[ नोट: इस लेख की इन सब बातों में जानते बूझते ही क्रूरता आदि की बात नहीं की जा रही है। यह पोस्ट सिर्फ और सिर्फ स्वास्थ्य के विभिन्न पक्षों का तुलनात्मक अध्ययन है |]
२. सामिष भोजन में हानिकारक कोलेस्ट्रोल (bad cholestrol ) का भाग बहुत अधिक है | इसे पकाने में भी निरामिष से कहीं अधिक तेल मसाले पड़ते हैं, जो कोलेस्ट्रोल को और बढाते हैं |
३. रसायन (केमिकल्स) - क्योंकि जानवर खाद्य शृंखला ( food chain ) में ऊपर हैं - सो इस भोजन में खेती में प्रयुक्त किये जाने वाले रसायनों का प्रतिशत मात्रा अधिक है |
४. जानवरों को जल्दी बड़ा करने के लिए, अधिक मात्रा में मांस प्राप्त करने के लिए इन्हें कई प्रकार के स्टीरोइड्स (steroids) दिए जाते हैं - और जैसा कि हम खिलाडियों के बारे में पढ़ते सुनते रहते हैं कि स्टीरोइड्स एक बार शरीर में जाने पर हमेशा मौजूद रहते हैं | जानवरों के शरीर में मौजूद ये स्टीरोइड्स उसके मांस के साथ मनुष्य के शरीर में प्रविष्ट होते रहते हैं | इसी तरह कई प्रतिजैविक (antibiotics) और वृद्धि हार्मोन्स (growth hormones) भी पशुओं को दिए जाते हैं | ये भी भोजन के साथ मानव शरीर में प्रविष्ट होते हैं |
५. कई रोगजनक जीवाणु (disease causing microorganisms ) पशुओं के शरीर में होते हैं | निःसंशय ये निरामिष भोजन में भी सम्भव हैं परन्तु सामिष की तुलना में बहुत कम | mad cow disease (http://en.wikipedia.org/
६. पेट के कीड़े (worms) आदि सामिष भोजन करने वालों में अधिक पाए जाते हैं |
७. सब्जी मंडी में बिकने के लिए रखी सब्जी और कसाई की दुकान पर टंगे ताजे मांस को देखा जाए तो पता चलेगा कि जहां सब्जी जल्दी खराब नहीं होती, वहीँ मांस में से बड़ी जल्दी गंध आने लगती है | अर्थ यह कि उसमे कही अधिक जीवाणु पनप रहे हैं | जो सामिष खाते हैं और निरामिष में भी कई जीवाणुओं के मारे जाने की दलील देते नहीं थकते हैं - वे अपने टेबल पर एक किलो कच्ची सब्जी और एक किलो कच्चा मांस छोड़ कर स्वयं ही देख लें - किससे जल्दी उबकाई आती है ?
८. ह्रदय रोग के मरीजों में सामिष भोजियों का प्रतिशत निरामिष भोजियों से कई गुना अधिक है |
९. केंसर से बचाव : निरामिष भोजन में कई प्रकार के विटामिन्स हैं जो कैंसर को दूर रखने में सहायक हैं | जो सामिष पदार्थों में नहीं हैं |
१०. अन्य बीमारियाँ : अस्थिक्षय (Osteoporosis), गठिया (Arthritis), गुर्दे व पित्ताशय की पथरी (Kidney Stones and Gallstones) मधुमेह (Diabetes), मल्टीपल स्केलेरोसिस( Multiple Sclerosis) , मसूढ़ों के रोग (Gum disease) मुंहासे ( Acne.) मोटापा (Obesity ) , आंत्र विषरक्तता (Intestinal Toxemia) आदि |
११. पाचन समय : निरामिष भोजन जल्दी पच जाता है, सामिष को अधिक समय चाहिए | सो भोजन नली में कम समय रहने से इसके सड़ने और खाद्य-विषाक्तता (food poisonong) होने की संभावनाएं कम हैं |
एक अंदाज़ - किस भोजन को उदर से आंत (stomach to intestine) में जाने के लिए कितना समय लगता है ?
