गुरुवार, 5 जनवरी 2012

निरामिष शाकाहार प्रहेलिका 2012

निरामिष के सभी पाठकों व हितैषियों को नववर्ष 2012 की शुभकामनायें! पता ही नहीं चला कि आपसे बात करते-करते कब एक वर्ष बीत गया। शाकाहार, करुणा, और जीवदया मे आपकी रुचि के कारण ही इस अल्पकाल में निरामिष ब्लॉग ने इतनी प्रगति की। एक वर्ष के अंतराल में ही हमारे नियमित पाठकों की संख्या हमारे अनुमान से कहीं अधिक हो गयी है और लगातार बढती जा रही है। इस ब्लॉग पर हम शाकाहार के सभी पक्षों को वैज्ञानिक, स्वास्थ सम्बन्धी, धार्मिक, मानवीय विश्लेषण करके तथ्यों के प्रकाश में सामने रखते हैं ताकि ज्ञानी पाठक अपने विवेक का प्रयोग करके शाकाहार का निष्पाप मार्ग चुनकर संतुष्ट हों।

हमारे पाठक ब्लॉगर श्री सतीश सक्सेना जी, डॉ रूपचन्द शास्त्री जी, राकेश कुमार जी, रेखा जी, वाणी गीत जी, मदन शर्मा जी, तरूण भारतीय जी, सवाईसिंह जी, पटाली द विलेज, संदीप पंवार जी, कुमार राधारमण जी का प्रोत्साहन के लिए आभार व्यक्त करते है।

हमारे सुदृढ़ स्तम्भ, विशेषकर सर्वश्री विरेन्द्र सिंह चौहान, गौरव अग्रवाल, डॉ मोनिका शर्मा, शिल्पा मेहता, आलोक मोहन, प्रश्नवादी  जैसे समर्थकों का विशेषरूप से आभार व्यक्त करना चाहते हैं जिन्होंने लेखकमण्डल से बाहर रहते हुए भी हमें भरपूर समर्थन दिया है। हमारे एक जोशीले पाठक ने निरामिष ब्लॉग के सामने शाकाहार के विरोध में कई भ्रांतियाँ और चुनौतियाँ रखीं। डॉ. अनवर जमाल द्वारा पोषण, शाकाहार, और भारतीय संस्कृति और परम्पराओं के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रश्नों ने हमें प्रचलित बहुत सी भ्रांतियों को दूर करने का अवसर प्रदान किया। मांसाहार की बुराइयों को उद्घाटित करने और उनके मन में पल रहे भ्रम के बारे में जानने के कारण हमें शाकाहार सम्बन्धी विषयों की वैज्ञानिक और तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत करने में अपनी प्राथमिकतायें चुनने में आसानी हुई। आशा है कि वे हमें भविष्य में भी झूठे प्रचार की कलई खोलने के अवसर इसी प्रकार प्रदान करते रहेंगे।

पहेली की ओर आगे बढने से पहले हम अभिनन्दन करना चाहते हैं उन सभी महानुभावों का जिन्होने गतवर्ष शाकाहार अपनाकर हमारे प्रयास को बल दिया:
* दीप पांडेय
* इम्तियाज़ हुसैन
* कुमार राधारमण
* शिल्पा मेहता


अपनी पहली वर्षगांठ के अवसर पर आज हम आपका आभार व्यक्त करना चाहते हैं, एक छोटे से आयोजन के साथ। आइये, हल करते हैं आज की निरामिष पहेली अपने निराले शाकाहारी, सात्विक अन्दाज़ में। केवल कुछ सरल प्रश्न और बहुत से पुरस्कार। हमारा प्रयास है कि इस प्रतियोगिता में सम्मिलित प्रश्नों के उत्तर या उनके संकेत आपको निरामिष ब्लॉग की पिछली प्रविष्टियों व टिप्पणियों में मिल जायें।
प्रथम निरामिष शाकाहार पहेली
प्रश्न 1: निरामिष स्वर

ज़रा ध्यान से सुनिये यह आवाज़। भारतीय सिने जगत से जुड़ी यह अभिनेत्री जन्म से मांसाहारी थी। अपने परिवार, आस-पड़ोस में इन्होंने पशुहत्या और मांसाहार ही होते देखा था। लेकिन जैसे ही इन्हें अवसर मिला, इस हस्ती ने अहिंसा और दया के महत्व को पहचाना और शाकाहारी जीवन अपनाया, ज़रा पहचानिए तो इस आवाज़ को, और लिख दीजिये इनका नाम - टिप्पणी बक्से में:


