क्या किसी सार्वजनिक यज्ञ में भागीदारों की मनोवृत्ति का यज्ञ के परिणामों पर प्रभाव पड़ता है? यहाँ यज्ञ से मेरा तात्पर्य 'कार्यक्रम' [प्रोग्राम] से है.
एक सामाजिक संस्था ने पूंजीवादी मानसिकता से शोषित एक बस्ती में 'भय-उन्मूलन' कार्यक्रम किया. बहुत लोग सम्मिलित हुए अर्थात शाकाहारी, मांसाहारी, अल्पाहारी, अत्याहारी, वृतधारी, योगी, भोगी, खाऊ, पेटू, आदि सभी तरह के लोग थे.
— क्या भरे पेट वाले और और खाली पेट वाले 'भूख' के प्रति एक समान भाव धारण कर सकते हैं?
— कार्यक्रम के मूल-उद्देश्य के प्रति क्या शाकारियों और मांसाहारियों की संवेदना एक-सी होगी?
— व्रतधारी, योगी और भोगी व्यक्तियों का प्रयास पूरी ईमानदारी से एक-सा कहा जा सकता है?
— क्या बस्ती के लोगों के मन में संस्था के प्रत्येक सदस्य के प्रति अलग-अलग भाव बनेंगे?
.......... मैंने भी देखा है कि एक ही संस्था में दो तरह के व्यक्ति होते हैं. एक अपने स्वभाव से संस्था की छवि बेहतर बनाते हैं और दूसरे अपने स्वभाव से संस्था के प्रति खिन्नता के भाव जागृत करते हैं.
कार्यक्रम कोई भी हो... चाहे 'मौलिक अधिकारों के लिए जन-जागृति का हो' अथवा 'राष्ट्रीय कर्तव्यों के प्रति सजग करने का' उसमें जब तक कार्यकर्ताओं का आहार शुद्ध नहीं होगा तब तक उनके विचार जन-कल्याण के कार्यक्रमों के प्रति गंभीर नहीं होंगे.
— क्या दिनभर हँसाने वाला जोकर [कोमेडियन] दूसरे की पीड़ा के भाव को पूरी गंभीरता से आत्मसात कर सकता है?
— क्या कोई 'कसाई' समाज में हुए किसी के क़त्ल पर उतनी संवेदना से जुड़ सकता है जितनी संवेदना से कोई 'पानवाला'?
— क्या चिड़ियों को पिजरों में पालने का शौक़ीन स्वतंत्रता की सही-सही व्याख्या कर सकता है?
प्रश्न इस तरह के अनेक हो सकते हैं... मुख्य बात है कि हमारे आहार-विहार से ही हमारा स्वभाव बनता है और हमारे तरह-तरह के शौकों का निर्माण होता है.
प्रतुल भाई, शानदार...
जवाब देंहटाएंइन प्रश्नों पर विचार किया जाए तो समस्या की जड़ को पकड़ा जा सकता है|
गज़ब की पोस्ट
आभार...
गहरे उतर गया यह प्रश्न………
जवाब देंहटाएंक्या चिड़ियों को पिजरों में पालने का शौक़ीन स्वतंत्रता की सही-सही व्याख्या कर सकता है?
विचारणीय ...हर पंक्ति सोचने को विवश करती है
जवाब देंहटाएंबहुत सही बात उठाई है......
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
जवाब देंहटाएंयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
प्रश्न इस तरह के अनेक हो सकते हैं... मुख्य बात है कि हमारे आहार-विहार से ही हमारा स्वभाव बनता है और हमारे तरह-तरह के शौकों का निर्माण होता है. लेकिन भाई साहब तमाम तरह की संवेदनाओं ,सुख दुःख हारी बीमारी ,अनुभूति ,भाव -प्रवणता ,भाव -शून्यता , स्वभाव के तार कुछ जैव रसायनों और हारमोनों से भी जुड़ें हैं ,खाद्य प्रणाली ,आदतें इनका भी निर्धारण करती होंगी . ,इस दौर में आपका संग साथ ही अन्ना जी की ताकत है .ऊर्जा और आंच दीजिए इस मूक क्रान्ति को .बेहतरीन जानकारी दी है आपने बहुत अच्छी पोस्ट . जय ,जय अन्ना जी ,जय भारत .
जवाब देंहटाएंसद-उद्देश्यों के लिए, लड़ा रहे वे जान |
कद - काठी से शास्त्री, धोती - कुरता श्वेत |
बापू जैसी सादगी, दृढ़ता सत्य समेत ||
ram ram bhai
सोमवार, २२ अगस्त २०११
अन्ना जी की सेहत खतरनाक रुख ले रही है . /
http://veerubhai1947.blogspot.com/
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.आभार .....इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार ./ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com
Tuesday, August 23, 2011
इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार .
जिस व्यक्ति ने आजीवन उतना ही अन्न -वस्त्र ग्रहण किया है जितना की शरीर को चलाये रखने के लिए ज़रूरी है उसकी चर्बी पिघलाने के हालात पैदा कर दिए हैं इस "कथित नरेगा चलाने वाली खून चुस्सू सरकार" ने जो गरीब किसानों की उपजाऊ ज़मीन छीनकर "सेज "बिछ्वाती है अमीरों की ,और ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था जिसने खड़ी कर ली है जो गरीबों का शोषण करके चर्बी चढ़ाए हुए है .वही चर्बी -नुमा सरकार अब हमारे ही मुसलमान भाइयों को इफ्तियार पार्टी देकर ,इफ्तियार का पुण्य भी लूटना चाहती है ।
अब यह सोचना हमारे मुस्लिम भाइयों को है वह इस पार्टी को क़ुबूल करें या रद्द करें .उन्हें इस विषय पर विचार ज़रूर करना चाहिए .भारत देश का वह एक महत्वपूर्ण अंग हैं ,वाइटल ओर्गेंन हैं .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com//......
गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
Posted by veerubhai on Sunday, August 21
२३ अगस्त २०११ १:३६ अपराह्न
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंsundar prastuti!
जवाब देंहटाएंwicharniy!
सुन्दर प्रस्तुति... विचारणीय प्रश्न...
जवाब देंहटाएंसादर...
प्रतुल भाई,नमस्ते ! देश के कार्य में अति व्यस्त होने के कारण एक लम्बे अंतराल के बाद आप के ब्लाग पे आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ अपने समय के अनुसार अच्छा विषय उठाया है
जवाब देंहटाएंआभार...