वैज्ञानिकों एवं चिकित्साशास्त्रियों ने विभिन्न प्रकार के अनुसंधानों से यह निश्चित रूप से पुष्टि कर दिया है की मनुष्य के शरीर की रचना एवं शरीर के विभिन्न अंग जैसे मुंह, दाँत, हाथों की अंगुलियाँ, नाख़ून एवं पाचन तंत्र की बनावट के अनुसार वह एक शाकाहारी प्राणी है| मनुष्य का शरीर, शरीर के विभिन्न अंग एवं पाचन प्रणाली मांसाहारी प्राणियों जैसी नहीं है | भारत ही नहीं, अपितु दुनिया के सारे विद्वान यह मानाने लगे है कि शाकाहार ही मनुष्य की प्रकृति और उसके शरीर तंत्र की अन्दुरुनी एवं बाहरी संरचना के सर्वथा अनुकूल है |
अमेरिकी प्रसिद्ध बिजनेस पत्रिका फार्ब्स के अनुसार 1998 से 2003 तक शाकाहारी खाद्य पदार्थों की बिक्री दोगुनी हो गई है। आज के इस तनाव भरी आर्थिक और विषम सामाजिक परिस्थितियों के बिच जी रहा मनुष्य यही चाहता है कि वह किसी भी प्रकार के शरीरिक व मानसिक दुःख से पीड़ित न हो | स्वास्थ्य का सम्बन्ध शरीर से है और प्रत्येक व्यक्ति तन और मन दोनों से स्वाथ्य रहना चाहता है |
अमेरिकी प्रसिद्ध बिजनेस पत्रिका फार्ब्स के अनुसार 1998 से 2003 तक शाकाहारी खाद्य पदार्थों की बिक्री दोगुनी हो गई है। आज के इस तनाव भरी आर्थिक और विषम सामाजिक परिस्थितियों के बिच जी रहा मनुष्य यही चाहता है कि वह किसी भी प्रकार के शरीरिक व मानसिक दुःख से पीड़ित न हो | स्वास्थ्य का सम्बन्ध शरीर से है और प्रत्येक व्यक्ति तन और मन दोनों से स्वाथ्य रहना चाहता है |
ईश्वर ने मनुष्य को सर्वगुण सम्पन्न शरीर प्रदान किया है | सामान्य रूप से यह शरीर सौ वर्ष तक स्वस्थ रह सकता है या उससे अधिक भी | परन्तु स्वस्थ रहने और लम्बी आयु के लिए आवश्यक है की वह बचपन से ही संयमित और सात्विक जीवनचर्या का पालन करें | मनुष्य अपने आचार-विचार और आहार की पवित्रता से ही वह अपने इस मानव जीवन का सदुपयोग करते हुए भरपूर आनन्द उठा सकता है |
आज दुनिया के बड़े-बड़े देश शाकाहार अपना रहे है | सर्वेक्षण के अनुसार शाकाहार अपनाने के पीछे 34 फीसदी लोगो का मानना है कि वे इसे अनैतिक मानते हुए शाकाहारी बने है | 12 फीसदी धार्मिक कारणों से, तो 6 फीसदी अपने परिजनों और दोस्तों की वजह से शाकाहारी बने है | शाकाहार अब एक अभियान बनता जा रहा है |
दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से सम्बन्ध रखने वाली मशहूर हस्तियाँ जैसे रुसी लेखक टालस्टाय, लियोनार्दो डी विन्ची, अब्राहम लिकन, प्लूटो, सुकरात, रविंद्रनाथ टैगोर,अलबर्ट आइन्स्टाइन, डा.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम, अमिताभ बच्चन, ब्रेड पिट, केट विसंलेट जैसी ख्याति प्राप्त हस्तियों ने शाकाहारी जीवन अपनाया |
शाकाहार में भोजन तंतु प्रयाप्त मात्रा में होते है | भोजन तंतुओं की प्रयाप्तता से पाचन तंत्र की क्रिया प्रणाली सही तरीके से संचालित होती है | शाकाहार से व्यक्ति कब्ज़, कोलाइटिस, बवासीर जैसी बिमारियों से काफी हद तक बचा रहता है | शाकाहार से आँतों के कैंसर की सम्भावना भी कम हो जाती है | शाकाहार में सभी पोषक तत्व, प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण उचित अनुपात में होते है |
विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक व विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब यह सिद्ध कर दिया है कि भीषण बीमारियों जैसे कैंसर, ह्रदय रोग आदि को शाकाहार द्वारा काफी हद तक कम किया जा सकता है | शाकाहारी भोजन में वसा अपने उचित अनुपात में होती है अर्थात बहुत ज्यादा भी नहीं और बहुत कम भी नहीं। परन्तु मांसाहारी भोजन में वसा प्रचुर होती है, जिसके कारण ह्रदय रोग की सम्भावना बढ़ जाती है | वसा की अधिकता से रक्त में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ जाता है | कोलेस्ट्रोल से रुधिर नलिकाएं तंग हो जाती है और धीरे-धीरे बंद हो जाती है जिससे हृदय को रक्त आपूर्ति करने वाली धमनियों में रक्त प्रवाह में अवरोध उत्पन्न होता है | यह हार्ट अटैक का एक प्रमुख कारण है। डॉक्टरों का कहना है की ह्रदय रोगों से बचने के लिए मनुष्य को मांसाहार का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए। अतः शाकाहार को अपनाएं जीवन स्वस्थ बनायें।
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जवाब देंहटाएंमैं शाकाहारी भोजन का सार्थक हूँ. और भोजन के इस वृत्ति संस्कार बीज को बालक-मन में डालना चाहता रहा हूँ. इसका कारण है
एक बार मैं जब 'आर्य वीर दल' की सांयकालीन व्यायाम शाखा में छोटे बच्चों को व्यायाम के उपरान्त एक संक्षिप्त बौद्धिक में अंडे को खाने से मना कर रहा था तब एक छोटा बच्चा [१२ वर्षीय] बोला वो तो एक सब्जी ही तो है आलू-प्याज की तरह से ही. जब उसे मैंने कहा कि जीवों का जन्म अंडे से ही होता है और हमें जीव की सृष्टि के किसी भी स्टेज को बाधित [रोकना] नहीं करना चाहिए.
