सोमवार, 19 मार्च 2012

संतुलित पोषण के लिए शाकाहार का योजनाबद्ध प्रयोग



भारत में प्राच्यकाल से ही अहिंसा, स्वास्थ्य और पोषण के लिए ‘सात्विक आहार गुण' नाम से संतुलित पोषण उपदेशित होता रहा है। भारतीय संस्कृति में शाकाहार शैली एक श्रेष्ठ आहार शैली के रूप में स्थापित है। किन्तु अब पश्चिमी दुनिया में भी शाकाहार सजगता बढ़ी है। अमेरिकन डायटिंग एसोसिएशन और कनाडा के आहारविदों का कहना है कि “जीवन के सभी चरणों में शाकाहार का यदि योजनाबद्ध प्रयोग और पदार्थों का उचित नियोजन किया जाय तो शाकाहार पर्याप्त पोषक और स्वास्थ्यवर्धक है। निसंदेह शाकाहार रुग्णावस्था में परहेज विकल्प तो है ही साथ ही कुछ बीमारियों की रोकथाम और इलाज में असरकारक है।”


पोषण के साधारणतया तीन प्रकार होते है-

(1.) जो शरीर को उर्जा प्रदान करता है: कार्बोहाइड्रेट, वसा युक्त पदार्थ
जैसे- अनाज, कंदमूल, फल, मेवा, गुड़ तेल आदि

(2.) जो शरीर का वृद्धि-विकास और क्षतिपूर्ति करता है: प्रोटीन युक्त पदार्थ
जैसे- दूध, फलीदार अनाज, दालें, सोयाबीन, मूंगफली, मेवे गिरीवाले फल आदि

(3.) जो स्वास्थ्य सुरक्षा करते है: विटामिन खनिज युक्त पदार्थ
जैसे- हरी सब्ज़ी, हरी पत्तेदार सब्ज़ी, दुग्ध पदार्थ, दालें, फलों का रस आदि

आहार विशेषज्ञ शाकाहारी पदार्थों में निम्नानुसार पौष्टिक तत्त्व प्रकाशित करते हैं:-

1. प्रोटीन: यह शारीरिक वृद्धि-विकास, कोषों की क्षतिपूर्ति करता है। यह दालों, अनाज, चना, मटर, सोयाबीन, मूँगफली, काजू, बादाम, हरी सब्जियों, दूध, दही, पनीर, सेव, फल, मेवे आदि में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है।

2. वसा: इसे चिकनाई कह सकते है जो बलवर्धक होती है शरीर में इसका संचय होता है और आपूर्ति के अभाव के समय यही वसा, उर्जा व बल प्रदान करती है। यह दूध, घी, मक्खन, मलाई, सरसों, नारियल तथा तिल के तेल एवं बादाम, अखरोट व अन्य सूखे मेवे आदि से प्रचुर मात्रा में प्राप्त होती है। इसे पचाने के लिये शारीरिक श्रम और व्यायाम आवश्यक है।

3. कार्बोहाइड्रेट्स: यह शरीर में उर्जा, शक्ति,स्फूर्ति और उष्मा पैदा करता है। यह गेहूँ, चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, गन्ना, खजूर, दूध, मेवा, मीठे फल, गुड, शक्कर, बादाम, दाल, ताजी सब्जियाँ आदि में बहुतायत से पाया जाता है। कार्बोहाइड्रेटस का पूरा लाभ उठाने के लिये भोजन को खूब चबा कर खाना चाहिये। जितनी लार भोजन में मिलेगी उतना ही अधिक कार्बोहाइड्रेट्स शरीर को प्राप्त होगा।

4. खनिज लवण  

  • (अ.) कैल्शियम : यह हड्डियों और दाँतों को मजबूत बनाता है, बाल घने और मजबूत बनाता है और दिल को भी स्वस्थ रखने में सहयोग करता है। यह हरी सब्जियों, गेहूँ, चावल, दालों, दूध, छाछ, पनीर, बादाम, समस्त मीठे फल, शक्कर, मुरब्बा आदि से प्राप्त होता है।

