सोमवार, 25 जुलाई 2011

मानव शरीर संरचना शाकाहार के ही अनुकूल (कायिक प्रकृति)

मानव शरीर की संरचना व क्षमता शाकाहार के लिए ही उपयुक्त है

 • दांत-

दांतो की बनावट मांसाहारी जीव से शाकाहारियों में बिलकुल ही अलग है।

माँसाहारी- इनके केनाईन दांतो की बनावट मोटी चमडी में गड़ाकर शिकार को प्राणरहित करने में समर्थ है चिरफाड़ के लिए नुकीले दाँत होते हैं। ये आहार को चबा नहीं सकते उसे टुकड़े टुकडे कर निगलना पडता है। क्योंकि जो चपटे मोलर दाँत चबाने/पिसने के काम आते हैं नहीं होते।

शाकाहारी और मनुष्य- दोनों में तेज नुकीले दाँत नहीं होते जबकि इनमें मोलर दाँत होते हैं। इनके दांत आहार को चबाने में समर्थ होते है जिन दो दांतो को केनाईन कहा जाता है वे माँसाहारी प्रणियों के केनाइन समान नहीं है। जो दो-चार दांत कुछ अर्ध नुकीले पाये भी जाते हैं वह तो मुलायम फल सब्जी काटने के लिये भी जरूरी हैं।

• जबड़ों की क्रिया-

जबड़े की क्रिया भी मांसाहारी जीव से शाकाहारियों में सर्वथा भिन्न हैं |

माँसाहारी- यह अपने जबड़े को मात्र ऊपर – नीचे की दिशा में ही हिला सकते है।

शाकाहारी और मनुष्य- अपने दाँतों के जबड़े को उपर-नीचे, दायें - बाये चला सकते है चबाने,पीसने और एकरस करने के लिए यह आवश्यक भी है।

• पंजे-

भी मांसाहारी जीव से शाकाहारियों में पंजो की संरचना पूर्णतः अलग हैं।

माँसाहारी-इनके पंजे नुकीले व धारदार होते है,शिकारियों की तरह मोटी चमडी चीरने-फाड़ने में समर्थ होते हैं

शाकाहारी और मनुष्य- इनके पंजे नुकीले व धारदार नहीं होते, अधिक से अधिक बल सहने और पकड़ के योग्य होते है।

• आहारनालतंत्र-

आंतो की रचना तो दोनो आहारियों में अपने आहार की पाचन आवश्यक्ता के अनुरूप एकदम विलग है।

माँसाहारी- इनमें Intestinal tract शरीर की लम्बाई के ३ गुनी होती है मांसाहारी जीवों की आंत छोटी और लगभग लम्बवत होती है ताकि पचा हुआ मांस शरीर से जल्द निकल सके।

शाकाहारी और मनुष्य- इनमें Intestinal tract शरीर की लम्बाई के १०-१२ गुनी लम्बी होती है। तत्व शोषण में सहायता के लिए आंत लम्बी व घुमावदार होती है।

• श्वसन प्रक्रिया-

किसी भी शाकाहारी जीव की श्वसन प्रक्रिया मांसाहारी की तुलना में धीमी होती है

माँसाहारी- शेर , कुत्ते , विड़ाल इत्यादि तीव्र और हाँफते हुए सांस लेते है। श्वसन दर १८० से ३०० तक होती है।

शाकाहारी और मनुष्य- मनुष्य सहित गाय , बकरी , हिरन , खरगोश, भैंसे इत्यादि सभी धीमे - धीमे से सांस लेते है। इनकी श्वसन दर ३० - ७० श्वास प्रति मिनट तक होती है।

• जल शोषण-

पानी पीने की प्रकृति उभय आहारियों में सर्वदा भिन्न होती है।

माँसाहारी- मांसाहारी जीव अपनी जीभ से चाट - चाटकर पानी पीता है।

शाकाहारी और मनुष्य- अपने फेफडों से वायुदाब उत्पन्न करते हुए खींच कर पानी पीते हैं।