तब उसने कहा कि मम्मी कहती है कि सब अण्डों से बच्चे नहीं पैदा होते.
मैंने कहा कि — "नहीं विशाल! जो बात गलत है वह हमेशा गलत ही रहेगी. चाहे अंडे से बच्चे निकलें अथवा नहीं निकलें. यदि बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ हो तो क्या उसे खा लेना चाहिए? उसमें जीव तो नहीं रहा न."
उसी प्रकार यदि जबरदस्ती करके आदमी के बच्चों को मृत पैदा करवाया जाए और उसे खाया जाए तब क्या तुम उसे खाना पसंद करोगे? उसे मेरी इस बात से इतनी घृणा हुई कि उसने अंडा न खाने का संकल्प किया."
लेकिन बच्चों का संकल्प एक नन्हें पौधे की तरह से है जब तक उसे उपदेश की लगातार खाद न दी जाए वह मुरझा जाता है. उसका संकल्प भी मुरझा गया. उसने शाखा में आना छोड़ दिया था. माँ-पिता ने मनाही कर दी थी. उसकी माँ ने विशाल के जरिये मुझसे ५०० रुपये का उधार माँगा और दो महीने बाद भी माँगने पर नहीं दिया. मेरी इस कारण उस परिवार से दूरी बढ़ गयी. मेरे लिए तब पैसा कमाना केवल ट्यूशन के ज़रिये ही हुआ करता था. बहरहाल मैंने सोचा कि क्यों न अपनी शाकाहारी सोच का प्रचार कविता के माध्यम से करूँगा. उस भावना को मैंने निम्न कविता से पूरा भी किया :
.......... "मिस्टर पेटूराम की चिकित्सा" ...........
जो बात गलत है वह हमेशा गलत ही रहेगी. चाहे अंडे से बच्चे निकलें अथवा नहीं निकलें. यदि बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ हो तो क्या उसे खा लेना चाहिए? उसमें जीव तो नहीं रहा न."
हटाएंउसी प्रकार यदि जबरदस्ती करके आदमी के बच्चों को मृत पैदा करवाया जाए और उसे खाया जाए तब क्या तुम उसे खाना पसंद करोगे?
एकदम सही बात है। अंडा खाने के पक्ष में दिये जाने वाले तर्कों में कोई भी इसके सामने नहीं ठहरता। सच यही है कि सही और गलत के बीच की विभाजन रेखा कई जगह इतनी असपष्ट हो (या कर दी) जाती है कि बालमन गलत को ही सही समझने लगता है। असत से सत की ओर प्रगति सतत और निरंतर बनी रहनी चाहिए
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जवाब देंहटाएंमिले एक दिन बाबा राम
बोले — कर लो प्राणायाम
पूरे दिन में बस दो बारी
खाना खाओ शाकाहारी
तीन समय लो प्रभु का नाम
सुबह, दोपहर और शाम
जागो चार बजे तुम रोज
आलस छोडो, भर लो ओज
पाँच जगह की करो सफाई
नोज़, इयर, टंग, स्किन, आई
लंच और डिनर के बीच
छह घंटे का अंतर खींच
सप्ताह में जो दिन हैं सात
करो किसी दिन व्रत की बात
ऑफिस के घंटे हैं आठ
मेहनत कर लो खोल कपाट
रात नौ बजे तक सो जाओ
टीवी प्रोग्राम नहीं चलाओ
पिचकेगा दस दिन में पेट
छोटा नहीं लगेगा गेट.
...
...
जवाब देंहटाएंमैं सुज्ञ जी का आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे अपने इस मिशन में अपना सहयोगी बनाया. मैं इस पवित्र यज्ञ में समय-समय पर टिप्पणी और पोस्ट की आहुति देने का वचन देता हूँ.
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आभार आपका प्रतुल जी,
जवाब देंहटाएंइस सामुदयिक ब्लॉग का उद्देश्य भी यही है कि हमारी नवपीढी जो सहज सात्विक आचार व आहार की अनुगामी रहे, वह सामिष आहार प्रचार के प्रभाव से दूर रहे, और सार्थक समझ पनपे। सात्विक आहार से स्वस्थ समाज के निर्माण में यह छोटा सा प्रयत्न है। इस अभियान का उद्देश्य है शाकाहार के लाभ जगजाहिर करना।
शाकाहार का विकल्प नहीं।
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