प्रश्न 2: निरामिष चित्र
इस श्वेत-श्याम चित्र को ध्यान से देखिए। इसमें अमेरिका में अहिंसक परिवर्तन के प्रणेता, प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता और गान्धीवादी मार्टिन लूथर किंग जूनियर को तो आपने ज़रूर ही पहचान लिया होगा। हमारा प्रश्न है कि उनके आगे खड़ी ये प्रसिद्ध शाकाहारी अमेरिकी महिला कौन हैं और किस कार्य के लिये विश्वप्रसिद्ध हैं? संकेत यह है कि यह शाकाहारी महिला अमेरिका में एक क्रांति की सूत्रधार बनीं। यद्यपि अपने उद्देश्य पर अड़े रहने के लिये आरम्भ में उन्हें काफ़ी कष्ट सहने पड़े, पर समय बीतने के साथ संसार ने मानवता के प्रति इनके आग्रह को समझा और इन्हें बहुत सम्मान मिला। आज यह महान हस्ती इस संसार में नहीं हैं परंतु आप इनसे न्यूयॉर्क के मैडम तुसाद वैक्स म्यूज़ियम में आज भी मिल सकते हैं। इनका नाम और इनकी प्रसिद्धि का कारण हमारे टिप्पणी बक्से में लिख दीजिये और इस प्रतियोगिता का विजेता बनने की ओर अपना दावा सशक्त कीजिये।

सभ्यता के प्रसार से पहले की कबीलाई संस्कृतियों में न केवल पशु, बल्कि मानव भी सुरक्षित नहीं थे। नरभक्षी कबीले तो इंसान को भी खा जाते थे, बहुत से कबीले बलि के नाम पर पशु हत्या को धर्म का नाम देते थे। जब ऋषियों ने देवपूजा का नया मार्ग प्रस्तुत किया जिसमें यज्ञ की अग्नि में अन्न व औषधियों की समिधा दी जाने लगी, तब आसुरी व राक्षसी शक्तियों ने पशुमांस व अस्थियाँ डाल-डालकर ऐसे यज्ञों का ध्वंस आरम्भ किया और विरोध करने वाले ऋषियों का अपमान, त्रास व हत्या करने लगे। पहले से पशुबलि में लिप्त रहे समुदायों के उत्थान और समन्वयीकरण के उद्देश्य से हमारे ऋषियों द्वारा किये जाने वाले कई निरामिष यज्ञों में अन्न का बना पशु भी प्रयोग किया जाता था।

प्रश्न 3: वैदिक यज्ञ
क्या आप बता सकते हैं कि विभिन्न प्रकार के अन्न यथा जौ, चावल, तिल के साथ अन्य पदार्थ गुड़, सोमरस, घी आदि मिलाकर बने इस वास्तविक जैसे लगने वाले यज्ञ-पशु को क्या कहते हैं?

धरती की बढती पर्यावरण समस्या ग्रीन हाउस गैसों की वृद्धि में 18 प्रतिशत का योगदान मांस उद्योग के लिये किये जा रहे पशुपालन का है जो कि परिवहन क्षेत्र से भी अधिक है। वध किये जाने वाले पशुओं के चरागाह और पशु आहार की खेती के लिए दुनिया भर में वनों को काटा जा रहा है। केवल लैटिन अमेरिका में ही बूचड़खनों द्वारा 70% वन भूमि को चरागाह में बदल दिया गया है। वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड के अवशोषक होते हैं। उनकी कमी से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है और तापमान में बढ़ोतरी होती है। बूचड़खानों द्वारा छोड़े पशु-अवशेष से नाइट्रस ऑक्साइड नामक ग्रीनहाउस गैस निकलती है जो कि कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 296 गुना जहरीली है। इस प्रकार हम देखते हैं कि शाकाहारी भोजन प्रकृति और पर्यावरण की सुरक्षा के लिये भी आवश्यक है। हमारी एक पुरानी पोस्ट से लिया गया आज का चौथा सवाल पर्यावरण से सम्बन्धित है।

प्रश्न 4: पर्यावरण
मांसाहार पर्यावरण के लिये एक बड़ा खतरा बनकर सामने आया है। इसके प्रमुख दुष्प्रभाव निम्न हैं
क) वन विनाशघ) जलवायु प्रदूषण
ख) खाद्यान्न की कमीत) हिंसक प्रवृत्ति का सामान्यीकरण
ग) बिजली और पानी की बर्बादीथ) मांसाहार उपरोक्त सभी हानियों का कारक है