- पानी - तुरंत
- फलों / सब्जियों का रस - १५ - २० मिनट
- सलाद २० - ३० मिनट
- सलाद २० - ३० मिनट
- फल - २० - ४० मिनट
- - सब्जियां ३० -
- ५० मिनट
- अन्न - ९० मिनट
"""- बीफ (गाय / बैल का मांस ) - ३ - ४ घंटे """
जब मनुष्य मांस खाते हैं - तो कभी भी उसे अकेला नहीं खाया जाता। मांस के साथ अन्य निरामिष पदार्थों का योग भी होता है - सब्जी के मसाले , प्याज साथ ही अन्न (रोटी-चावल) आदि आवश्यक है | शोध (studies) बताती हैं कि जब अलग अलग पाचन प्रक्रिया के खाद्य साथ खाए जाते है - तब सबसे देरी में पचने वाले भोज्य पदार्थ सबसे पहले पचने शुरू होते हैं | तो पहले मांस पचेगा (४ घंटे ) उस समय तक अन्न (रोटी में गेहूं है ) पेट में वैसा ही रहेगा | फिर अन्न का पाचन शुरू होगा | इतने समय तक अन्न पेट में वैसा ही रहेगा - और सड़ने लगेगा | इसीलिए गैस / आहार विषाक्त बनने आदि की समस्या खडी हो जाती है |
१२. पशुओं के शरीर के कई हार्मोन्स (adrenalin hormone आदि ) उनके मांस में मौजूद हैं | निरामिष भोजन में ऐसा कोई नुकसानदेह पदार्थ नहीं है |
१३. प्रोटीन की आवश्यकता से अधिक आपूर्ति : एक मध्यम अमेरिकन व्यक्ति, RDA (recommended daily allowance ) से ४ गुना अधिक प्रोटीन लेता है (- जो सामिष भोजन की वजह से है |) इससे शरीर में नाइट्रोज़न (nitrogen) की अधिकता हो जाती है - जो अनेक बीमारियों को जन्म देती है (bone resorption , osteoporosis , kidney stones , stress on liver - http://en.wikipedia.org/
जब हम अधिक मात्र में सामिष भोजन लेते हैं, तो हमें कार्बोहाइड्रेट(carbohydrates ) उचित मात्रा में नहीं मिलते - तब शरीर प्रोटीन को ही जला कर ऊर्जा पाने का प्रयास करता है | इस प्रक्रिया के साथ कठिनाई यह है - की प्रोटीन में केलॉरिज़ (calories) होती ही कम हैं, और अमिनो अम्ल (amino acids) ज्यादा - तो इसे जलाने में अत्यधिक नाइट्रोज़न(nitrogen) बनती है, जिसे हटाने के लिए यकृत (lever) और गुर्दों ( kidney) को बहुत अधिक श्रम करना पड़ता है | दूसरा असर यह होता है कि इस प्रक्रिया में हमारी हड्डियों से कैल्शियम शोष लिया जाता है | इससे एक तो हड्डियाँ कमज़ोर होती हैं, दूसरे इस कैल्शियम के अंश निकास में गुर्दे की पथरी की संभावनाएं बढ़ा देते है |
१४. आयु : सामिष भोजन से कई अप्क्षयी रोग (degenerative diseases) जैसे - अल्जीमर, पार्किन्सन आदि (http://en.wikipedia.org/wiki/
उत्तम जानकारी देती
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट:-)
bahut labhkari post.
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सिलसिले वार जानकारी प्रस्तुत करने के लिए आभार.
विचारणीय हैं आपकी सभी बातें.
इस प्रकार का तुलनात्मक विवेचन वैज्ञानिक और तथ्यात्मक है... इसमें कहीं भी पूर्वाग्रह नहीं दिखाई देता है.. एक परिपक्व बौद्धिक स्तर का व्यक्ति इस विषय में कोई भी निर्णय सरलता से ले सकता है कि उसे निरामिष बनाना है कि सामिष... यदि फिर भी वह समझना न चाहे तो उसे पूर्वाग्रह से ग्रस्त ही कहा जा सकता है या फिर आँखों पर पड़ा पर्दा!!!
जवाब देंहटाएंशिल्पा जी, इस लेख के लिये तो नमन करना ही पड़ेगा. हिंसा या क्रूरता के पहलू को लिये बिना इतने अधिक कारण हो सकते हैं शाकाहार अपनाने के, इसे बताने के लिये आपको धन्यवाद. शायद अब मांसाहार के समर्थकों को अंपनी मानसिकता बदलने में इस लेख से सहयोग मिलेगा ..
जवाब देंहटाएंतार्किक सत्य..
जवाब देंहटाएंअच्छी ,विस्तृत जानकारी..... आभार शिल्पा जी
जवाब देंहटाएंउत्तम जानकारी.
जवाब देंहटाएंशाकाहारी भोजन के स्वास्थ्य सम्बन्धी पक्ष का सुन्दर विश्लेषण!
जवाब देंहटाएंस्वास्थ्य कारणों से सभी बिन्दु शाकाहार का पूरजोर समर्थन करते है।
जवाब देंहटाएंअरे वाह ओझा जी इस ब्लॉग पर तो पहली बार आई औरखूब जानकारी पाई । ङम तो हैं ही शाकाहारी तो इसके फायदे जानकर और भी अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंआमिष के अंधप्रेमियों की बंद आँखें खोल देने वाली जानकारियाँ ..........
जवाब देंहटाएंशिल्पा जी, आपके इन तमाम तथ्यों से स्वास्थ्य के प्रति न केवल जागरुकता का प्रयास किया गया है अपितु शाकाहार के शाश्वत महत्व का प्रतिपादन भी किया गया है............. ढेरों साधुवाद....... आपका ये प्रयास स्तुत्य है.
गजब की जानकारी है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी जानकारी देता आलेख ...आभार ।
जवाब देंहटाएंनिरामिष के मत को पुष्ट करता उत्तम लेख ।
जवाब देंहटाएंशाकाहार पर सबसे श्रेठ जानकारी हिंदी में उपलब्ध कराने वाला एकमात्र ब्लॉग
जवाब देंहटाएंलेखक पूर्णतः बकलोल है उसने सामिष जैसा शब्द अपने मन से गढ़ लिया जबकि ऐसा कोई शब्द न तो है और न ही उसका कहीं उल्लेख है ... लेखक ने इस लेख में अपनी मूर्खता और मूर्खतापूर्ण सोच जो पूर्णतः मनगढ़ंत है का ही प्रदर्शन किया है ... लानत है ऐसे लेख पर
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