  • (ब.) फॉस्फोरस: बढते शरीर और दिमाग की ताकत के लिये यह विशेष लाभदायक है और पनीर, दही, गेहूँ, मक्का, दाल, दूध, छाछ, पनीर, बादाम, समस्त मीठे फल, शक्कर, मुरब्बा आदि में पाया जाता है।

  • (स.) आयरन: यह खून बनाता है और हिमोग्लोबिन बढ़ाता है साथ ही शरीर के प्रत्येक तंतु तक ऑक्सीजन पहुँचाता है। इसकी कमी को साधारण तया खून की कमी कहा जाता है, यह हरे पत्तेदार शाक, हरी तरकारी, अनाज, दाल, सेम, मटर, सूखे मेवे, सेव, अनार आदि फल व दूध में पाया जाता है।

  • (द.) मैग्नीशियम: अतिअल्प मात्रा में आवश्यक मैग्नीशियम हमारे रक्तचाप को नियंत्रित रखता है। यह ताजा सब्ज़ियों से पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है।

5. विटामिन्स

  • विटामिन A- हरी सब्जियों, नीबू, अमरूद, आँवला, संतरा, मौसमी आदि में मिलता है।

  • विटामिन B- हरी पत्तेदार सब्जियों तथा अनाज व दुग्ध पदार्थों में पाया जाता है।

  • विटामिन C- हरी सब्जियों, नीबू, अमरूद, आँवला, संतरा, मौसमी आदि में मिलता है।
  • विटामिन D- यद्यपि इसका प्रमुख प्रेरक स्त्रोत सूर्य की किरणें है । तथापि दुग्ध-पदार्थों तथा पौधों से भी प्राप्त होता है।

  • विटामिन E- यह घी मक्खन में बहुतायत से होता है।

  • विटामिन K- यह हरी सब्जियों से पर्याप्त मात्रा में प्राप्त हो जाता है।

6. आहारीय रेशे: शरीर से विषाणु और प्रतिकूल पदार्थों का विसर्जन करने में सहायक होते है यह शाक फल सब्ज़ी सूखे मेवे साबुत धान्य चोकर आदि में प्रचुरता से प्राप्त होते है।

अपनी रुचि और स्थिति के अनुसार पदार्थों का चयन कर संतुलित पोषक आहार नियोजित किया जा सकता है. मांसाहार की अपेक्षा शाकाहार सस्ता होने के साथ-साथ स्वादिष्ट, रोगप्रतिरोधक क्षमता से भरपूर और शक्तिवर्धक भी होता है। फल सब्जियों व अन्न-दालों से मिलने वाले फाइबर तो अनेक रोगों को दूर रखने में अचूक औषधि का काम करते हैं। जब सभी प्रकार के विटामिन्स, उत्तमप्रकार के प्रोटीन, आवश्यक खनिज आदि पौष्टिक तत्त्व शाकाहार से पूर्ण संतुलित हो सकते है तो जीवित प्राणियों की हत्या से उपार्जित अनैतिक आहार की भ्रमणा में फंसने की क्या आवश्यकता?