ब्रिटेन में कई दशकों तक 11,207 व्यक्तियों पर किये गये अध्ययन से ज्ञात हुआ कि सर्वोच्च बुद्धि अंक (आइक्यू, IQ) वाले बच्चे 30 वर्ष की आयु से पहले ही शाकाहारी हो गये। इसके अतिरिक्त शाकाहारियों के दीर्घायु होने की बात भी अनेक अध्ययनों द्वारा स्थापित हुई है। सर्वज्ञात है कि भारत में हृदय से जुड़ी बीमारियाँ, मधुमेह और कैंसर के मामले बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं और इसका सीधा संबंध अंडों, मांस आदि की बढ़ती खपत से है। भारत में तेजी से बढ़ रहे मधुमेह टाइप 2 से पीड़ित लोग शाकाहार अपना कर इस बीमारी पर नियंत्रण पा सकते हैं और अपना मोटापा भी घटा सकते हैं। शाकाहारी खाने में कोलेस्ट्राल बिल्कुल नहीं होता, वसा कम होती है, और यह कैंसर के खतरे को 40% कम करता है। स्वास्थ्य और शाकाहार के सम्बन्ध में अब प्रस्तुत है हमारा पाँचवाँ प्रश्न:

प्रश्न 5: स्वास्थ्य
शरीर में, प्रयोगशाला में और मृदा में पाये जाने वाले बैक्टीरिया दारा संश्लेषित विटामिन बी12 के प्रमुख ज्ञात शाकाहारी स्रोत निम्न हैं:
क) पनीरघ) मट्ठा
ख) दूधत) T-6635+ खमीर
ग) दहीथ) उपरोक्त सभी

आधुनिक खेल जगत स्वास्थ्य, पोषण व चिकित्सा के क्षेत्र में नवीनतम जानकारियों और सर्वश्रेष्ठ तकनीक का प्रयोग करने में सर्वप्रथम रहा है। टेनिस सितारा मार्टिना नवरातिलोवा, विश्व हैंगग्लाइडिंग चैम्पियन जूडी लेडेन, विंडसर्फ़िंग के विश्व चैम्पियन जटा म्युलर, कुश्ती के विश्व चैम्पियन क्रिस कैम्पबेल तथा 9 ओलम्पिक स्वर्ण विजेता व 8 विश्व-चैम्पियनशिप विजेता एथलीट कार्ल लुइस जैसे अग्रणी महा-खिलाड़ियों ने भारत के बाहर भी सम्पूर्ण विश्व में शाकाहार का लोहा मनवाया है। आज का अंतिम प्रश्न खेल जगत से सम्बन्धित है।

प्रश्न 6: क्रीड़ा, स्पोर्ट्स
खेल सामग्री निर्माता ऐडीडाज़ के विज्ञापनों में फ़ुटबाल खिलाड़ी डेविड बैकहम को हटाकर नये पोस्टर बॉय बनने वाले शतायु मैराथन धावक 1 अप्रैल 1911 को जलन्धर, भारत में जन्मे थे और सन् 1992 से लंडन में रहते हैं। उनकी जीवनी का शीर्षक "द टर्बन्ड टॉर्नेडो" अर्थात "पगड़ी वाला चक्रवात" है। अंतर्राष्ट्रीय खेल जगत का यह शाकाहारी नायक दाल, सब्ज़ी, और फुल्कों के अतिरिक्त दूध, दही और सोंठ का मुरीद हैं। क्या आप 5 फ़ुट 11 इंच ऊंचाई और 52 किलो भार वाले इस शाकाहारी शतायु युवा धावक का नाम बता सकते हैं?

प्रतियोगिता में भाग लेने के नियम....

1. आपको जितने प्रश्नों के उत्तर पता हैं, उन्हें टिप्पणी बॉक्स में लिखकर प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं।
2. प्रतियोगिता पूरी होने तक मॉडरेशन ऑन है ताकि आपके सही/ग़लत उत्तर किसी अन्य व्यक्ति को दिखाई न दें।
तो अब ध्यान लगाइए और जल्दी से हमारे टिप्पणी बॉक्स में अपने उत्तर लिख दीजिए।

(निवेदक: निरामिष सम्पादक मंडल)
* सम्बन्धित कड़ियाँ *
* शाकाहार पहेली 2012 के परिणाम

37 टिप्‍पणियां:

  1. "जाटदेवता" संदीप पवाँर की टिप्पणी:
    शाकाहार के पक्ष में मेरा समर्थन हमेशा रहेगा। पहेली शुरु करके आपने हमारे ज्ञान को विस्तार देने का नेक कार्य आरम्भ किया है।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    सभी शाकाहारियों को साधुवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट " जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी" पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । नव-वर्ष की मंगलमय एवं अशेष शुभकामनाओं के साथ ।

    जवाब देंहटाएं
  4. हार्दिक शुभकामनाएँ,
    उड़ीसा हो या जापान, मछली को शाकाहार में ही गिना जाता है Vegetarianism


    आचार्य गजेंद्र कुमार पंडा जी उड़ीसा के हैं।
    आचार्य पंडा जी से मिलना अपने आप में एक आनंद देता है। ‘हास-परिहास‘ का सेंस भी उनमें ग़ज़ब का है। हंसी मज़ाक़ के दौरान मात्र 10 घंटों में ही वह आदमी को संस्कृत बोलने के लायक़ बना देते हैं।
    उनका हम सभी ने बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया।

    इस वर्ग का आयोजन हमने जैन इंटर कॉलिज में किया था.

    उन्होंने बताया कि हमारे पिताजी शुद्ध नैष्ठिक ब्राह्मण हैं। अगर उन्हें पता चला कि हम मुसलमानों के घर खा पी कर आ रहे हैं तो वह हमें घर में घुसने ही नहीं देंगे।
    उन्हें शुद्ध खाने में शाकाहारी भोज दिया गया।
    दो दिन बाद वह बोले कि ‘मछली बनवाओ।‘
    उनके भोजन का इंतेज़ाम सैयद साहब के घर पर था। उन्होंने उनके लिए मछली बनवाई, उन्होंने उसे खाया।
    हम समझे कि वह मांसाहारी हैं। अगले दिन उनके लिए मुर्ग़ा बनवाया गया।
    उसे देखकर उन्होंने खाने से इंकार कर दिया।
    बोले हम मांस नहीं खाते।
    उन्हें याद दिलाया गया कि कल आपने मछली खाई थी न।
    बोले कि हां, लेकिन मछली को तो हम आलू की तरह मानते हैं।

    भारत में भी अलग अलग इलाक़े के शाकाहारियों के भोजन का मेन्यू अलग अलग है।
    भारत में ही नहीं विदेशों में भी ऐसा ही है। जापान में भी मछली को शाकाहारी भोजन में ही गिना जाता है।
    प्रतियोगिता अच्छी लगी .

    जवाब देंहटाएं
  5. सुज्ञ जी!
    निरामिष आंदोलन को बढ़ावा देने और हमारे सामान्य ज्ञान में वृद्धि करने के लिए आपने जो रास्ता चुना है वह सचमुच प्रशंसनीय है!!

    जवाब देंहटाएं
  6. आचार्य गजेंद्र कुमार पंडा जी कहते है - मछली को तो हम आलू की तरह मानते हैं। उन्होंने बताया कि हमारे पिताजी शुद्ध नैष्ठिक ब्राह्मण हैं। अगर उन्हें पता चला कि हम मुसलमानों के घर खा पी कर आ रहे हैं तो वह हमें घर में घुसने ही नहीं देंगे।

    डॉ अनवर जमाल साहब,

    इस पर हमें कुछ नहीं कहना, जो करना होगा उनके पिताजी ने कर दिया होगा। :)

    जवाब देंहटाएं
  7. आपकी यह प्रस्‍तुति बेहद ज्ञानवर्धक और सराहनीय है ...शुभकामनाओं सहित आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  8. जमाल साहेब ! यह पंडा जी का वितंडा हमारी अन्य पोस्टों पर फैला लीजिये . यह निरामिष की "पहेली पोस्ट " है उत्तर आतें है तो टिपण्णी दीजिये नहीं तो अन्य पोस्टों को देखिये .

