांस से शाक की ओर आने वालों को दूध आदि न लेने पर नया कोष बनने तक बी12 की कमी हो सकती है जिसे दूध, दही आदि के संतुलित आहार, फोर्टिफाइड फूड, या विटामिन की पूरक गोलियों द्वारा पूरा किया जा सकता है।
विटामिन बी12 की सुझाई हुई मात्रा और विभिन्न पदार्थों में पायी जाने वाली मात्रायें माइक्रोग्राम (μg) में निम्न सारणी में अनुसूचित हैं। सामिष भोजन से तुलना के लिये मुर्गी के अंडे की मात्रा भी सूची में है।
वयस्क के लिये | 2.4 |
गर्भवती के लिये | 2.6 |
=== | === |
स्विस पनीर 100 ग्राम | 3.34 |
स्किम्ड मॉज़रेला पनीर 100 ग्राम | 0.7 |
पूरक गोली 1 | 2.4 से 12 तक |
T-6635+ एक चम्मच | 4 |
आइसक्रीम 1 कप | 0.6 |
स्किम्ड दूध 1 पाव | 1.15 |
दही 1 पाव | 1.33 |
मट्ठा 100 ग्राम | 2.5 |
चीज़ पिज़्ज़ा 1 स्लाइस | 0.53 |
=== | === |
अंडा एक | 0.5 |
एक अंडे की सफ़ेदी | 0.1 |
सम्बन्धित आलेख
* Reliable Vegan Sources of Vitamin B12
* Vitamin B12 in the Vegan Diet
* विटामिन बी12 - विकीपीडिया
* विटामिन डी
संभव हो,तो विभिन्न स्रोतों में उपलब्ध विटामिन बी-12 की मात्रा को दर्शाने वाली एक तुलनात्मक तालिका जोड़ दें।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनुराग जी,
जवाब देंहटाएंयह बहुत ही बड़ी भ्रांति का निवारण है, विटामिन बी 12 एक तरह का सुक्ष्म बैक्टेरिया पनपाता है, इसकी बहुत ही मामूली सी आवश्यकता शरीर को होती है, उस मामूली संग्रह को शरीर संचित कर रख पाने में समर्थ है। फिर भी आवश्यकता शाकाहारी खाद्य-पदार्थों से पूर्ण की जा सकती है। दूध, दही, खमीर उठा कर बनाए पदार्थ और सब्जी से पूर्ति व्यवहारिक है।
चित को शान्ति प्रदान करने वाला यह आलेख है। मांसाहार की शरण में किसी को भी जाने की आवश्यकता नहीं।
सुज्ञ जी,
जवाब देंहटाएंपहली बार आया यहाँ.. पता नहीं था यहाँ स्वास्थ्य के विषय में और विशेषकर शाकाहारी भोजन के विषय में इतनी जानकारियाँ हैं.. एक बेहद जानकारीपूर्ण आलेख!!
सलिल जी,
जवाब देंहटाएंस्वागत है आपका, संबल देने पधारते रहिएगा!!
ये लेख भी हर बार की तरह उत्तम दर्जे का है। विटामिन B12 के विषय में जानकारी बहुत पसंद आई। इस महत्वपूर्ण लेख के लिए अनुराग सर को बधाई।
जवाब देंहटाएंकई पाखंडी विटामिन डी और
जवाब देंहटाएंविटामिन बी 12 तथा अन्य ऐसे ही कई तथ्यों को लेकर भ्रामक प्रचार करते हैं शाकाहार के विषय में. उन पाखंडियों के पाखंडपूर्ण भ्रम को दूर करने वाला सार्थक आलेख प्रस्तुत करने के लिए अनुराग जी का कोटिश आभार !
वाह,बहुत उपयोगी जानकारी मिली.
जवाब देंहटाएं@संभव हो,तो विभिन्न स्रोतों में उपलब्ध विटामिन बी-12 की मात्रा को दर्शाने वाली एक तुलनात्मक तालिका जोड़ दें।
जवाब देंहटाएंकुमार राधारमण जी,
ध्यान दिलाने के लिये आभार। एक प्रमाणिक तालिका इस आलेख में जोड़ दी गयी है।
पोषक तत्व तो अनेक खाद्यों में विद्यमान रहते हैं....
जवाब देंहटाएंखाद्य-अखाद्य का बोध ही मनुष्य को सभ्यता की तुला पर तोलता है..