कुछ सावधानियाँ-

  1. ज्यादा कैलोरी युक्त वस्तुएं लें तो उसे खर्च करने के लिए श्रम भी करें।
  2. आवश्यक कैलोरी न लेने से आंते कमजोर होती हैं।
  3. हर रोज 6 से 8 घंटे की नींद ब्लड प्रेशर मधुमेह और दिल की बीमारी, हार्मोनल असंतुलन को दूर करती है।
  4. हर रोज सूर्य निकलने से पहले चारपाई छोड़ें और कम से कम 15 से 45 मिनट व्यायाम जरूर करें।
  5. खाने में फल सब्जियां साबित अनाज तनाव दूर करने में सहायक है।
  6.  भोजन में नमक का इस्तेमाल संतुलित करें। मीठी वस्तुएं मोटापा बढ़ाती हैं अति से बचें।
  7. प्रत्येक व्यक्ति का मेटाबोलिज्म स्वभाव भिन्न हो सकता है, संतुलित और पोषक आहार के उपरांत भी शरीर में पदार्थ आवश्यक उर्जा तत्व में परिणित नहीं होते तो अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें और उसी आधार पर सप्लीमेंट ग्रहण करें।
  8. शारिरिक शक्ति के लिए उचित उर्जा चाहिए। शरीर को पुष्ट करने वाली उर्जा और उष्मा के लिए प्रोटीन, शर्करा, विटामीन, खनिज, वसा आदि पदार्थ उचित अनुपात और पर्याप्त मात्रा में चाहिए। उसकी गुणवत्ता हमारे आहार के संयोजन पर निर्भर करती है। किसी तत्व की अधिकता भी प्रतिकूल परिणाम देती है।
  9. भोजन में ऐसे पदार्थ भी होने चाहिए जो हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करे। और ऐसे पदार्थों की भी उपस्थिति हो जो शरीर में उपभोग के बाद व्यर्थ बचे खुचे व हानिकारक तत्वों का सहजता से निष्कासन करनें में सहायक हो। भोज्य-पदार्थों में रोगोत्पादक, संक्रमण सम्भाव्य और अनावश्यक हार्मोन रसायन उत्प्रेरक तत्व न हो। और ऐसे उत्तेजक पदार्थ भी न हो जो मानसिक आवेगों को जन्म दे और मानस को असंयमित करने का कार्य करे।

23 टिप्‍पणियां:

  1. स्वास्थ्य एवं शाकाहार से जुड़ी अच्छी जानकारियां

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    1. जी, ताकि लोग अपनी कायिक प्रकृति के अनुसार संयोजन संतुलन कर सकें। आलेख संस्तुति के लिए आभार!!

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  2. @“जीवन के सभी चरणों में शाकाहार का यदि योजनाबद्ध प्रयोग और पदार्थों का उचित नियोजन किया जाय तो शाकाहार पर्याप्त पोषक और स्वास्थ्यवर्धक है। निसंदेह शाकाहार रुग्णावस्था में परहेज विकल्प तो है ही साथ ही कुछ बीमारियों की रोकथाम और इलाज में असरकारक है।”

    अमेरिकन और कनाडा के आहारविदों का यह कथन महत्वपूर्ण है। हमारे भारत में तो शाकाहार की परम्परा हज़ारों साल पुरानी है समय के साथ यह ज्ञान सारे संसार को प्रकाशित कर रहा है। शाकाहार सम्पूर्ण भोजन है, यह तथ्य तो नित नये अध्ययनों से दुनिया भर में स्थापित होता जा रहा है।

    आभार!

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    1. जी, कुलमिलाकर लोगों का रुझान सभ्यता और विकास पर उधर्वगामी (उपर उठना) ही होता है, विकास के युग में भला कौन अधोगामी होना पसंद करेगा। यही शाकाहार आकर्षण का मूल कारण है।

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  3. आलस्य बस इस बात का रहता है कि कोई आकर बता दे कि रोज क्या क्या खायें..विकल्प भ्रमित कर देता है।

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    1. जी, शाकाहारी पदार्थों में स्वाद और पोषण की दृष्टि से असीमित संम्भावनाएँ मौजुद है। वैसे तो सारे पौष्टिक तत्व हम हमारे दैनदिनि में अनजाने ही सम्मलित रखते है। फिर भी अगर जाँच में किसी तत्व की कमी-बेसी दृष्टिगोचर हो तो………
      प्रोटीन के लिए गेहूं के साथ अन्य अनाज का आटा मिलाया जा सकता है, मिलाने में सोयाबीन के आटे का प्रयोग भी किया जा सकता है, दालों का उपयोग बढ़ाया जा सकता है, पौष्टिक मूल्य बढ़ाने के लिए अंकुरित दालें ली जा सकती है।
      रक्त की कमी या हिमोग्लोबीन के लिए लोह तत्व रूप हरी पत्तेदार सब्ज़ियों की मात्रा बढाई जा सकती है, ऐसी भाजियों को आटे में मिलाकर स्वादिष्ट रोटी भी बनाई जा सकती है।
      कैल्शियम के लिए दूध की मात्रा या अन्य दुग्ध पदार्थ लिए जा सकते है। रसगुल्ला कैल्शिम का मीठा स्रोत है।
      ऐसे तो बहुत से प्रयोग संतुलन के लिए शाकाहार के साथ सम्भव है।