    लेकिन फिर भी निरामिष उद्देश्य ही विकृत प्रचार का उन्मूलन करना है . आपकी विकृति के लिए यही कह सकता हूँ की ---------
    घोर विकृत मानसिकता से ग्रसित व्यक्ति अपनी विकृतियों के कारण या तो तथ्यों को समग्र यथार्थता से समझ नहीं पातें है , या अपनी विकृतियों को ना छोड़ पाने की लाचारी के कारण दूसरों को भी अपनी विकृतियों की झोंक में ले आना चाहतें हैं.
    जड़ बुद्धि के कारण शब्दों का उचित स्थान पर प्रयोग ना कर पाने की लाचारी के कारण कभी इन भाप्डों को हिन्दू ग्रंथों में मांसाहार दिखाई देता है तो कभी आदिवाणी वेदों में गौहत्या की गूंज .
    भारत में भोजन "निरामिष" और "सामिष" के रूप में वर्गीकृत है जिन्हें लोक भाषा में क्रमशः शाकाहार और मांसाहार के रूप में जाना/बोला जाता है .
    अर्थात भारतीय संस्कृति में भोजन की रेखा मांस रहित और मांस सहित , मांस को लक्षित किया गया है सारा व्यवहार इसे लेकर समझाया गया है की कहीं मांस ना हो .
    जबकि इतर संस्कृतियों विशेषकर आंग्ल संस्कृति में "वेजिटेरियन " और "नॉन-वेजिटेरियन " शब्द प्रयुक्त है . जो किसी वनस्पति/शाक से सम्बंधित आहार है वह "वेज" कहलाता है. इस भाषा नियम के हिसाब से हर वह वस्तु "नॉन-वेज" है जो वनस्पति/शाक नहीं है.
    इसी तरह हर संस्कृति के आहार सम्बन्धी क्रम/व्यतिक्रम कालक्रम से निर्धारित हुयें है. अब इसी लिए तो कहतें है की थोथा ज्ञानाभिमानी वास्तव में निरक्षरभट्टाचार्य से भी गया बीता होता है :)
    हम यहाँ भारतीय संस्कृति के अनुकूल "निरामिष" के समर्थन की बात करतें है और कुछ महाभट "जापान" का "अपान" यहाँ फैलाना चाह रहें है .
    रही बात बंगाली ब्राह्मणों की तो कुछ अध्यनशील बनिए पहले कुछ कुछ फिर सबकुछ समझ में आजायेगा की यह "मच्छी-झोल" का झोल कैसे इतना विस्तार ले पाया.
    बंगाल विगत सैकड़ों वर्षों से वाममार्गी शक्ति उपासना का गढ़ है जिसमें वाम साधना के विकृत आचार-विचारों का सम्पादन हर ओर व्याप्त था क्योंकि हर वाशिंदा वाममार्गी शक्ति-उपासक बन चुका था. तब ऐसे घटाटोप में जब पुनः मूल संस्कारों का उदय होना प्रारंभ हुआ और वैष्णवता के विचार के रूप में संस्कृति पुनः पल्लवित होने लगी तो सारी विकृतियाँ धीरे धीरे दूर हो गई. कुछ अवशेष अभी भी वर्तमान है, जो की तत्सामयिक घोरतम अनाचार के सामने नगण्य प्रतीत होता है जो समय पाकर स्वमेव हट जाएगा.

    दक्षिण के वाशिंदों में भी यह अनाचार कुछ इन्ही कारणों और अधिकांशतया मलेच्छों के दीर्घ संपर्क के संक्रमण से फैले है.
    लेकिन फिर भी "सामिष" पर "निरामिष" की उत्कृष्टता से हर बुद्धिमान प्राणी सहमत है चाहे वह खुद सामिष भोजी हो या निरामिष भोजी.

    जवाब देंहटाएं
  9. निरामिष पर आकर शाकाहार व माँसाहार के सम्बन्ध में अति सुन्दर तथ्यों और तर्कों से पूर्ण तुलनात्मक जानकारी मिलती है और पाठकों की टिप्पणियों से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है.बहुत बहुत बधाईयाँ और शुभकामनाएँ ब्लॉग जगत में एक वर्ष पूर्ण करने के लिए.

    आशा है निरामिष आने वाले समय में अपने सार्थक, निस्वार्थ और सतत प्रयास से समाज में नवचेतना जाग्रत करने में अवश्य ही कामयाब होगा.

    जवाब देंहटाएं
  10. @ anwar jamaal saaheb -

    "अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादान्श्चभाषसे"

    जवाब देंहटाएं
  11. आपका प्रयास तो अत्यंत ही सराहनीय है ....हम शाकाहारियों को बहुत कुछ जानने का मौका मिल रहा है ,साथ ही इस ब्लॉग के माध्यम से और लोग भी चाहें तो भरपूर लाभ उठा सकते हैं .

