नई दिल्ली। कोई व्यक्ति किस तरह का [शाकाहारी या मांसाहारी] भोजन करना चाहता है, यह उसकी पसंद-नापसंद पर निर्भर करता है। लेकिन ताजा शोधों में मांसाहार के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने की बात सामने आई है। विशेषज्ञों की राय में शाकाहार न केवल आपके मन-मस्तिष्क को दुरुस्त रखता है बल्कि कई बीमारियों से लड़ने में भी अहम भूमिका निभाता है।
यही कारण है कि विदेशों में लोग मांसाहार छोड़कर तेजी से शाकाहार की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
फायदेमंद नहीं है मांसाहार
आहार विशेषज्ञ डा.अनिता सिंह के मुताबिक नियमित रूप से मांसाहार पाचन तंत्र से लेकर हृदय व यकृत [लिवर] की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। रात में व्यक्ति को हल्का भोजन करना चाहिए। जबकि मांसाहार की प्रकृत्ति गरिष्ठ होती है। रात में इसका नियमित सेवन आपके हाजमे को बिगाड़ सकता है। यही नहीं मांसाहार से शरीर को जरूरी विटामिन, प्रोटीन और एंटी-आक्सीडेंट नहीं मिल पाते। इसका शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
दिल के लिए भी घातक
डाक्टर केदार नाथ शर्मा के मुताबिक अधिकांश लोग गोश्त को स्वादिष्ट बनाने के लिए तेल, मिर्च, मसाले आदि का जमकर इस्तेमाल करते हैं और देर तक पकाते हैं। इससे मीट का स्वाद तो बढ़ जाता है लेकिन यह कार्डियोवेस्कुलर [हृदय-धमनी] सिस्टम पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। मांसाहार रक्तचाप [ब्लड प्रेशर] बढ़ाने के साथ रक्तवाहिनियों में जम जाता है जिससे आगे जाकर हृदयरोगों का खतरा पैदा हो सकता है। हाल में हुए एक अध्ययन के मुताबिक मांसाहार का जरूरत से ज्यादा सेवन पेट में अल्सर का कारण हो सकता है जो आगे जाकर कैंसर का रूप ले सकता है।
..तो शाकाहार ही बेहतर
आहार विशेषज्ञ डा. अंजुम कौसर के मुताबिक शाकाहार अपनाकर पेट की बीमारियों समेत हृदयरोगों व कैंसर से छुटकारा पाया जा सकता है।
शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी शाकाहार को जरूरी बताया गया है। भारतीय संस्कृति में भी 'जैसा खाएंगे अन्न, वैसा होगा मन', की बात कही गई है। पिछले दिनों अमेरिका के एक अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने इस बात प्रमाणित कर दिया है कि कि मांसाहार का असर व्यक्ति की मनोदशा पर भी पड़ता है। मांसाहार के नियमित सेवन से युवाओं में धैर्य की कमी, मामूली बातों पर आपा खोने व दूसरों को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।
यही कारण है कि विदेशों में लोग मांसाहार छोड़कर तेजी से शाकाहार की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।
फायदेमंद नहीं है मांसाहार
आहार विशेषज्ञ डा.अनिता सिंह के मुताबिक नियमित रूप से मांसाहार पाचन तंत्र से लेकर हृदय व यकृत [लिवर] की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। रात में व्यक्ति को हल्का भोजन करना चाहिए। जबकि मांसाहार की प्रकृत्ति गरिष्ठ होती है। रात में इसका नियमित सेवन आपके हाजमे को बिगाड़ सकता है। यही नहीं मांसाहार से शरीर को जरूरी विटामिन, प्रोटीन और एंटी-आक्सीडेंट नहीं मिल पाते। इसका शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
दिल के लिए भी घातक
डाक्टर केदार नाथ शर्मा के मुताबिक अधिकांश लोग गोश्त को स्वादिष्ट बनाने के लिए तेल, मिर्च, मसाले आदि का जमकर इस्तेमाल करते हैं और देर तक पकाते हैं। इससे मीट का स्वाद तो बढ़ जाता है लेकिन यह कार्डियोवेस्कुलर [हृदय-धमनी] सिस्टम पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। मांसाहार रक्तचाप [ब्लड प्रेशर] बढ़ाने के साथ रक्तवाहिनियों में जम जाता है जिससे आगे जाकर हृदयरोगों का खतरा पैदा हो सकता है। हाल में हुए एक अध्ययन के मुताबिक मांसाहार का जरूरत से ज्यादा सेवन पेट में अल्सर का कारण हो सकता है जो आगे जाकर कैंसर का रूप ले सकता है।
..तो शाकाहार ही बेहतर
आहार विशेषज्ञ डा. अंजुम कौसर के मुताबिक शाकाहार अपनाकर पेट की बीमारियों समेत हृदयरोगों व कैंसर से छुटकारा पाया जा सकता है।
शारीरिक स्वास्थ्य के अलावा मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी शाकाहार को जरूरी बताया गया है। भारतीय संस्कृति में भी 'जैसा खाएंगे अन्न, वैसा होगा मन', की बात कही गई है। पिछले दिनों अमेरिका के एक अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने इस बात प्रमाणित कर दिया है कि कि मांसाहार का असर व्यक्ति की मनोदशा पर भी पड़ता है। मांसाहार के नियमित सेवन से युवाओं में धैर्य की कमी, मामूली बातों पर आपा खोने व दूसरों को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।
Source : jagran.com
बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंराजीव जी आपकी संस्तुति के लिये आभार
जवाब देंहटाएंवध के समय जीव इतना भयभीत हो जाता है कि उसके शरीर में जो रोग सुसुप्तावस्था में होते हैं,वे भी अपसामान्य रक्तसंचार के कारण सक्रिय होकर रक्त को विषैला बना देते हैं। ज़ाहिर है,ऐसा भोजन त्याज्य ही हो सकता है।
जवाब देंहटाएंशाकाहारी भोजन न केवल पौष्टिक है, यह पर्यावरण के अनुकूल भी है और जीवदया की उच्चभावना से उत्पन्न संतोष की आनन्ददायक अनुभूति का तो कहना ही क्या! सुन्दर आलेख!
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