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  4. अच्‍छी जानकारी लिये बेहतरीन आलेख ..

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    1. सदा जी, आपके आगमन का आभार, बेहतर पोषण के लिए उत्तम जानकारियाँ साझा योग्य ही है। आलेख संस्तुति के लिए आभार!!

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  5. सन्तुलित पोषण के लिये पथ्यापथ्य की जानकारी होना अति महत्वपूर्ण है, जैसे आज डायटीशियन हैं वैसे ही पहले से ही भारतीयों ने पथ्यापथ्य के बारे में काफी कार्य किया है. धन्यवाद एक सुन्दर आलेख के लिये.

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    1. सही कहा आपने, हमारे प्राच्य आहार वैज्ञानिकों ने आहार और पथ्यापथ्य की विशाल ज्ञान धरोहर प्रदान की है। साथ ही उसे जीवन-व्यवहार और संस्कृति से जोडकर पारम्परिक बनाया।
      जैसे उत्साह और उत्सव में मिठाई खाने की परम्परा, शर्करा हमारे शरीर को त्वरित उर्जा और शक्ति प्रदान करती है। जिसकी उत्साह और उत्सव के माहोल में आवश्यकता भी होती है।

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  6. आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)

    इस जानकारी के लिए तहे दिल से शुक्रिया.... बधाई स्वीकारें.

    नीरज

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    1. नीरज जी, हम तो इस भावना से ही संतुष्ट है कि आप आकर उत्साहवर्धक प्रत्साहन दे जाते है। आलेख संस्तुति के लिए आभार!!

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  7. शाकाहार स्वयंमेव पूर्ण संतुलित आहार है, शाकाहारी पदार्थों के संयोजन के अभाव में तो मांसाहारी पदार्थ किंचित भी संतुलित नहीं हो सकते, आहार में पोषण संतुलन के लिए मांसाहार की आवश्यकता शून्य भी नहीं है। जबकि विविध शाकाहारी पदार्थों के ही समुचित संयोजन से निश्चिंत होकर पूर्ण संतुलन स्थापित किया जा सकता है।

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    1. जी, ऐसा कोई पौष्टिक तत्व नहीं है जो भिन्न भिन्न शाकाहारी पदार्थों से नहीं पाया जा सकता। कई शाकाहारी पदार्थ तो खान-पान के साथ साथ औषध का बखुबी कार्य करते है। जबकि मांसाहार में तो अधिकांश पोषक तत्व है ही नहीं, कैल्शियम और आहारीय रेशे तो है ही नहीं, अमीनो अम्ल भी नगण्य है। कईं विटामिन और खनिज पहले ही नष्ट हो जाते है।

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  8. जो लोग सब्जियों से अधिक प्रोटीन प्राप्त करते हैं उनका रक्तचाप सामान्य रहता है जबकि मांस का अधिक सेवन करने वाले ज्यादातर लोग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार होते हैं।

    लंदन में हुए शोध के अनुसार उन लोगों में हाई ब्लड प्रेशर ज्यादा पाया गया जो मांस से अधिक प्रोटीन प्राप्त करते थे। अनुसंधान के अनुसार,शाकाहारी प्रोटीन में एमीनो एसिड पाया जाता है। यह शरीर में जाकर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। सब्जियों में एमीनो एसिड के साथ-साथ मैग्नेशियम भी पाया जाता है। यह हमारे रक्तचाप को नियंत्रित रखता है। अधिक मांसाहार करने वाले लोगों में फाइबर की भी कमी पाई गई है।