    जवाब देंहटाएं
  12. शाकाहार के पक्ष में मेरा समर्थन हमेशा रहेगा।

    जवाब देंहटाएं
  13. अलग अलग शाकाहारियों का मेन्यू अलग अलग होता है। इसमें कौन सी बात मूर्खतापूर्ण है भाई साहब ?
    कोई दूध को शाकाहार में गिनता है और कोई मांसाहार में। यही बात मछली के बारे में भी है।


    @DR. ANWER JAMAL जी ,

    आप किसी ओर की नहीं अपनी बात करें की आप दूध ओर मछली को मांसाहार में गिनते हैं या शाकाहार में ,अगर किसी ओर की ही बात करनी है तो आपके इस कुतर्क पर तो पलटकर ये कुतर्क भी दिया जा सकता है की आज बहुत से लोग इस्लाम को आतंकवाद का जनक मानते हैं
    तो इसे आप समझदारी कहेंगे या मूर्खता ?? क्या आप इसे अज्ञानता एवं मूर्खता नहीं कहेंगे या फिर यहाँ भी आप diplomatic होकर कहेंगे की ये उनका अपना मेन्यू ( or dictionery ) है और आपको उनकी इस राय पर कोई आपत्ति नहीं है

    मुझे तो आपके दूध को मांसाहार और मछली को शाकाहार में गिनने में घोर आपत्ति है और वही मैं आपके समक्ष दर्ज करवा रहा हूँ

    आपके जैसा ही कुतर्क बेनजीर भुट्टो ने भी कश्मीर के आंतकवादियों की हिंसक गतिविधियों का समर्थन करते हुए दिया था की भारतीयों के लिए भले ही ये आंतकवाद हो लेकिन हमारे मुताबिक़ तो ये आजादी की लड़ाई है

    यहाँ भी उनका मेन्यू अलग था और भारत का अलग लेकिन जब वैसी ही हिंसक गतिविधियां उनके अपने घर पाकिस्तान में होनी शुरू हुई तब उन्हें आंतकवाद और आजादी की लड़ाई के बीच में फर्क महसूस हुआ

    इसलिए कृपया अर्थ का अनर्थ करने से बचें और चीज़ों को उनकी मूल प्रकर्ति के अनुरूप ही प्रयुक्त करें

    बाकी detail में तो भाई @अमित शर्मा ने आपको समझा ही दिया है और संक्षिप्त में उन्ही की टिप्पणी की एक पंक्ति जो की मुझे आपके लिए उपयुक्त प्रतीत हुई वो यहाँ दे रहा हूँ

    " थोथा ज्ञानाभिमानी वास्तव में निरक्षरभट्टाचार्य से भी गया बीता होता है "

    जवाब देंहटाएं
  14. @सुज्ञ जी और @Smart Indian - स्मार्ट इंडियन जी,

    आप दोनों से क्षमा चाहूँगा की आपकी मूल पोस्ट्स के विषय में टिप्पणी करने की जगह ऐसी टिप्पणियाँ करनी पड़ रहीं हैं लेकिन क्या करें -

    " जमाल जी हैं की मानते नहीं "

    जवाब देंहटाएं
  15. पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ। बेहतरीन प्रयास कर रहे हैं आप लोग.. अनुराग जी को तो पढ़ते ही रहते हैं, आज उन्हीं के कारण यहाँ तक पहुँचा...

    सराहनीय!!

    मैं शुद्ध शाकाहारी हूँ (अंडे को माँसाहार में गिनता हूँ...:-) )
    पहेली कठिन लगी.. :-)

    जवाब देंहटाएं
  16. अनुराग जी,

    आप मुझसे बड़े हैं पर एक सलाह देना चाहूँगा.. क्षमा कीजियेगा...

    निरामिष के मैंने तीन-चार लेख पढ़े हैं... पर ब्लॉग की हिन्दी काफ़ी कठिन है...बताता हूँ क्यों...
    इस ब्लॉग को उन्हें भी पढ़ना चाहिये जो हिन्दी में अखबार/साईट नहीं पढ़ते.. वैसे ही हिन्दी पढ़ने वालों की संख्या कम है... ऊपर से जटिल हिन्दी देख कर वही पूरा लेख पढ़ेगा जो सही में हिन्दी-प्रेमी हो..
    मान लीजिये मैं इस लेख को आगे अपने मित्रों में भेजूँगा तो मैं यकीन से कह सकता हूँ कि शायद ही कोई इक्का दुक्का ही इस पढ़ पायेगा.. यानि जो आप बताना चाहते थे..वे बात नहीं बता पाये..

    जैसे "अल्पकाल" को "थोड़े समय में" लिखा जा सकता था...

    दूसरी अहम बात.. आप अपने ब्लॉग को अधिक पाठकों तक पहुँचाने के लिये शीर्षक को हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में लिखिये, इससे आपके लेख का URL अंग्रेजी में बनेगा और गूगल आदि सर्च इंजन आसानी से आप तक पहुँच पायेंगे...और आपकी बात भी..

