इस रिपोर्ट के अनुसार, पर्यावरण को अठारह प्रतिशत हानि पहुंचाने वाला यह व्यवसाय विश्व के सकल उत्पादन का केवल डेढ प्रतिशत है। इसके द्वारा धरा को मुख्यतः चार प्रकार से हानि पहुंचाई जा रही है: भूमि, जल, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जैविक हानि।
ध्यान देने योग्य कुछ बिन्दु
9 प्रतिशत :- कार्बन डाइ ऑक्साइड प्रदूषण - परिवहन द्वारा
37 प्रतिशत :- मीथेन गैस प्रदूषण - मांस प्रसंसकरण के बाद सडते अवशेषों से
65 प्रतिशत :- नाइट्रस ऑक्साइड - मांस प्रसंसकरण के बाद बची गन्दगी से
67 प्रतिशत :- तेज़ाबी बारिश की ज़िम्मेदार अमोनिया गैस
जल हानि :- पीने योग्य जल का 9 प्रतिशत मांस उत्पादन में बर्बाद
मांस के लिये पाले गये पशुओं को खिलाये गये ऐंटिबायटिक, हार्मोन और उनके चारे में प्रयुक्त ज़हरीले कीटनाशकों द्वारा फैलाया गया प्रदूषण भी विश्व के लिये एक बडा खतरा है। इसके अलावा जंगली पशुओं के रहने योग्य धरती का एक बडा हिस्सा धीरे-धीरे मांस के लिये पाले गये पशुओं के लिये छीना जा रहा है जिससे विश्व के अनेकों अभयारण्य विनाश के कगार पर धकेले जा रहे हैं। हालत यह है कि आजकल विश्व के कुल जैविक भार का पाँचवाँ भाग मांस के लिये पाले गये पशुओं का है।
यह पूरी रिपोर्ट "भोजन एवम कृषि संघ" की वैबसाइट से मूल अंग्रेज़ी में पढी जा सकती है:
पीडीऐफ (19 एमबी)
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जवाब देंहटाएंमैं आपके ही परिवार का सदस्य हूँ
इस कारण प्रकृति और इस धरती के प्रति अपने दायित्व को निभाने में मनसा वाचा कर्मणा वचन देता हूँ.
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बहुत सुंदर सार्थक पोस्ट ...सहमत हूँ .... यह जिम्मेदारी हमें निभानी ही चहिये.....
जवाब देंहटाएंमोनिका जी, प्रतुल जी,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
यह आंखे खोल देने वाली प्रमाणिक जानकारी है, अनुराग जी आभार आपका!!
जवाब देंहटाएंपर्यावरण के प्रति अपार प्रेम है,और करूणा का संदेश भी!! स्तुत्य!!
इसी प्रकार की जानकारिया हम सभी से शेयर करते रहें, मानव हितार्थ है यह कार्य!!
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धन्यवाद सुज्ञ जी, मांसाहार का पर्यावरण विरोधी क्रूर सत्य सामने आना ही चाहिये!
हटाएंअच्छी बात है कि लोग मांसाहार के पर्यावरण विरोधी स्वरूप को समझ रहें है आज पर्यावरण संरक्षण के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता का परिणाम है कि मांसाहारी पश्चिम बदल रहा है अब अमेरिका और यूरोप में शाकाहार की जड़े मजबूत हो रहीं है। ब्रिटेन में 1985 मे जहॉ कुल जनसंख्या 2.6 फीसदी हिस्सा शाकाहारी था जो 1995 में बढ़कर 4.5 का प्रतिशत हो गया और आज की स्थिति में वहाँ की 7फीसदी से ज्यादा आबादी शाकाहारी हो गई। पिछले वर्ष शाकाहार से पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन चेतना ताइवान में नो मीट नो हीट के संदेश वाले अभियान के जरिए देखनें मिली इसमें लगभग दस लाख नागरिकों ने शाकाहार अपनाने की शपथ ली ,इस अभियान में ताइवान की संसद के अध्यक्ष और ताइपे तथा काओस्युंग के मेयर भी शामिल हैं।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार!
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