    फाइबर हमें अनाज से मिलता है। दाल,फलों का रस और सलाद से कई पोषक तत्व मिलते हैं। ये हमारे शरीर के वजन को भी संतुलित रखते हैं। ज्यादा मांसाहार मोटापा भी बढ़ा देता है। मांस में वसा की मात्रा बहुत होती है। हमारे शरीर को सबसे ज्यादा जरूरत होती है कार्बोहाड्रेट की। अगर आप सोचते हैं कि यह मांस में मिलेगा तो आप गलत हैं,क्योंकि मांस में कार्बोहाइड्रेट बिलकुल नहीं होता। यह ब्रेड,रोटी,केले और आलू वगैरह में पाया जाता है।

    कार्बोहाइड्रेट की कमी से मधुमेह जैसी बीमारियां हो सकती हैं। कैल्शियम शरीर को न मिले तो हमारी हड्डियां और दांत तक कमजोर हो जाते हैं। कैल्शियम कभी भी मांस से नहीं मिलता। यह दूध, बादाम और दूध से बनी चीजों जैसे दही-पनीर से मिलता है। हीमोग्लोबिन की कमी से व्यक्ति एनीमिया का शिकार हो जाता है। इसका स्तर मांस के सेवन से कभी नहीं बढ़ता। यह हरी पत्तेदार सब्जियों,पुदीना और गुड़ आदि में अधिक मात्रा में पाया जाता है।

    भरपूर पौष्टिक खाना शरीर को ऊर्जा देता है जो मांस से नहीं मिल सकता। हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन ‘के’ भी होता है। इसकी कमी से रक्तस्राव होने का डर रहता है।

    स्रोत सूत्र : http://hash.jagranjunction.com/2011/08/21/%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%A7-%E0%A4%86%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0/

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  9. पोस्ट के साथ साथ टिप्पणियाँ भी लाभदायक.. संतुलित निरामिष आहार पर एक संतुलित जानकारी!!

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    1. इस प्रेरणा प्रोत्साहन के लिए आभार सलिल जी।

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  10. उत्तर
    1. आपके आने और प्रोत्साहन के लिए अनेक आभार

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  11. जानकारी से भरपूर संतुलित आलेख .खाद्य रेशे युक्त सुगन्धित पौधों की पत्तियाँ आहार में स्तेमाल की जातीं जो खून से चर्बी बाहर निकालतीं हैं .

    Ore-gano ऐसा ही एक सुगन्धित पत्तियों वाला पादप है .करी पत्ता और कसूरी मेथी ,मेथी दाना इसी वर्ग में आयेंगे .

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    1. जी, आहारीय रेशे शरीर के प्रत्येक अंग के लिए जीवन-रेखा है। रेशे (फायबर) विषावरोधी(एंटीऑक्सीडेण्ट)होने के कारण अमृततुल्य है। न केवल चर्बी (बुरा केलेस्ट्राल)को रक्त से निकाल बाहर कर शोधित करते है बल्कि आंतो से मांस जैसे संतृप्त (सघन)व चिपकु व्यर्थ को निकाल बाहर कर आंतो को स्वच्छ भी रखते है।

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  12. बहुत उपयोगी।
    (नोटःपौष्टिक तत्वों की उपलब्धता यदि मात्रा के लिहाज से अवरोही क्रम में दी जाती,तो लोगों का ज्ञानवर्द्धन भी होता और सेहत के साथ बजट भी संतुलित रखने का उपाय ढूंढा जा सकता था।)

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    1. जी, आपके बहुमूल्य सुझाव ने पौष्टिकता पर बजट के दृष्टिकोण से एक आलेख की प्रेरणा कर दी। आभार, कुमार राधारमण जी।

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