    आशा है मैंने कोई छोटा मुँह बड़ी बात नहीं की होगी...

    धन्यवाद,
    तपन शर्मा

    जवाब देंहटाएं
  17. अपवाद को सर्वमान्य और सर्वकालिक नियम जो मानता है उसके लिए कुछ भी कहना उचित नहीं होगा. ईश्वर सद्बुद्धि दे.

    जवाब देंहटाएं
  18. प्रिय तपन,

    तुम्हारे सुझाव और सलाह का स्वागत है। भविष्य में हम इस बात का ध्यान रखने की पूरी कोशिश करेंगे कि लेख सरल हिन्दी में हों और ज़्यादा से ज़्यादा लोग उन्हें पढ और समझ सकें। आगे भी तुम्हारे फ़ीडबैक का इंतज़ार रहेगा।

    जवाब देंहटाएं
  19. 1.
    2. रोजा पार्क्स। अमेरिका की प्रसिद्ध मानव अधिकार कार्यकर्ता, रंगभेद के खिलाफ अपने महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए विश्वप्रसिद्ध । इनके एक श्वेत के लिए बस में सीट छोड़ने से इंकार की घटना विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
    3॰ पिष्ट पशु
    4॰ थ
    5. थ
    6. फ़ौजा सिंह।

    जवाब देंहटाएं
  20. hum jaise alpagya is tarah ke sant-sang ka labh le pa rahe.....kotisha: abhar evam subhkamnaye..

    pranam ap sabko...

    जवाब देंहटाएं
  21. @मछली को तो हम आलू की तरह मानते हैं।

    डॉ जमाल,
    कल यदि आपका कोई मित्र सुअर को हलाल कहने लगेगा तो क्या वह हलाल हो जायेगा और क्या आप सुअर की हलाली जैसी बेवकूफ़ाना टिप्पणियाँ इतने ही जोश से निरामिष पर बार-बार छोड़ते जायेंगे? नहीं न। तो बेहतर है कि हम सत्य को सत्य की तरह देखें और आलू और मछली के अंतर को किसी मित्र के नाम की आड़ में छिपाने से बचें।

    आपने पहले भी अपने कई भ्रमों को सत्य जैसे प्रस्तुत किया था और हमने यहीं उनका निराकरण भी किया है। आलू-मछली, निरामिष-सामिष, शाक-मांस, क़ुर्बानी-पशुहत्या का अंतर इसी निरामिष ब्लॉग में अनेक आलेखों में स्पष्ट किया जा चुका है। पढते रहिये, आपके भ्रम छंटने लगेंगे।

    चीन हो या जापान, मछली, बीफ़, पोर्क आदि सारी दुनिया में मांसाहार ही गिने जाते हैं। टूटे रिकॉर्ड की तरह किसी झूठ को दोहराते रहने से वह सच नहीं हो जाता है। इस विषय पर काफ़ी बात हो चुकी है, अब इसे समाप्त समझा जाये।

    यह पोस्ट पहेली की है। यदि आपको किसी प्रश्न का उत्तर पता है तो उसे लिखिये और यहाँ पर फ़िजूल का स्पैम छोड़ने से बचिये, यही मेरा विनम्र निवेदन है।

    जवाब देंहटाएं
  22. निरामिष परिवार के सभी सदस्यों को मेरा प्रणाम. कभी मैं मांसाहार का घोर समर्थक था पर आज मैं मांसाहार का समर्थन नहीं करता. इसके लिए मैं गौरव अग्रवाल, अमित शर्मा, सुज्ञ जी का बेहद आभारी हूँ.

    जवाब देंहटाएं
  23. दीप पाण्डेय जी,

    आभार तो आपका, आप अपने ही परिष्कृत विचारों का क्रेडीट हमें देते है, वस्तुत यह आपकी ही कोमल भावनाओं का प्रकटीकरण और मनोबल व संकल्प का परिणाम होता है।

    व्यस्तता के मध्य भी आकर प्रोत्साहन देने के लिए आपका पुनः आभार

    जवाब देंहटाएं
  24. @ अभिषेक जी
    ये रोजा पार्क्स जी हैं ? रंगभेद के सिलसिले में इनके बारे में पढ़ा तो था, किन्तु चेहरा नहीं जानती थी | आपका और अनुराग जी का आभार , इन्हें दिखाने के लिए | :)

    जवाब देंहटाएं
  25. शिल्पा मेहता व अभिषेक ओझा को धन्यवाद! प्रतियोगिता अभी जारी है और नए उत्तरों व जानकारी का स्वागत है. धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  26. i am with you in your crusade
    all the best and keep the good work going
    regds
    rachna