• चलायमान बल-

शाकाहारी व मांसाहारी के शक्ति उपयोग का तरीका कुदरती अलग है।

माँसाहारी- इनकी शारीरिक क्षमता सिर्फ शिकार करने की ही होती है , जैसे शेर की ताकत मात्र शिकार को दबोचने और गिराने की उसके आगे उससे किसी प्रकार का श्रम संभव नहीं है।

शाकाहारी और मनुष्य- इनका बल लगातार चलायमान होता है , जैसे घोडे , बैल , हाथी , मनुष्य इत्यादि।

• स्वेद ग्रंथि-

माँसाहारी-इनमें स्वेद ग्रंथियाँ /त्वचा में रोम छिद्र नहीं होते इसलिए ये प्राणी जीभ के माध्यम से शरीर का तापमान नियंत्रित करते हैं।

शाकाहारी और मनुष्य-इनके शरीर में रोम छिद्र /स्वेद ग्रंथियां उपस्थित होती हैं और ये पसीने के माध्यम से अपने शरीर का तापमान नियंत्रित रखते हैं।

• पाचक रस-

माँसाहारी- इनमें बहुत ही तेज पाचक रस (HCl- हैड्रोक्लोरिक अम्ल ) होता है जो मांस को पचाने में सहायक है।

शाकाहारी और मनुष्य- इनमें यह पाचक रस (हैड्रोक्लोरिक अम्ल) माँसाहारियों से २० गुना कमजोर होता है।

• लार ग्रंथि -

माँसाहारी- इनमें भोजन के पाचन के प्रथम चरण के लिए अथवा भोजन को लपटने के लिए आवश्यक लार ग्रंथियों की आवश्यकता नहीं होती है।

शाकाहारी और मनुष्य- इनमें अनाज व फल के पाचन के प्रथम चरण हेतु मुख में पूर्ण विकसित लार ग्रंथियाँ उपस्थित होती हैं।

• लार-

मांसाहारियों - में अनाज के पाचन के प्रथम चरण में आवश्यक एंजाइम टाइलिन (ptyalin) लार में अनुपस्थित होती है। इनका लार अम्लीय प्रकृति की होती है।

शाकाहारी और मनुष्य- में एंजाइम टाइलिन (ptyalin) लार में उपस्थित होती है व इनका लार क्षारीय प्रकृति की होती है।

12 टिप्‍पणियां:

  1. मांसाहारी और शाकाहारी जीवों के बीच का अंतर विस्तार से बताने के लिए शुक्रिया

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  2. बिलकुल सही, इनमे से कई बिन्दुओं पर कई मांसाहारियों से चर्चा कर चूका हूँ| बाकी विषयों पर तो बोलती बंद हो जाती है| दांत वाले विषय पर सभी बहस करते हैं|
    आपके द्वारा की गयी व्याख्या अच्छी लगी...
    आभार...

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  3. प्रभावी पोस्ट। इन बातों पर पहले कभी ध्यान दिया ही नहीं था।

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  4. विचारणीय और गौर करने योग्य तथ्य हैं..... सार्थक पोस्ट

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  5. बढ़िया प्रस्तुति...
    आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 23-01-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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    1. चन्द्र भूषण जी,

      बहुत बहुत आभार इस आलेख को चर्चामंच पर स्थान देने के लिए!

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  6. साधू साधू !!एक अंतर और बता दू ! मांसाहारी जन्म के समय अंधे (आंख पर झिल्ली ) होते है ,जबकि शाकाहारी आंख खोल कर जन्म लेता है

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  7. वस्तुपरक विज्ञान सम्मत तुलनात्मक अध्ययन आपने प्रस्तुत किया है .हमारी शरीर यष्टि मांसाहार के सर्वथा अन -उपयुक्त है फिर भी फैशन परस्ती मांसाहार को बढ़ावा दे रही है चाहे वह फिर चिकिन पिजा हो या मेक्सिकन पिजा .

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  8. वस्तुपरक विज्ञान सम्मत तुलनात्मक अध्ययन आपने प्रस्तुत किया है .हमारी शरीर यष्टि मांसाहार के सर्वथा अन -उपयुक्त है फिर भी फैशन परस्ती मांसाहार को बढ़ावा दे रही है चाहे वह फिर चिकिन पिजा हो या मेक्सिकन पिजा .

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