— पूर्ण मांसाहारी जीव भी बीमार होने पर शाक से ही अपनी चिकित्सा करते हैं... भेड़िये और शेर घास खाकर पेट का हाजमा सही करते हैं.
— सर्व आहारी जीव भी बीमार होने पर मांस का त्याग कर देते हैं... फिर सर्वाहारी आदमी क्यों इतना हठी होता है कि वह गुपचुप शाक की शरण लेकर भी उसे महत्व नहीं देता.
— शाकाहारी जीवों (गाय, बकरी आदि) की समझ इतनी उन्नत होती है कि वे शाक-सब्जियों के छिलकों में मिले मृत जीवों के अवशेष छूते तक नहीं...
जो सात्विक आहारी होते हैं ... वे अपने भोजन में मिले न केवल मसालों की गंध को पहचान लेते हैं अपितु दुर्गन्ध देने वाले अभक्ष्य मृत शरीरों से दूरी भी बनाना जानते हैं.
बहुत सुंदर और उपयोगी जानकारी देती हुई पोस्ट ..
जवाब देंहटाएंबहुत दुर्लभ जानकारी मिलती है आपके ब्लॉग पर...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
विटामिन बी12 के लिये मांसाहार अनिवार्य नहीं है। सभी शाकाहारी प्राणी अपने शरीर में विटामिन बी 12 की पर्याप्त मात्रा उत्पन्न करते हैं।
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण जानकारी !
बहुत बहुत आभार अनुराग जी
बहुत ही ज्ञानवर्द्धक व उपयोगी जानकारी.सचमुच ही दुर्लभ बातें बहुत ही सरलता से बताई गई हैं.आभार.
जवाब देंहटाएंब्लोगर में गड़बड़ी के कारण विगत दो दिन से असंख्य बार प्रयास कर भी ब्लॉग तक नहीं पहुँच पा रही थी...
जवाब देंहटाएंऔर तो क्या कहूँ...एक शब्द में "साधुवाद" !!!!
यह सद्प्रयास निर्विघ्न रहे,अबाधित रहे..सुफल रहे...
Sugy ji...
जवाब देंहटाएंFace book par bhraman karta aapke blog tak chala aaya.. Aaya avashya pahli baar hi hun par abhi ke abhi aapka peechha karta hun jis se aisi mahatvpoorn post se vanchit na rah jaun...kal hi ek copy karke apne karyalay ke samish himaytiyon ko baantta hun..
Aapka hardik abhaar...
Deepak Shukla..
दीपक जी,
जवाब देंहटाएंइस आलेख का श्रेय तो हमारे परम् मित्र श्री अनुराग शर्मा जी को जाता है। जिन्होंने करीबन एक माह के अथक श्रम से यह आलेख तैयार किया।
आपका इस ब्लॉग पर स्वागत है, अवश्य अपने सहकर्मीयों के संज्ञान में लाएं पर करूणायुक्त भाव से!! :)
आपका बहुत आभार इस उत्साहवर्धन के लिए।
निरामिष परिवार के सदस्यों के समर्पण का ही परिणाम है की ये परिवार दिनों दिन लोकप्रियता हाँसिल करता जा रहा है |
जवाब देंहटाएं@ निरामिष जी
आपके शुरू किये इस सद्पयास को एक वर्ष पूरा होने जा रहा है , आप और सभी सदस्य अग्रिम बधाई स्वीकार करें
उम्मीद है वर्ष भर में किये प्रयासों पर एक सारगर्भित पोस्ट पढने को मिलेगी
@Deepak Shukla जी
मेरी ओर से भी आभार स्वीकार करें
बहुत ही सुंदर भावों का प्रस्फुटन देखने को मिला है । मेरे नए पोस्ट उपेंद्र नाथ अश्क पर आपकी सादर उपस्थिति की जरूरत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंरोचक और उपयोगी आलेख !
जवाब देंहटाएंस्मार्ट जी - जैसा आपने कहा - समस्या भोजन में हिने से अधिक अवशोषण से जुडी है। (problem of absorption ratger than consumption) क्क्य आप इसके लिए कोई सलाह दे सकते हैं? कोई खाद्य पदार्थ या लाइफस्टाइल changes?
जवाब देंहटाएंwow... what a great blog, this writter who wrote this article it's realy a great blogger, this article so inspiring me to be a better person
जवाब देंहटाएंvitamin b12 rich dry fruits