    जवाब देंहटाएं
  27. कुछ लोग विषयांतर और विग्रह करना अपना परम कर्तव्य मानते हैं ...यह असुर वृत्ति है .....हम asuron के sur theek नहीं कर sakenge ..astu अनचाहे ही यहाँ टिप्पणी करनी पड़ रही है. सुज्ञ जी पर naaraaj होना hamaaraa adhikaar है ...असुर को kyaa kahen ?
    हमारी विद्वत परम्परा में संभाषा का उपयोग वैचारिक परिष्कारों के लिए किया जाता रहा है...किन्तु विग्रह्य संभाषा को निकृष्ट कहा गया है. जिज्ञासु की शंकाओं का समाधान करना तो उचित है पर विग्रही की बात सुनना भी उचित नहीं. यदि कोई अपनी हठ धर्मिता से बाज़ नहीं आ रहा तो उसके लिए अपने द्वार बंद कर देने चाहिए. किन्तु एक बात की दाद दूंगा कि इस व्यक्ति में शरीफ को भी शैतान बना देने का दुस्साहस है.....धैर्यवान यहाँ परीक्षा न दें..वही शुभ है. बवंडर खड़ा करने का एक मात्र लक्ष्य पूरा हो रहा है. असुर परम्परा अभी भी कायम है .....इसे पहचान कर इससे बचना ही एक मात्र उपाय है.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी नाराज़गी उचित ही है, विषयांतर, विग्रह और तोतारटंत वाली टिप्पणीयों को स्पैम में डालने का निर्णय तो है ही। समाज में भ्रम और दुष्प्रचार भरे प्रचारी कुतर्कों को जानना और उसे दूर करना भी आवश्यक है। कुतर्क, हठधर्मिता, वितंड़ावाद और मलीनवृति को जगजाहिर भी होना चाहिए, ताकि लोग शुभ विचार-वृति और अशुभ विचार-वृति के अन्तर को स्पष्ट जान पाएँ।

      हटाएं
  28. आभार बंधुवर। हमारी चर्चा की आपने।

    जवाब देंहटाएं
  29. बंगाल (अब पश्चिमी बंगाल )में घर घर छोटे छोटे तालाब हैं घर दुआरे के पिछवाड़े जहां मछली पालन होता है चावल मच्छी बंगालियों का प्रिय आहार है .मछली को जल तोरई कहा जाता है .क्योंकि इसे वैसे ही खाया जाता है जैसे जलयुक्त तोरई को . लेकिन जल तोरई कहने से मछली तोरई नहीं हो जाती है .मछली मछली है ,वाईट मीट है .

    दूध को जीववैज्ञानिक दृष्टि से पशु उत्पाद के अंतर्गत ही लिया जाता है .महात्मा गांधी बकरी का दूध पीते थे उसके लो फेट होने की वजह से .तमाम पशु आहार कोलेस्ट्रोल बढातें हैं .गैर पशु उत्पाद ही सर्वोत्तम आहार हैं दिल के लिए दिमाग के लिए .

    चोटी के हृद विज्ञानी बिमल छाजेड साहब शाकाहार आन्दोलन को सारी दुनिया में ले जा रहें हैं .आप जीरो फेट के समर्थक हैं .मछली के बारहा हाइप किये जा चुके ओमेगा थ्री वसीय अम्लों को भी अन- उपयुक्त बतलातें हैं वैज्ञानिक आधार पर .पढ़ें उनकी किताब 'शाकाहार '.

    जवाब देंहटाएं
  30. मैं शाकाहार के समर्थन में हूँ । मैं जीवन भर शाकाहारी रहूँगा, मरते दम तक शाकाहार का पथ नहीं छोड़ूँगा। मांसाहार को कदापि स्वीकार नहीं किया जा सकता। शाकाहार सर्वोत्तम आहार है। आपकी हर पोस्ट नई जानकारियों से भरी है और शाकाहार के पक्ष में सम्यक तर्क प्रस्तुत करती है। मेरी कोटिशः शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  31. भारत में सबसे ज्यादा शाकाहारी हैं, फिर भी सबसे ज्यादा ऊँचनीच, भेदभाव हैं,

    हमें फक्र हैं की हम शाकाहारी हैं मगर शाकाहारी बनने से कुछ नहीं होता, अच्छे इंसान और अनुशासन में रहने वाला ही व्यक्ति बनने से ही शाकाहार होने का असली मकसद पूरा होगा.

    जवाब देंहटाएं